विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और अनिश्चित वैश्विक कारोबारी माहौल के कारण शेयर बाजारों में उतारचढ़ाव बरकरार है। ऐसे माहौल के बावजूद 12 कंपनियां इस महीने आईपीओ के जरिये 10,454 करोड़ रुपये जुटाने में कामयाब रही हैं। हालांकि पिछले दो महीनों में बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच झूल रहे हैं। लेकिन जुलाई और अगस्त इस साल के ऐसे सबसे सक्रिय महीने रहे हैं जिनमें क्रमशः 13 और 12 आईपीओ आए। इस महीने निफ्टी में अब तक 0.2 फीसदी, निफ्टी मिडकैप 100 में 1.1 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 2.3 फीसदी की गिरावट आई है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) इस महीने 17,101 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे हैं। इस तरह दो महीने में उनकी बिकवाली 40,000 करोड़ रुपये के पार चली गई है।
दो महीने की छोटी सी सुस्ती को छोड़ दें तो व्यापक प्राथमिक बाजार ने 2025 में स्थिर रफ्तार बनाए रखी है। इस दौरान 49 निर्गमों के जरिये 71,954 करोड़ रुपये जुटाए गए। विशेषज्ञों का कहना है कि इश्यू जारी करने वाली कंपनियों ने अपने आईपीओ की मंजूरी समाप्त होने के जोखिम से बचने के लिए तब भी आगे बढ़ना पसंद किया है जब परिस्थितियां कम अनुकूल थीं।
प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, एक परिदृश्य तब होता है जब किसी कंपनी को विस्तार या कर्ज घटाने के लिए रकम की तत्काल जरूरत होती है। दूसरा, जब बेचने वाले शेयरधारक बाहर निकलने पर जोर दे रहे हों। तीसरा, चूंकि आईपीओ प्रक्रिया अपने आप में तीन से चार साल की होती है और आखिर में जाकर नियामक की मंजूरी मिलती है, इसलिए कंपनियां प्रक्रिया को बाद में फिर से शुरू करने के बजाय लॉन्च करना पसंद करती हैं।
हल्दिया ने कहा कि इश्यू जारी करने वाली कंपनियां मूल्यांकन को लेकर ज्यादा लचीली हो गई हैं और कई बड़ी कंपनियों ने इश्यू का आकार घटाया है। इक्विरस कैपिटल के चेयरमैन और समूह प्रबंध निदेशक अजय गर्ग ने भी कहा कि सही आकार के आईपीओ को आगे बढ़ने में मदद मिल रही है।उदाहरण के लिए जेएसडब्ल्यू सीमेंट ने अपनी पेशकश का आकार 4,000 करोड़ रुपये से घटाकर 3,600 करोड़ रुपये कर दिया जबकि ब्लूस्टोन ज्वैलरी ने अपनी ताजा पेशकश 1,000 करोड़ रुपये से घटाकर 820 करोड़ रुपये कर दी और अपनी बिक्री पेशकश के हिस्से को 23.9 करोड़ शेयरों से घटाकर 1.39 करोड़ शेयर कर दिया।
अगस्त में तीन आईपीओ 1,000 करोड़ रुपये से कम के थे। विशेषज्ञों ने कहा कि मुश्किल वक्त से गुजर रहे बाजार में छोटे आईपीओ को निकल जाने में चुनौती नहीं होती। गर्ग ने कहा, आईपीओ की कीमतें उस मुकाम पर जा रही हैं जिसे बाजार उचित मानता है। छोटे इश्यू सिर्फ 3 से 5 बड़े निवेशकों की प्रतिबद्धताओं से ही पूरे हो सकते हैं जबकि बड़े इश्यू के लिए व्यापक भागीदारी की जरूरत होती है और अस्थिर हालात में ऐसा कर पाना मुश्किल होता है। हल्दिया ने कहा, हाल के ज्यादातर आईपीओ 1,000 करोड़ रुपये से कम के रहे हैं। हाल के वर्षों में घरेलू निवेशकों की जबरदस्त भागीदारी ने यह सुनिश्चित किया है कि ऐसे कई मध्यम या छोटे आकार के इश्यू को भारी एफपीआई मांग के बिना भी पर्याप्त समर्थन मिल रहा है।
एफपीआई जहां सेकंडरी यानी शेयर बाजार में आक्रामक बिकवाल रहे हैं, वहीं जब बात प्राथमिक सौदों की आती है तो उन्होंने लिक्विडिटी सपोर्ट भी दिया है। इस महीने एफपीआई ने शेयर बाजार में 21,079 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची है लेकिन वे 3,978 करोड़ रुपये के शुद्ध निवेश के साथ प्राथमिक बाजार में सक्रिय खरीदार बने हुए हैं।
आने वाले समय के लिए आईपीओ की कतार मजबूत दिख रही है। इस साल 100 से ज्यादा कंपनियों ने 1.6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाने के लिए सेबी के पास विवरणिका मसौदा (डीआरएचपी) जमा कराया है। हालांकि निवेश बैंकरों ने चेतावनी दी है कि बड़े आईपीओ के लिए राह चुनौतीपूर्ण हो सकती है। हल्दिया ने कहा, अगर अस्थिरता बनी रहती है और टैरिफ लड़ाई का हल नहीं निकलता है तो छोटे आईपीओ आते रहेंगे, लेकिन बड़े आकार के आईपीओ पर विराम लग सकता है।