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फरवरी में इक्विटी म्युचुअल फंडों में निवेश 26 फीसदी घटा

म्युचुअल फंडों की इक्विटी योजनाओं में निवेश फरवरी में मासिक आधार पर 26 फीसदी घटकर 29,303 करोड़ रुपये रह गया।

Last Updated- March 12, 2025 | 11:12 PM IST
Mutual Fund

म्युचुअल फंडों की इक्विटी योजनाओं में निवेश फरवरी में मासिक आधार पर 26 फीसदी घटकर 29,303 करोड़ रुपये रह गया। शुद्ध संग्रह लगातार दूसरे महीने घटा और यह अप्रैल 2024 के बाद सबसे कम रहा। म्युचुअल फंड अधिकारियों के मुताबिक निवेश में गिरावट की वजह मोटे तौर पर शेयर बाजार में उतारचढ़ाव को माना जा सकता है। लेकिन फरवरी में कम कार्यदिवसों का भी इस पर असर रहा।

टाटा ऐसेट मैनेजमेंट के चीफ बिजनेस अफसर आनंद वरदराजन ने कहा, हमने जोखिम का विरोधाभास देखा। जनवरी के मुकाबले इक्विटी निवेश में करीब 25 फीसदी की गिरावट आई। अहम यह है कि बाजार में इजाफा होने पर जोखिम बढ़ता है और बाजार गिरने पर घटता है। लेकिन निवेशकों का निवेश अक्सर अपने खुद के हिसाब से चलता है। उन्होंने कहा, एसआईपी निवेश में मामूली गिरावट की वजह फरवरी में दिनों की संख्या कम होने को माना जा सकता है।

एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों के अनुसार निवेशकों ने फरवरी में एसआईपी के माध्यम से म्युचुअल फंडों में 26,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जो पिछले महीने के 26,400 करोड़ रुपये से थोड़ा कम है। लगातार दूसरे महीने खातों की संख्या में कमी के बावजूद एसआईपी निवेश पर ज्यादा असर नहीं पड़ा। सक्रिय एसआईपी खातों की संख्या जनवरी में 10.27 करोड़ से घटकर फरवरी में 10.17 करोड़ रह गई। इन खातों में से 8.26 करोड़ ने पिछले महीने एसआईपी निवेश में योगदान दिया।

शेयर बाजार में गिरावट के बीच म्युचुअल फंडों में निवेश पर कुछ दबाव देखने को मिला है। फरवरी में बाजार में बिकवाली पिछले महीनों की तुलना में ज्यादा रही और बेंचमार्क निफ्टी 50 करीब 6 फीसदी गिरा। व्यापक बाजार सूचकांक निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में क्रमश: 11 फीसदी और 13 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई।

फंड अधिकारियों और विशेषज्ञों का कहना है कि इक्विटी में भारी गिरावट के बावजूद फरवरी में लगातार 48वें महीने इक्विटी फंडों में निवेश सकारात्मक रहा जो उद्योग के लिए अच्छा है। लेकिन आने वाले महीनों के आंकड़ों पर उद्योग जगत की नजर रहेगी क्योंकि फंड निवेश समग्र बाजार की स्थिरता के लिए अहम बना हुआ है।

मोतीलाल ओसवाल एएमसी के कार्यकारी निदेशक अखिल चतुर्वेदी ने कहा, बाजार में लगातार गिरावट के कारण बिक्री में कमी आई है। इसका आंशिक कारण फरवरी में महज 28 दिन रहना भी हो सकता है। निवेशक सावधानी बरत रहे हैं और निकट भविष्य में निवेश को स्थगित कर सकते हैं या टाल सकते हैं। इसके बावजूद करीब 30,000 करोड़ रुपये की शुद्ध आवक काफी अच्छी है और लंबी अवधि में संपत्ति सृजन के नजरिए से व्यापक धारणा आशावादी लगती है।

उन्होंने कहा, अब आवंटन का झुकाव मल्टी ऐसेट आवंटन, लार्जकैप और फ्लेक्सीकैप फंडों की ओर है। श्रेणी के स्तर पर स्मॉलकैप और मिडकैप फंडों ने निवेश आवक में काफी ज्यादा गिरावट का सामना किया। मिडकैप और स्मॉलकैप फंडों में फरवरी के दौरान क्रमश: 3,406 करोड़ रुपये और 3,722 करोड़ रुपये आए जबकि जनवरी में यह आंकड़ा 5,147 करोड़ रुपये और 5,720 करोड़ रुपये रहा था। अपेक्षाकृत कम जोखिम वाले फ्लेक्सीकैप फंडों ने लगातार दूसरे महीने 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हासिल किए।

व्यापक स्तर पर शुद्ध निवेश में गिरावट मुख्य रूप से सकल निवेश में तेज गिरावट की वजह से हुई जो जनवरी के 66,630 करोड़ रुपये के मुकाबले फरवरी में 54,429 करोड़ रुपये रह गया। निकासी भी मासिक आधार पर 7 फीसदी घटकर 26,942 करोड़ रुपये रह गया। फरवरी में डेट फंडों ने 6,525 करोड़ रुपये की निकासी का सामना किया जबकि पिछले महीने इसमें 1.28 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया था। कुल मिलाकर, उद्योग ने 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध निवेश हासिल किया।

एम्फी के मुख्य कार्याधिकारी वेंकट चलसानी ने कहा, फंड उद्योग लगातार सुदृढ़ता का प्रदर्शन कर रहा है जिसकी विभिन्न श्रेणियों में निवेशकों की निरंतर भागीदारी बनी हुई है। बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद शुद्ध निवेश 40,063 करोड़ रुपये रहा जो दीर्घकालिक संपत्ति सृजन में निवेशकों के भरोसे को दर्शाता है। फरवरी के अंत में फंड उद्योग की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 64.5 लाख करोड़ रुपये रहीं जो नवंबर के अंत में लगभग 68 लाख करोड़ रुपये के सर्वोच्च एयूएम से कम है।

 

First Published - March 12, 2025 | 10:58 PM IST

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