बैलेंस्ड या एग्रेसिव हाइब्रिड फंडों में पिछले साल ज्यादातर समय बिकवाली बनी रही। इन फंडों के सुस्त प्रदर्शन और निवेशकों को गलत जानकारी देकर बिक्री बढ़ाने के प्रयासों के बीच निवेशकों ने अपनी पूंजी निकालने पर जोर दिया। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़े से पता चलता है कि पिछले साल इस श्रेणी में 24,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी देखी गई। प्लान रुपी इन्वेस्टमेंट सर्विसेज के संस्थापक अमोल जोशी ने कहा, ‘बैलेंस्ड फंडों में बिकवाली हुई और इन्हें ‘सुरक्षित’ उत्पादों के तौर पर गलत तरीके से पेश किया गया।’ हालांकि पिछले साल बाजार की गिरावट की वजह से पूंजी में बड़ी गिरावट को बढ़ावा मिला, जिससे निवेशकों ने ऐसे फंडों से निकलना ही मुनासिब समझा। बड़ी तादाद में निवेशकों ने इस अनुमान के साथ ही निवेश किया था कि उन्हें लगातार लाभांश मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
फंडों को वितरकों द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर दी गई जानकारी के साथ भी भी बेचा गया, खासकर कई बैंक शाखाओं ने निवेशकों को लुभाकर इन फंडों की खरीदारी के लिए तैयार किया था। इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि इन्हें ऐसे उत्पादों के तौर पर बेचा गया जो निरंतर लाभांश मुहैया करा सकते हैं।
बाजार में अच्छी तेजी के साथ पिछले कुछ महीनों में इन फंडों का प्रदर्शन सुधरा है। पिछले एक साल में, एग्रेसिव और बैलेंस्ड हाइब्रिड फंडों ने 14.1 और 11.2 प्रतिशत का प्रतिफल मुहैया कराया। हालांकि इनमें बिकवाली बरकरार रही और दिसंबर में 3,900 करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी दर्ज की गई, जो 2020 में सर्वाधिक थी।
इन फंडों में निकासी की अन्य वजह लाभांश पर कर संबंधी बदलाव है। पिछले साल के बजट में लाभांश को निवेशकों के हाथ में कर योग्य बनाया गया था, जिससे यह उनकी आय में जुड़ जाएगा और उनके स्लैब की दर के हिसाब से इस पर कर लगेगा। यह 30 प्रतिशत कर दायरे वाले लोगों के लिए नकारात्मक होगा। यही वजह है कि उद्योग दिग्गजों का मानना है कि इन फंडों में बड़े निवेशकों द्वारा बिकवाली देखी जा रही है।
पिछली व्यवस्था में , इक्विटी फंड लाभांश पर 11.65 प्रतिशत का लाभांश वितरण कर (डीडीटी) लगता था और डेट फंड लाभांश पर 29.12 प्रतिशत डीडीटी (अधिभार और उपकर समेत) लागू था। एक बार डीडीटी काटे जाने के बाद निवेशक के हाथ में लाभांश कर-मुक्त था। एम्फी के मुख्य कार्याधिकारी एन एस वेंकटेश ने कहा, ‘पिछले साल लाभांश पर कर व्यवस्था में बदल से ये फंड प्रभावित हुए हैं। साथ ही, फंड प्रदर्शन से नाराज निवेशकों ने भी इनसे बाहर निकलने का रास्ता अपनाया।’ हाइब्रिड फंड मुख्य तौर पर इक्विटी और डेट में निवेश करते हैं। जहां इक्विटी में लंबी अवधि के दौरान ज्यादा प्रतिफल की संभावना रहती है, वहीं परिसंपत्ति वर्ग के तौर पर डेट योजनाएं नियमित आय हासिल करने में मदद कर सकती हैं।बैलेंस्ड हाइब्रिड फंड, इक्विटी और डेट, दोनों में न्यूनतम 40 प्रतिशत और अधिकतम 60 प्रतिशत निवेश करते हैं। इन फंडों का मकसद इक्विटी में निवेश के जरिये दीर्घावधि पूंजीवृद्घि और डेट आवंटन के जरिये जोखिम को संतुलित बनाना होता है।
एग्रेसिव हाइब्रिड योजनाओं में न्यूनतम 65 प्रतिशत और अधिकतम 80 प्रतिशत निवेश इक्विटी में और 20-35 प्रतिशत निवेश डेट में करना अनिवार्य होता है। इन योजनाओं का मकसद डेट के लिए छोटे आवंटन के जरिये कम जोखिम पर ज्यादा प्रतिफल मुहैया कराना होता है।