वैश्विक वित्तीय बाजारों के लिए पिछले कुछ सप्ताह उथल-पुथल भरे रहे हैं क्योंकि वे अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की ओर से सख्त टैरिफ के लिए तैयार हो रहे हैं। रोजर्स होल्डिंग्स के चेयरमैन जिम रोजर्स ने पुनीत वाधवा को एक वीडियो साक्षात्कार में बताया कि उन्होंने दुनिया भर के लगभग हर बाजार में अपना शेयर बेच दिया है। अगर भारतीय बाजार में और गिरावट आती है और निवेशक उदास, चिंतित और हताश हो जाते हैं तो वे शायद फिर से भारतीय शेयर खरीदेंगे। मुख्य अंश…
आप ट्रंप के अब तक के कार्यकाल और वैश्विक वित्तीय बाजारों पर इसके प्रभाव का मूल्यांकन कैसे करते हैं? क्या आपको उम्मीद है कि वह अपनी टैरिफ धमकियों पर अमल करेंगे या यह सिर्फ डराने की रणनीति है?
ट्रंप के साथ स्थिति का मूल्यांकन करना मुश्किल है क्योंकि उन्हें नहीं पता कि वे क्या चाहते हैं। वे हर दिन और हर हफ्ते अपनी राय बदलते हैं। हम जानते हैं कि उन्होंने अतीत में क्या कहा और क्या किया है, इसलिए हमें कुछ हद तक अंदाजा है कि वे क्या कर सकते हैं और क्या नहीं।
ट्रंप के बारे में मेरा आकलन यह है कि वह वही करेंगे जो उन्हें उस दिन या सप्ताह के लिए अच्छा लगेगा। वह जो कुछ कहते और करते हैं, उनमें से कुछ चीजें अमेरिका के लिए अच्छी हैं, जबकि कुछ नहीं। उन्होंने कहा है कि वह कुछ प्रतिबंध और विनियमन हटा देंगे, जिसके बारे में मुझे उम्मीद है कि वह ऐसा करेंगे। वह व्यापार भी खोलेंगे, लेकिन उन लोगों के लिए प्रतिबंधित रखेंगे, जिन्हें वह पसंद नहीं करते। मुझे लगता है कि दुनिया और अमेरिका को एक जटिल भविष्य का सामना करना पड़ेगा क्योंकि ट्रंप को नहीं पता कि वह क्या चाहते हैं। उनके विचार हमेशा बदलते रहते हैं और यह जटिल है।
संक्षेप में क्या आप सोचते हैं कि वह अमेरिका के लिए अच्छे हैं और वैश्विक वित्तीय बाजारों के लिए बुरे?
अमेरिका में लंबे समय तक शेयर बाजार के खराब रहने के बाद ट्रंप चुने गए हैं। अब बाजार अपेक्षाकृत बेहतर हैं, क्योंकि वहां नेतृत्व परिवर्तन हुआ है। अमेरिकी इतिहास में यह सबसे लंबा समय रहा है जब कोई समस्या नहीं रही। मुझे लगता है कि हमें जल्द ही बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इन समस्याओं का कारण कौन है – चाहे वह ट्रंप हो या कोई और। ऐसा कहा जाता है कि वॉशिंगटन, भारत जैसी जगहों के लिए खुला हुआ है, क्योंकि उन्हें वहां बहुत सारे बदलाव होते हुए दिखाई दे रहे हैं। अगर मैं सही हूं तो ये बदलाव भारत और अमेरिका दोनों के लिए अच्छे होंगे।
अगले छह से 12 महीनों में आप वैश्विक बाजारों का कैसा स्वरूप देखते हैं? भारत के बारे में आपकी क्या राय है?
मैंने अपने सभी अमेरिकी शेयर पहले ही बेच दिए हैं, लेकिन मैंने अभी तक वहां शॉर्ट सेल शुरू नहीं किया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हालात इतने खराब नहीं हैं कि मैं अमेरिकी बाजारों में शॉर्ट सेल करूं। अमेरिका समेत पूरी दुनिया में समस्याओं का दौर शुरू होना है क्योंकि हाल ही में दुनिया भर के लगभग सभी शेयर बाजारों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। उदाहरण के लिए, भारत को ही देख लीजिए। मैंने अपने जीवन में कई बार भारत में निवेश किया है। हालांकि यह पहली बार है जब मुझे लगता है कि नई दिल्ली में बैठी केंद्र सरकार वास्तव में भारतीय अर्थव्यवस्था को समझती है और जानती है कि क्या किया जाना चाहिए। मैं भारत को लेकर पहले से ज्यादा आशावादी हूं। पहली बार मैं भारत को लेकर उत्साहित हूं।
दुनिया भर में कौन से अन्य इक्विटी बाजार आपको आकर्षक लगते हैं? आप कहां निवेश कर रहे हैं?
मुझे ऐसे बाजार खरीदना पसंद नहीं है जो सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच रहे हों। एक नियम के रूप में अगर बाजार में गिरावट हो रही है और निवेशक चिंतित नहीं हैं तो मैं नहीं खरीदता। इसलिए अगर भारतीय बाजार में गिरावट होती है और निवेशक उदास, चिंतित और हताश हो जाते हैं तो मैं शायद भारतीय शेयर खरीदूंगा। मैंने चीन और उज्बेकिस्तान को छोड़कर दुनिया के लगभग हर शेयर बाजार से बिकवाली की है। मैंने जापानी शेयर बहुत जल्दी बेच दिए, लेकिन वह मेरी रणनीति थी। मेरे पास मुख्य रूप से चीनी शेयरों का स्वामित्व है क्योंकि कोविड-19 महामारी के बाद उनमें कोई खास सुधार नहीं हुआ है। वे चीजों को बदलने और सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।
पिछले कुछ महीनों में हुई तेज गिरावट के बाद आप भारत में निवेश क्यों नहीं कर रहे हैं?
मैं अभी भारतीय शेयर नहीं खरीद रहा हूं। भारतीय शेयर बाजार वैश्विक घटनाक्रमों खास तौर पर ट्रंप से जुड़े घटनाक्रमों पर ज़रूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया जता रहा है। फिर भी अगर भारतीय बाजार में आगे भी गिरावट आती है तो मुझे उम्मीद है कि मैं फिर से वहां शेयर खरीदूंगा। मैं चाहता हूँ कि भारतीय शेयर बाजार और नीचे जाए तभी मैं खरीदना शुरू करूं।
भारतीय शेयर बाजार 2024 में अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गए। अब मुझे खरीदारी शुरू करने से पहले भारतीय बाजारों में गंभीर गिरावट और निराशा देखने की जरूरत है। जब लोग भारतीय बाजारों को लेकर हताश हो जाएं तब मैं फिर से वहां शेयर खरीदना चाहूंगा।