वित्तीय वर्ष 2024-25 (FY25) में भारतीय कंपनियों ने इक्विटी और कर्ज (डेट) के जरिए अब तक का सबसे ज्यादा फंड जुटाया। Primedatabase.com के आंकड़ों के अनुसार, कंपनियों ने इस साल कर्ज के जरिए 11.1 लाख करोड़ रुपये जुटाए। इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (InvITs) और रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (ReITs) से जुटाई गई राशि भी शामिल है।
कर्ज (Debt) के जरिए कितना फंड आया?
कंपनियों ने प्राइवेट कर्ज (Private Debt Placement) के जरिए 11,04,331 करोड़ रुपये और पब्लिक बॉन्ड (Public Bond Issuance) से 8,044 करोड़ रुपये जुटाए। हालांकि, पब्लिक बॉन्ड इश्यू में गिरावट आई है। FY24 में 48 पब्लिक बॉन्ड इश्यू से 20,787 करोड़ रुपये आए थे, जबकि इस साल सिर्फ 44 इश्यू से 8,044 करोड़ रुपये जुटाए गए।
इस दौरान सबसे बड़ा पब्लिक बॉन्ड इश्यू मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज का था, जिसने 1,000 करोड़ रुपये जुटाए।
प्राइवेट कर्ज बाजार में तेजी
प्राइवेट कर्ज बाजार (Private Debt Placement) से कंपनियों ने 10.79 लाख करोड़ रुपये जुटाए, जो पिछले साल के 10.20 लाख करोड़ रुपये से 6% ज्यादा है। इस साल सबसे ज्यादा फंड नाबार्ड (NABARD) ने 72,388 करोड़ रुपये, REC ने 57,826 करोड़ रुपये, और PFC ने 50,077 करोड़ रुपये जुटाए। इसके अलावा, InvITs और ReITs के 19 प्राइवेट कर्ज सौदों से 25,585 करोड़ रुपये आए।
इक्विटी के जरिए निवेश में भारी उछाल
FY25 में कंपनियों ने इक्विटी के जरिए कुल 3.71 लाख करोड़ रुपये जुटाए, जो पिछले साल के 1.9 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 92% ज्यादा है। अगर 16,167 करोड़ रुपये के राइट्स इश्यू (InvITs और ReITs समेत) को भी जोड़ दें, तो यह आंकड़ा 3.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाता है।
इस साल 78 कंपनियों ने IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) के जरिए 1.62 लाख करोड़ रुपये जुटाए, जो FY24 के 61,922 करोड़ रुपये से 2.5 गुना ज्यादा है।
FY25 के टॉप IPOs
सबसे छोटा IPO क्रोनॉक्स लैब साइंसेज (Kronox Lab Sciences) का था, जिसने 130 करोड़ रुपये जुटाए। इस साल औसत डील साइज 2.5 गुना बढ़कर 2,082 करोड़ रुपये हो गई, जो पिछले साल 815 करोड़ रुपये थी।
IPOs को जबरदस्त रिस्पॉन्स
78 में से 56 IPO को 10 गुना से ज्यादा सब्सक्रिप्शन मिला, जिनमें से 33 IPOs को 50 गुना से ज्यादा का सब्सक्रिप्शन मिला। सबसे ज्यादा रिटेल निवेशकों के आवेदन Waaree Energies (70.13 लाख), Bajaj Housing Finance (58.66 लाख) और KRN Heat Exchanger & Refrigeration (55.23 लाख) को मिले। हालांकि, IPO में रिटेल निवेशकों की हिस्सेदारी पिछले साल के 27% से घटकर 25% रह गई।
IPOs ने निवेशकों को कितना फायदा दिया?
आगे की IPO पाइपलाइन कैसी है?
फिलहाल, 49 कंपनियों को SEBI से मंजूरी मिल चुकी है और वे 84,000 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी में हैं। इसके अलावा, 67 कंपनियां करीब 1.02 लाख करोड़ रुपये जुटाने के लिए SEBI की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं। हल्दिया ने कहा कि IPO बाजार के बारे में यह धारणा गलत है कि वे हमेशा ओवरप्राइस होते हैं और लंबी अवधि में रिटर्न नहीं देते। FY19 से अब तक IPOs ने औसतन 300%, 257%, 71%, 75%, और 42% का रिटर्न दिया है।
कुल मिलाकर… FY25 में भारतीय कंपनियों ने इक्विटी और कर्ज दोनों से रिकॉर्ड फंड जुटाया। IPOs को जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला और निवेशकों को भी अच्छा फायदा हुआ। अब सभी की नजरें FY26 के IPOs और फंडरेजिंग पर हैं, जिसमें और भी बड़े सौदे देखने को मिल सकते हैं।