13 जून को इजराइल ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया। इसके बाद अमेरिका ने भी वीकेंड में ईरान के तीन न्यूक्लियर साइट्स पर बमबारी की। यह कार्रवाई पहले से ही तय मानी जा रही थी क्योंकि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में ईरान को चेतावनी दी थी। अब माना जा रहा है कि हालात और बिगड़ सकते हैं क्योंकि अमेरिका और इजराइल मिलकर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई की सत्ता को गिराने की कोशिश कर सकते हैं। जवाब में ईरान भी कोई बड़ा कदम उठा सकता है।
कोटक अल्टरनेट एसेट मैनेजर्स के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट जितेंद्र गोहिल का कहना है कि जून महीने में अब तक ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत लगभग 18 फीसदी बढ़ चुकी है, लेकिन अब भी यह $80 प्रति बैरल से नीचे है। ईरान भले ही प्रतिबंधों में जकड़ा हो, लेकिन वह हर दिन 30 से 40 लाख बैरल तेल निकालता है और इसका ज़्यादातर हिस्सा चीन को भेजता है।
अब ईरान ने चेतावनी दी है कि वह होरमुज़ की खाड़ी को बंद कर सकता है, जो दुनिया के लगभग 26% तेल व्यापार का रास्ता है। इसके अलावा, वह अमेरिका के सैन्य अड्डों पर हमले या राजनयिक कदम भी उठा सकता है।
जितेंद्र गोहिल के मुताबिक, तेल की मौजूदा कीमतों में तनाव का असर पहले ही दिख चुका है। लेकिन अगर ईरान ने होरमुज़ को बंद किया या रूस भी इस विवाद में शामिल हुआ, तो कीमतें और बढ़ सकती हैं। हालांकि मिड से लॉन्ग टर्म में सप्लाई बढ़ने से कीमतें फिर से नीचे आ सकती हैं। रूस पहले से यूक्रेन में उलझा हुआ है और उसने सीरिया से अपनी सेनाएं वापस बुला ली हैं, जिससे वहां के नेता असद की सत्ता खतरे में पड़ गई है। चीन या खाड़ी के अन्य देश इस संघर्ष में सीधे शामिल होंगे, इसकी संभावना फिलहाल कम मानी जा रही है।
जितेंद्र गोहिल का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था तेल के दाम बढ़ने से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकती है। FY25 में भारत का क्रूड ऑयल इंपोर्ट बिल 137 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो जीडीपी का 3.7% है। इसके बावजूद भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति के चलते ज्यादा नुकसान नहीं होगा। रुपया पहले से ही कमजोर होने लगा है, जबकि डॉलर इंडेक्स 99 से नीचे है। आने वाले दिनों में रुपया और गिर सकता है, और आरबीआई की मुद्रा बाजार में दखल अहम रहेगी। लंबे समय के बॉन्ड्स की यील्ड कुछ समय के लिए बढ़ सकती है, लेकिन मिड और लॉन्ग टर्म में ये फिर से नीचे आ सकती हैं। ऐसे में यह निवेश के लिए अच्छा मौका हो सकता है।
भारतीय शेयर बाजारों में थोड़ी घबराहट जरूर आ सकती है, लेकिन बड़ी गिरावट की आशंका नहीं है। डिफेंस, IT और फार्मा सेक्टर अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं, जबकि बैंकिंग, लॉजिस्टिक्स और रियल एस्टेट जैसे सेक्टरों में थोड़ी कमजोरी आ सकती है। हालांकि लंबी अवधि के लिए इन सेक्टरों में गिरावट को खरीद का मौका माना जा सकता है। गोल्ड में निवेश की राय अब भी मजबूत है। डॉलर में फिलहाल कोई बड़ी ‘सेफ हेवन’ खरीदारी नहीं दिख रही है, जिससे गोल्ड और ज्यादा आकर्षक विकल्प बन गया है।
(डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट कोटक अल्टरनेट एसेट मैनेजर्स के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट जितेंद्र गोहिल के विचारों पर आधारित है। यह उनकी निजी राय है।)