वित्त मंत्रालय न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता नियमों के अनुपालन की खातिर भारतीय जीवन बीमा निगम की हिस्सेदारी के विनिवेेश पर बाजार नियामक सेबी के साथ चर्चा करेगा। निवेश व सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने यह जानकारी दी।
पांडे ने कहा, बाजार नियामक सेबी और आर्थिक मामलों के विभाग के साथ दीपम 25 फीसदी न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता से छूट के लिए चर्चा करेगा। इसकी वजह यह है कि आईपीओ में एलआईसी की 5 फीसदी की हिस्सेदारी के विनिवेश को मौजूदा परिस्थिति में बाजार के लिए परेशानी भरा देखा जा रहा है।
पांडे ने कहा, आने वाले समय के लिए एलआईसी जैसी बड़ी कंपनी के लिए हम सेबी व आर्थिक मामलों के विभाग के साथ चर्चा करेंगे कि न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता के लिए क्या हो सकता है। यहां तक कि 5 फीसदी शेयरधारिता का विनिवेश अभी बाजार पर असर डालेगा। भविष्य में भी ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है और सरकार इससे वाकिफ है।
सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स रेग्युलेशन के मुताबिक, 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा वैल्यू वाली कंपनियों को सूचीबद्धता के पांच साल के भीतर अपनी सार्वजनिक शेयरधारिता कम से कम 25 फीसदी करनी होती है।
पांडे ने कहा, अगर इस अवधि में हिस्सेदारी का विनिवेश नहीं होता है तो समस्या खड़ी होगी। चूंकि एलआईसी का मूल्यांकन 6 लाख करोड़ रुपये है और अगर सूचीबद्धता के बाद मूल्यांकम में इजाफा होता है तो यह हर साल मेगा आईपीओ बन जाएगा।
सरकार साल में कम से कम एक बार एलआईसी की और हिस्सेदारी के विनिवेश पर विचार कर रही है। दीपम के संयुक्त संचिव आलोक पांडे ने कहा, सेबी के नियम के तहत सरकार को अगले छह महीने में कोई हिस्सेदारी बेचने की बाध्यता नहीं है, लेकिन सरकार ने स्वैच्छिक तौर पर अतिरिक्त छह महीने का विकल्प चुना है ताकि कम से कम एक साल में कोई एफपीओ न हो।
दीपम सचिव पांडे ने कहा, हमें 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए सेबी से विशेष छूट लेनी पड़ी। इसकी वजह यह है कि बड़ी कॉरपोरेट बाजार मेंं उतर रही है। हमेंं यह भी ध्यान रखना होगा कि यह सामान्य तौर पर बाजार पर क्या असर डालता है।
