आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड में उप मुख्य निवेश अधिकारी (फिक्स्ड इनकम) मनीष बंठिया ने अभिषेक कुमार के साथ साक्षात्कार में बताया कि आरबीआई द्वारा मुद्रास्फीति लक्ष्य 4 से बढ़ाकर 6 प्रतिशत किए जाने से लंबी अवधि के फंडों का प्रतिफल ज्यादा आकर्षक नहीं रह गया है। उन्होंने इस बारे में विस्तार से बताया कि मौजूदा समय में निवेशकों को डायनेमिक बॉन्ड फंडों, क्रेडिट-रिस्क फंडों, और टार्गेट मैच्युरिटी फंडों (टीएमएफ) को क्यों पसंद करना चाहिए। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
क्या आप मानते हैं कि मुद्रास्फीति में नरमी आने से आरबीआई दर वृद्धि पर विराम लगाएगा?
हमारा मानना है कि आरबीआई अन्य 25 आधार अंक तक की वृद्धि के बाद ब्याज दर बढ़ोतरी पर विराम लगाएगा। यह उम्मीद इस तथ्य से पैदा हुई है कि केंद्रीय बैंक ब्याज दर के तटस्थ दायरे के करीब है।
क्या तीन से पांच साल के लिहाज से डेट फंड श्रेणी अच्छी है?
मौजूदा परिवेश में हम कम अवधि वाली योजनाओं में निवेश पसंद कर रहे हैं। तीन से पांच साल के नजरिये से हम डायनेमिक बॉन्ड और ऊंची यील्ड-टु-मैच्युरिटी (वाईटीएम) वाली क्रेडिट कैटेगरी पेशकशों को पसंद कर रहे हैं।
क्या प्रतिफल के लिहाज से बाजार आकर्षक हैं?
एक से दो वर्ष की अवधि निवेश परिदृश्य के नजरिये से ज्यादा आकर्षक है। आरबीआई द्वारा मुद्रास्फीति का लक्ष्य 4 से 6 प्रतिशत किए जाने से 10 वर्षीय बॉन्ड सिर्फ 8 प्रतिशत या इससे ऊपर ही आकर्षक माना जाएगा। इसके अलावा, 6 प्रतिशत की औसत मुद्रास्फीति के साथ, हमें नहीं लगता कि दरें आर्थिक मंदी बढ़ाने के लिए बाधक हैं। अर्थव्यवस्था में लगातार सुधार आने की संभावना है और संपूर्ण मौद्रिक नीति विकास अनुकूल होगी। इसलिए, पोर्टफोलियो में समय अवधि बढ़ाना मौजूदा परिवेश में उचित नहीं हो सकता है।
क्या आप मानते हैं कि निवेशक डेट फंडों की ओर लौट रहे हैं और प्रवाह गैर-नकदी योजनाओं में सकारात्मक हो रहा है?
कम ब्याज दरों का समय बीत चुका है। चूंकि दर चक्र तटस्थ हो रहा है, इसलिए हमारा नजरिया परिसंपत्ति वर्ग के तौर पर निर्धारित आय को लेकर बेहद सकारात्मक हो गया है। सभी श्रेणियों में पोर्टफोलियो वाईटीएम अब बेहद आकर्षक है। हमें उम्मीद है कि डेट फंडों के लिए निवेशक दिलचस्पी में बदलाव आएगा। मूल्यांकन के मानकों पर, निर्धारित आय वर्ग अन्य विकल्पों की तुलना में आकर्षक लग रहा है।
मनी मार्केट फंडों जैसे संक्षिप्त अवधि के फंडों का वाईटीएम पिछले कुछ समय से लगभग 7 प्रतिशत है। यह कितने समय तक बना रहेगा?
दरें मजबूत रहने की संभावना है, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया है और विकास की संभावना मजबूत बनी हुई है। हमारा मानना है कि आरबीआई दर वृद्धि पूरी हो जाने के बाद लंबे समय तक दरों पर विराम लगाएगा। इसके लिए उस बदलाव को मददगार माना जा रहा है जिससे भारत मौजूदा समय में गुजर रहा है।
इस साल टार्गेट मैच्युरिटी में कई पेशकश की गईं। फंड हाउस इज्यादा पसंद क्यों कर रहे हैं?
टीएमएफ बेहद आसानी से समझी जाने वाली योजनाएं हैं और जोखिम और प्रतिफल को समझने का स्पष्ट प्रोफाइल होता है। कुछ पारंपरिक गैर-एमएफ निर्धारित आय विकल्पों के मुकाबले टीएमएफ बेहतर हैं। यदि इनमें तीन साल से ज्यादा समय तक निवेश बरकरार रखा जाए तो निवेशकों को इंडेक्सेशन का लाभ मिलता है, जिससे कर-बाद प्रतिफल बढ़ जाता है और खासकर ऊंचे कर दायरे में आने वालों को मदद मिलती है।