Metal stocks: मेटल इंडस्ट्री इस समय डिमांड और सप्लाई के असंतुलन से जूझ रही है। इससे इस सेक्टर की निकट भविष्य की ग्रोथ को लेकर चिंता बढ़ गई है। इसके अलावा अमेरिका और चीन के बीच व्यापार समझौतों में आ रहे उतार-चढ़ाव ने और भी अनिश्चितता पैदा कर दी है। इसी वजह से विश्लेषक मेटल सेक्टर को लेकर फिलहाल सतर्क दिखाई दे रहे हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि ज्यादा सप्लाई, कमजोर मांग और अमेरिकी डॉलर की मजबूती, इन तीन वजहों से मेटल की कीमतों पर दबाव रह सकता है। इसका असर मेटल कंपनियों के शेयरों पर भी पड़ेगा, जो आने वाले महीनों में सीमित दायरे में ही रह सकते हैं।
Wealth Mills Securities की इक्विटी स्ट्रैटजी डायरेक्टर क्रांति बथिनी का कहना है, “मेटल स्टॉक्स निकट और मध्यम अवधि में रेंज में ही रहेंगे,”
मेटल कंपनियों की कमाई सीधे मेटल के दाम पर निर्भर करती है। जब कीमतें बढ़ती हैं तो हर यूनिट पर कमाई बढ़ती है, लेकिन जैसे ही दाम गिरते हैं, प्रॉफिट घटता है और शेयर प्राइस भी नीचे आता है। International Copper Study Group (ICSG) के मुताबिक, साल 2025 में दुनिया में कॉपर की सप्लाई 2.89 लाख टन ज्यादा होगी, जो 2024 की तुलना में दोगुनी है। इसका मुख्य कारण नई माइनिंग और स्मेल्टिंग फैसिलिटीज है।
वहीं, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार को लेकर चल रहे अनिश्चित हालात की वजह से कॉपर की डिमांड घट सकती है। 2025 में रिफाइंड कॉपर की खपत 2.4% बढ़ने का अनुमान है, जो पहले के 2.7% अनुमान से कम है। चीन में कॉपर की खपत में कमी आने के कारण 2026 में यह ग्रोथ और गिरकर 1.8% हो सकती है
चीन मेटल्स का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। ऐसे में अमेरिका-चीन के बीच व्यापार तनाव का असर मेटल की डिमांड और कीमतों पर साफ दिख रहा है। Motilal Oswal की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में घोषित टैरिफ पहले से कम सख्त हैं, लेकिन फिर भी यह ग्लोबल ट्रेड के लिए रुकावट हैं। हालांकि, अमेरिका और चीन ने मिलकर 90 दिन के लिए कुछ टैरिफ में छूट दी है। चीन ने अमेरिकी सामान पर टैरिफ 125% से घटाकर 10% किया, वहीं अमेरिका ने भी चीनी सामान पर टैरिफ 145% से घटाकर 30% कर दिया।
लंदन मेटल एक्सचेंज (LME) पर एलुमिनियम की कीमत $2,450.5, कॉपर $9,545 और ज़िंक $2,658.5 चल रही है। इसके बावजूद Nifty Metal Index ने मई में अब तक 7% की बढ़त हासिल की है, जबकि Nifty50 सिर्फ 2.7% चढ़ा है। Geojit Financial Services के गौरांग शाह के अनुसार, “चीन में डिमांड ट्रेंड और अमेरिकी डॉलर की मजबूती के चलते मेटल की कीमतों पर दबाव रह सकता है।”
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट सेक्टर की मजबूत मांग ग्लोबल कमजोरी को संतुलित कर सकती है। इन दोनों क्षेत्रों में मेटल की सबसे ज्यादा खपत होती है। गौरांग शाह कहते हैं कि आने वाले समय में मेटल की कीमतों में कुछ सुधार हो सकता है। इसके अलावा, इनपुट कॉस्ट में भी कमी आई है, जिससे कंपनियों की मार्जिन बेहतर हो सकती है।
गौरांग शाह का मानना है कि लंबी अवधि के लिए मेटल स्टॉक्स में निवेश अच्छा रहेगा। वे Tata Steel, JSW Steel, Hindalco, Vedanta, GSPL और NMDC पर भरोसा जता रहे हैं। क्रांति बथिनी का कहना है कि गिरावट पर मेटल स्टॉक्स खरीदने चाहिए। उन्हें Hindalco, Vedanta और JSW Steel पर भरोसा है।