भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) में कथित एचएनआई यानी अमीर निवेशकों के लिए कीमत निर्धारण और शेयर आवंटन प्रक्रियाओं के लिए नई रूपरेखा पर विचार किया है।
सोमवार को जारी परामर्श पत्र में नियामक ने छोटे आकार की बोलियां सौंपने वाले निवेशकों के हित को ध्यान में रखने के लिए एचएनआई के लिए श्रेणी के अंदर श्रेणी बनाए जाने का प्रस्ताव रखा है। न्यूनतम पांच प्रतिशत कीमत दायरे (लोअर और अपर बैंड के बीच अंतर) के प्रस्ताव पर भी विचार किया गया है।
सेबी ने आईपीओ के दौरान बड़े एचएनआई की वजह से छोटे निवेशकों को होने वाली चिंता पर ध्यान दिया है। एचएनआई श्रेणी को दो भागों में विभाजित करने का प्रस्ताव रखा गया है। पहली श्रेणी 2 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के दायरे में आवेदन सौंपने वालों के लिए होगी। वहीं दूसरी श्रेणी 10 लाख रुपये या उससे ऊपर के आवेदन सौंपने वाले एचएनआई के लिए होगी।
मौजूदा समय में, आईपीओ निवेशकों को तीन प्रमुख श्रेणियों में रखा गया है। पहली श्रेणी में वे संस्थागत निवेशक शामिल हैं जिनका आईपीओ में शेयर बिक्री का 50 प्रतिशत रिजर्व हो। दूसरी और तीसरी श्रेणियां गैर-संस्थागत निवेशकों (एनआईआई) और रिटेल यानी छोटे निवेशकों की हैं। 2 लाख रुपये से कम के आवेदन सौंपने वाले निवेशक रिटेल श्रेणी में हैं और उनके लिए 35 प्रतिशत आरक्षित है।
सेबी द्वारा जनवरी 2018 से अप्रैल 2021 के बीच ज्यादा अभिदान वाले आईपीओ से संबंधित विश्लेषण से पता चला है कि 29 आईपीओ के मामलों में एचएनआई श्रेणी के करीब 60 प्रतिशत आवेदकों को कोई आवंटन हासिल नहीं हुआ। कुछ मामलों में, 75 लाख रुपये जैसे बड़ी रकम के आवेदन भी आवंटन पाने में विफल रहे। सेबी ने एक चर्चा पत्र में कहा है, ‘यह उम्मीद की जाती है कि किसी सार्वजनिक पेशकश का मकसद रिटेल और गैर-संस्थागत स्तर पर समान अवसर मुहैया कराना होना चाहिए। आनुपातिक आवंटन की मौजूदा व्यवस्था कुछ खास जोखिम से भरी होती है, जिसमें कुछ एनआईआई द्वारा बड़े आवेदन किए जाते हैं जिसकी वजह से अन्य एनआईआई को मौका नहीं मिल पाता है।’
सेबी ने इस बारे में बाजार से सुझाव मांगे हैं कि कैसे एचएनआई श्रेणी को विभाजित किया जाना चाहिए। नियामक ने एचएनआई श्रेणी को आनुपातिक आधार से बदलकर कई लॉट में आवंटन के संबंध में बदलाव के लिए भी प्रस्ताव रखा है।
नियामक बाजार के सुझावों के आधार पर प्रस्तावित बदलावों पर अंतिम निर्णय लेगा।
उद्योग के कारोबारियों का कहना है कि एचएनआई आईपीओ आवंटन प्रक्रिया में सुझाए जाने वाले बदलावों से इस श्रेणी में निवेशकों द्वारा आवेदन सौंपने की प्रक्रिया में बड़ा अंतर आ सकता है।
कीमत दायरा
मौजूदा नियमों के तहत, आईपीओ को या तो बुक बिल्डिंग या निर्धारित कीमत व्यवस्था के तहत लाया जा सकता है। बुक बिल्डिंग प्रक्रिया में, आईपीओ लाने वाली कंपनी कीमत दायरा पेश करती है और निर्णायक निर्गम कीमत मांग के आधार पर तय होती है। अपर और लोअर एंड के बीच 20 प्रतिशत का अधिकतम अंतर निर्धारित है। हालांकि कोई न्यूनतम अंतर नहीं होने से कई आईपीओ में उनके अपर और लोअर ऐंड के बीच महज 1 रुपये का अंतर होता है।
