भारत समेत चुनिंदा इलाकों में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम में सुधार से तीसरी तिमाही में वैश्विक आईपीओ को काफी मदद मिली है, जिसके कारण सौदे की संख्या व रकम के लिहाज से तीसरी तिमाही 20 साल की सबसे ज्यादा सक्रिय तिमाही रही है।
ईवाई ने एक नोट में कहा है, यूरोप, पश्चिम एशिया, भारत और दक्षिण अफ्रीका के आईपीओ बाजार में सुधार ने तीसरी तिमाही में वैश्विक आईपीओ को आगे बढ़ाने में मदद की। खास तौर सेयूरोप, भारत व तेल अवीव एक्सचेंजों का इसमें अहम योगदान रहा, साथ ही आईपीओ पेश करने वाली कंपनियों ने पूंंजी जुटाने में संभावित अमेरिकी बॉन्ड खरीद कार्यक्रम समाप्त होने से पहले तत्परता दिखाई।
ईवाई के मुताबिक, 2021 की तीसरी तिमाही में 547 आईपीओ के जरिये 106.3 अरब डॉलर जुटाए गए। तीसरी तिमाही में 18 फीसदी ज्यादा सौदे दर्ज हुए और इससे पहले साल 2007 की तीसरी तिमाही में रिकॉर्ड बना था। साथ ही 2020 की तीसरी तिमाही के पिछले रिकॉर्ड के मुकाबले 11 फीसदी ज्यादा रकम जुटाई गई।
इस साल अब तक कुल 1,635 आईपीओ के जरिये 330.7 अरब डॉलर जुटाए गए हैं। भारत में इस साल अब तक 72 आईपीओ के जरिये 9.7 अरब डॉलर जुटाए गए हैं, जो पिछले 20 साल में पहले नौ महीने का सर्वोच्च आंकड़ा है।
क्षेत्र के लिहाज से देखें तो भारतीय आईपीओ बाजार में तीसरी तिमाही के दौरान विशाखित औद्योगिक उत्पादों का वर्चस्व रहा और इसके आठ इश्यू आए। उसके बाद तकनीक क्षेत्र का स्थान रहा, जिसके पांच आईपीओ पेश हुए। रकम के लिहाज से तीन सबसे बड़े आईपीओ थे जोमैटो, नूवोको विस्टाज और केमप्लास्ट सनमार।
ईवाई के लीडर (इमर्जिंग मार्केट, टेक्नोलॉजी, मीडिया व टेलीकॉम) प्रशांत सिंघल ने कहा, अगली तिमाही का परिदृश्य सकारात्मक बना हुआ है और कई आईपीओ पेश हो सकते हैं।
ईवाई ने कहा, भविष्य की कुछ अनिश्चितताएं हैं, जो बाजार में उतारचढ़ाव में इजाफा कर सकते हैं और कामयाब आईपीओ के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है। इनमेंं भूराजनैतिक तनाव, नियामकीय बदलाव, महंगाई का जोखिम और अमेरिकी फेडल रिजर्व की तरफ से बॉन्ड खरीद कार्यक्रम में नरमी शामिल है। इसके अलावा कोविड के नए संस्करण वैश्विक आर्थिक रिकवरी को अवरोधित कर रहे हैंं और ज्यादातर क्षेत्र प्रभावित हुए हैं।
ईवाई ने कहा, आईपीओ के मामले में गंभीर कंपनियों को यथासंभव जल्द से जल्द तैयारी शुरू करनी चाहिए और तत्काल बाजार में पेश करने के लिए तैयार रहना चाहिए।