अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दी है कि अगर क्षेत्र में जल्द शांति नहीं आई तो और सैन्य कार्रवाई की जाएगी। यह बयान उन्होंने शनिवार (अमेरिका स्थानीय समयानुसार) को ईरान के तीन परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज और इस्फहान—पर अमेरिकी ‘सटीक’ हमलों के बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से दिया।
व्हाइट हाउस से अपने संबोधन में ट्रंप ने कहा, “याद रखिए, अभी कई और ठिकाने बाकी हैं। आज रात का हमला अब तक का सबसे कठिन और शायद सबसे घातक रहा। लेकिन अगर जल्दी शांति नहीं आती, तो हम बाकी ठिकानों को भी सटीकता, गति और कुशलता से निशाना बनाएंगे।”
ट्रंप ने अमेरिकी सेना की ताकत की तारीफ करते हुए कहा, “ज्यादातर ठिकानों को हम कुछ ही मिनटों में खत्म कर सकते हैं। दुनिया की कोई भी सेना ऐसा नहीं कर सकती जो आज रात अमेरिका ने किया। इतिहास में कभी किसी सेना ने ऐसा प्रदर्शन नहीं किया।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब पश्चिम एशिया में तनाव अपने चरम पर है और अमेरिका-ईरान संबंध बेहद नाजुक स्थिति में पहुंच गए हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने रविवार (अमेरिकी समयानुसार) पेंटागन में एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस का ऐलान किया है। उन्होंने बताया कि इसमें अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ और ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के चेयरमैन, एयरफोर्स जनरल डैन केन हिस्सा लेंगे।
ट्रंप ने हाल ही में हुए हमले को लेकर प्रतिक्रिया दी और इसमें शामिल “सैन्य दिमागों” की सराहना की। उन्होंने कहा, “मैं इस हमले में रणनीति बनाने वाले सैन्य अधिकारियों का धन्यवाद करता हूं।”
ट्रंप ने इजरायली सेना और अमेरिका की सैन्य ताकत की खुले तौर पर तारीफ की है। उन्होंने हालिया सैन्य अभियान को “दुनिया के इतिहास में दशकों बाद देखा गया बड़ा ऑपरेशन” बताया। ट्रंप ने कहा, “मैं इजरायली सेना को उनके बेहतरीन काम के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं और खासतौर पर उन महान अमेरिकी देशभक्तों को बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने आज रात उन शानदार मशीनों को उड़ाया।”
उन्होंने अमेरिकी सेना की प्रशंसा करते हुए यह भी कहा कि उम्मीद है, भविष्य में ऐसी सैन्य कार्रवाई की जरूरत नहीं पड़ेगी। ट्रंप के मुताबिक, “मैं आशा करता हूं कि अब हमें इस तरह से उनकी सेवाएं नहीं लेनी पड़ेंगी।”
यह बयान उन्होंने उस घोषणा के दो दिन बाद दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि राजनयिक समाधान के लिए उन्होंने दो हफ्ते की एक खिड़की खोली है।
ट्रंप ने शनिवार रात (स्थानीय समयानुसार) व्हाइट हाउस से अपने संबोधन में दावा किया कि अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों को पूरी तरह नष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस सैन्य कार्रवाई का मकसद “परमाणु खतरे” को खत्म करना था, जिसे अब पूरा कर लिया गया है।
ट्रंप ने अपने संबोधन से कुछ घंटे पहले ‘ट्रुथ सोशल’ प्लेटफॉर्म पर लिखा था कि अमेरिका ने ईरान के तीन न्यूक्लियर फैसिलिटीज पर बमबारी की है। अपने संबोधन के अंत में ट्रंप ने कहा, “मैं सभी का धन्यवाद करता हूं, खास तौर पर ईश्वर का। हम ईश्वर से प्यार करते हैं और अपनी महान सेना से भी। हमारी सेना की रक्षा कीजिए। मिडिल ईस्ट को ईश्वर का आशीर्वाद मिले, आपको आशीर्वाद मिले और अमेरिका को आशीर्वाद मिले।”
CNN की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि अमेरिका ने ईरान के फोर्दो (Fordow) न्यूक्लियर साइट पर 6 B-2 बॉम्बर्स से कुल 12 ‘बंकर बस्टर’ बम गिराए। इसके अलावा, अमेरिकी नौसेना की पनडुब्बियों ने नतांज (Natanz) और इस्फहान (Isfahan) में दो अन्य ठिकानों पर कुल 30 TLAM क्रूज मिसाइलें दागीं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नतांज पर B-2 बॉम्बर से दो और ‘बंकर बस्टर’ गिराए गए।
इज़रायल और ईरान के बीच जारी संघर्ष शनिवार को नौवें दिन में पहुंच गया है। इस बीच अमेरिका ने इज़रायल का समर्थन करते हुए इस लड़ाई में खुलकर साथ देने की बात कही है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के फोर्डो (Fordow) स्थित भूमिगत स्थल और नतान्ज (Natanz) प्लांट उसके दो मुख्य यूरेनियम संवर्धन केंद्र हैं। इनमें से नतान्ज प्लांट पर इज़रायल ने इसी सप्ताह की शुरुआत में छोटे हथियारों से हमला किया था।
यह संघर्ष 13 जून को उस समय शुरू हुआ था जब इज़रायल ने ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हवाई हमला किया। इस कार्रवाई को ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ (Operation Rising Lion) नाम दिया गया था।
इसके जवाब में ईरान की इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने ‘ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3’ (Operation True Promise 3) चलाते हुए इज़रायल के फाइटर जेट के लिए ईंधन उत्पादन केंद्रों और ऊर्जा आपूर्ति इकाइयों को निशाना बनाकर बड़ी मिसाइल और ड्रोन कार्रवाई की।
(-एजेंसी इनपुट)