आईसीआईसीआई वेंचर फंड प्रबंधन अपना 1.5 अरब वाले रियाल्टी फंड की लिस्टिंग लंदन स्टॉक एक्सचेंज यानी एलएसई में करने की योजना बना रहा हैं।
सूत्रों के मुताबिक फंड हाऊस ने रियाल्टी फंड अपने दस्तावेजों में इस बात की फ्लेक्सिबिलिटी रखेगा कि वह इसे कभी भी एलएसई में लिस्ट करा सके। संपर्क करने पर,आईसीआईसीआई के प्रवक्ता ने इस पर कोई कमेंट करने से मना कर दिया।
मौजूदा स्थिति में फंड हाऊस रियल एस्टेट और पीई फंड दोनों के लिए दस्तावेट तैयार कर रहा है। ऐसा पहली बार होगा कि देश के सबसे बड़े पीई फंड ने इस तरह का ऑप्शन रख रहा है। इस बाबत घरेलू पीई फंड के कार्यकारी निदेशक का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पीई अपने फंडों को लिस्ट करवाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। अगर यह क्लोज इंडेड फंड हुआ तो निवेशकों को इसकी मैच्योर होने तक इंतजार करना होगा।
हालांकि,अगर लिस्टिंग ऑप्शन दस्तावेज में ही बन सका तो फिर पीई फंड किसी भी भविष्य की तारीख में इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसके साथ साथ अगर पीई फंड अपने निवेशकों की संख्या में हेज फंड और हाई नेट वर्थ के जरिए इजाफा करना चाहते हैं तो फिर लिस्टिंग एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। खासकर,जो निवेशक संस्थागत निवेश के बजाए पहले वाले निवेश को बरकरार रखना ज्यादा मुफीद समझते हैं।
मालूम हो कि लंदन अल्टरनेटिव इंवेस्टमेंट मार्केट से कई रियल एस्टेट फंडों ने पैसे जुटाए हैं। लिहाजा भारतीय कंपनियों के लिए पैसा जुटाने के लिहाज से बेहतर प्लेटफॉर्म साबित होता रहा है। बात अगर प्रस्तावित 1.5 अरब वाले रियल एस्टेट फंड की बात करें तो यह अपने रिहायशी और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिहाज से यूरोप पश्चिमी एशिया समेत अमेरिका से ज्यादा पैसे जुटाने में सफल साबित हो सकेगा क्योंकि यह इस काम में डॉयचे बैंक सहित मार्गन स्टैनली के साथ होड़ में है।
पिछले महीने ही डॉयचे बैंक ने भारत में वैश्विक विकल्प कारोबार सेवा और विकल्प निवेश लांच किया है। इन दोनों के जरिए भारत में तेजी से बढ़ते रियल एस्टेट बाजार में अगले तीन सालों में 1 अरब से ज्यादा का निवेश करेगा। उधर एजेंसियों से मिली खबरों के मुताबिक वैश्विक पूंजी बाजार में जारी मंदी के बावजूद लंदन स्टॉक एक्सचेंज के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट मार्केट यानी एआईएम में शामिल भारत केंद्रित कंपनियों के मार्केट कैप में पांच फीसदी का उछाल दर्ज किया है।
इन कंपनियों का मार्केट कैप उछलकर छह अरब डॉलर को पार कर गया है। गौर करने लायक बात यह है कि 31 मई तक भारत केंद्रित कंपनियों का कुल मार्केट कै पटाइलेजशन 6.64 अरब डॉलर का था,जो उससे पिछले महीने के मुकाबले 4.89 फीसदी ज्यादा था। इस बारे में एक वैश्विक परामर्शदाता फर्म ग्रांट थोर्नटन का कहना है कि इन कंपनियों के 31 मई तक मार्केट कैपटलाइजेशन के लिए औसत जोखिम 60 फीसदी को छू चूका है।
जबकि अप्रैल 2008 तक यह आंकड़ा कुल 52 फीसदी का था। जाहिर है कि मंदी होने के बावजूद भारत केंद्रित कंपनियों से पॉजिटिव रिटर्न हासिल हुए हैं। इन भारत कें द्रित 23 कंपनियों में मई 2008 में मार्टिस और ओपीजी पावर वेंचर पीआईसी लिस्टेड हुए थे और ओपीजी ने इसके जरिए कुल 6 करोड़ और 50 लाख पाउंड जुटाए थे।
आईसीआई वेंचर भारत का सबसे बड़ा पीई फंड हाऊस है और इस वक्त कुल 2.5 अरब की परिसंपत्तियों का प्रबंधन करता है।
देश के सबसे बड़े पीई फंड ने दो फंडों के लिए कुल 3 अरब रुपये जुटाने की योजना तैयार की है।