नवंबर की शुरुआत में घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट का रुख देखा गया, जिसमें एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स ने 1,500 अंकों की भारी गिरावट दर्ज की और 78,233 के निचले स्तर तक जा पहुंचा। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि सेंसेक्स में अभी और गिरावट की गुंजाइश है, और यह बदतर हालात में 72,000 के स्तर तक गिर सकता है। ऐसे में 2024 में अब तक की गई सारी बढ़त खत्म हो सकती है।
तकनीकी विश्लेषण के मुताबिक, सेंसेक्स फिलहाल 78,120 के स्तर पर समर्थन ढूंढता नजर आ रहा है, जो कि साल 2024 की शुरुआत में R1 (रेसिस्टेंस 1) के रूप में था। अब यही स्तर सेंसेक्स के लिए मजबूत समर्थन की भूमिका निभा सकता है।
हालांकि, अगर यह समर्थन भी टूट जाता है, तो सेंसेक्स के 72,200 तक गिरने की संभावना बन सकती है, जबकि बीच में 75,900 का स्तर अंतरिम समर्थन के रूप में काम कर सकता है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी रिकवरी की कोशिश को बिकवाली का दबाव झेलना पड़ सकता है, जिससे बड़ी वापसी की उम्मीद कम ही नजर आ रही है।
आगे की संभावनाओं पर नज़र डालें तो, इस साल के बाकी समय में सेंसेक्स का ऊपरी स्तर 81,750 के करीब सीमित हो सकता है। इसके अलावा, प्रमुख रेसिस्टेंस स्तर 80,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर पर देखा जा रहा है, जिससे ऊपर बढ़ने में सेंसेक्स को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।
इस बीच, एनएसई का बेंचमार्क निफ्टी 50 इंडेक्स अपने 200-दिवसीय मूविंग एवरेज (200-DMA) के करीब आता दिख रहा है, जो फिलहाल 24,450 के स्तर पर है। यदि निफ्टी इस स्तर के नीचे जाता है, तो इसके 22,900 तक गिरने की आशंका है। यह उस तेजी से 38.2% वापसी होगी जो अप्रैल 2023 से सितंबर 2024 के शिखर तक देखने को मिली थी।
सबसे खराब स्थिति में, निफ्टी 20,850 के स्तर तक गिर सकता है, जो पिछली रैली का 61.8% रिट्रेसमेंट (वापसी) होगा। अगर निफ्टी में वापसी होती है, तो 24,675 का स्तर, जो अभी 100-DMA और 20-DMA के करीब है, एक मजबूत रुकावट का काम कर सकता है। निफ्टी के लिए ऊपर की ओर बढ़ने की सीमा 24,950 के आसपास देखी जा रही है।
निफ्टी ने हाल ही में 19,200 से 26,200 के स्तर तक तेजी दर्ज की थी, जिसमें कोई बड़ी गिरावट नहीं आई थी। लेकिन अब इसमें करेक्शन का रुझान दिखाई देने लगा है। रिलिगेयर ब्रोकिंग के रिसर्च सीनियर वाइस-प्रेसिडेंट अजीत मिश्रा का कहना है कि 23,500 का स्तर, जो कि निफ्टी का 200-एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (EMA) है, एक महत्वपूर्ण समर्थन रहेगा। अगर निफ्टी इस स्तर को बनाए रखने में असफल रहता है, तो यह 22,500 तक जा सकता है, जो बाजार में ट्रेंड बदलाव का साफ संकेत देगा।
27 सितंबर, 2024 को निफ्टी ने 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर 85,978.25 पर पहुंचने के बाद से लगभग 7,300 अंक या 8.5% की गिरावट दर्ज की है, जिससे यह ‘करेक्शन’ के दौर में प्रवेश करने की कगार पर है। आमतौर पर किसी इंडेक्स या स्टॉक में हालिया उच्च स्तर से 10% की गिरावट के बाद उसे ‘करेक्शन’ की स्थिति में माना जाता है।
अक्टूबर में सेंसेक्स में 4,911 अंकों या 5.8% की गिरावट दर्ज की गई, और इस गिरावट का असर नवंबर में भी जारी रहा। पश्चिम एशिया में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव परिणाम को लेकर असमंजस, वैश्विक केंद्रीय बैंकों की नीतिगत कार्रवाइयों और घरेलू कंपनियों के तिमाही परिणामों में अपेक्षा से कम प्रदर्शन ने निवेशकों में चिंता बढ़ाई है।
जेपी मॉर्गन के यूएस इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट कमल तांबोली का कहना है कि अमेरिकी चुनाव परिणाम से जुड़े जोखिमों का पूरा आकलन अभी तक बाजार ने नहीं किया है। उनके अनुसार, विभिन्न पोलिंग डेटा और सट्टा बाजार में बदलाव को देखते हुए बाजार ने लाभ की संभावनाओं को तेजी से एडजस्ट किया है, लेकिन व्यापक आधार पर टैरिफ जैसे नकारात्मक प्रभावों को कम करके आंका है।
निरमल बंग के संस्थागत इक्विटीज के CEO राहुल अरोड़ा के अनुसार, घरेलू विकास दर में मंदी के बावजूद, भारत संभवतः सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा, जिससे अन्य उभरते बाजारों की तुलना में इसका प्रदर्शन कमजोर होने की संभावना कम है।
अरोड़ा का मानना है कि तरलता से भरे बाजार में रिकवरी तेज़ी से हो सकती है। वे सलाह देते हैं कि अच्छी कंपनियों के शेयरों को गिरावट के दौरान जमा करें और कुछ नकदी सुरक्षित रखें ताकि बेहतर रेट पर निवेश किया जा सके; हालांकि, नकदी का स्तर 5-7 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।