दुनिया भर के बाजारों में फैले मंदी के माहौल के बावजूद एशिया की दो सबसे बड़ी आर्थिक ताकतें भारत और चीन अगले दो सालों में आठ फीसदी या फिर उससे ज्यादा की रफ्तार से तरक्की करेंगीं।
यह कहना है ग्लोबल रेटिंग एजेंसी एस ऐंड पी के ताजा अध्ययन का।एशियन रीसाइलेंस एमिड ग्लोबल टर्बुलेंस नाम की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया की इन ताकतों की वजह से ही अमेरिका की मंदी का असर एशिया पर ज्यादा नहीं पड़ सकेगा।
तीन सबसे बड़ी आर्थिक ताकतों में से दो भारत और चीन की आर्थिक विकास की रफ्तार काफी तेज है और अगले दो साल में ही ये आठ फीसदी या उससे ज्यादा की रफ्तार से विकसित होंगी। एस ऐंड पी के एशिया पैसिफिक के चीफ इकोनॉमिस्ट सुबीर गोकर्न के मुताबिक यही दोनों देश इस पूरे क्षेत्र तो मूमेंटम देंगे।
हालांकि एशिया पैसिफिक की ग्रोथ की रफ्तार कुछ धीमी पड़ सकती है लेकिन 2008 और 2009 में ये क्षेत्र अच्छी रफ्तार से बढ़ेगा। और भारत और चीन का इसमें बड़ा योगदान होगा। एस ऐंड पी के मुताबिक इस क्षेत्र के विकास की एक बडी वजह होगी कि इस क्षेत्र में आर्थिक समन्वय और ग्रोथ के अवसरों को पूरी तरह से भुनाने के काबिलियत है।
इस क्षेत्र की ट्रेड पॉलिसी से ही इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। इस क्षेत्र में अंतर क्षेत्रीय व्यापार और सीमा करार में भी खासा इजाफा हुआ है।लेकिन गोकर्न ने साथ इस बात से भी सतर्क किया है कि अगर अमेरिकी मंदी लंबी चली तो यह जाहिर तौर पर इस क्षेत्र पर भी असर डालेगा इसके अलावा खाद्य पदार्थों और तेल की कीमतों में इजाफे का भी इस क्षेत्र की आर्थिक रफ्तार पर असर पड़ सकता है।
उन्होने कहा कि इस क्षेत्र को सीधा खतरा खाने के सामानों और एनर्जी की कीमतों से है जो इस क्षेत्र के विकास को अगले कुछ सालों में प्रभावित कर सकता है और इस क्षेत्र के आकाओं के लिए इन चुनौतियों से निपटने की रणनीति बनाना ही सबसे अहम काम होगा।