भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने स्टॉक ब्रोकरों से क्लियरिंग संस्थानों (सीसी) के बीच सभी निवेशक कोष के दैनिक स्थानांतरण को अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव रखा है। ग्राहक कोष के साथ जोखिम घटाने के मकसद से उठाए जाने वाले इस कदम से ब्रोकरों का राजस्व प्रभावित होगा, क्योंकि उन्हें दैनिक तौर पर स्थानांतरण से ब्याज आय हासिल नहीं होगी।
मौजूदा समय में, शेयर ब्रोकर अतिरिक्त पैसे को बैंक गारंटी (बीजी) या फिक्स्ड डिपोजिट रिसीप्ट (एफडीआर) में तब्दील कर उससे अतिरिक्त आय कमाते हैं। यदि इस अतिरिक्त कोष को सीसी के लिए रोजाना स्थानांतरित किया जाएगा तो शेयर ब्रोकरों को यह कमाई करने का मौका नहीं मिलेगा।
ब्रोकरों की संस्था एसोसिएशन ऑफ नैशनल एक्सचेंजेस मेंबर्स ऑफ इंडिया के अध्यक्ष कमलेश शाह ने कहा, ‘सीसी इस कोष का इस्तेमाल करेंगे और इस पर ब्याज हासिल करेंगे। ब्रोकर ग्राहक कोष की एफडी/बीजी में तब्दील नहीं कर पाएंगे, क्योंकि उन्हें यह पैसा मिलते ही सीसी को स्थानांतरित करने की जरूरत होगी।’
ब्रोकरों का मानना है कि प्रस्तावित नियमों से लेनदेन लागत बढ़ेगी, जिससे परिचालन संबंधित समस्याओं और अनुपालन बोझ में इजाफा होगा। शेयर ब्रोकर दिन के अंत में सीसी को यह कोष स्थानांतरित करने से पहले संबद्ध ब्रोकरेज और अन्य शुल्क काटेंगे। सूचीबद्ध शेयर ब्रोकरों के पिछली तिमाही परिणामों के विश्लेषण से पता चलता है कि कुछ कंपनियों के मामले में ब्याज करीब 30 प्रतिशत पर थी।
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विश्लेषकों का कहना है कि अन्य शेयर ब्रोकरों के लिए ब्याज आय कुल राजस्व के 20 प्रतिशत के आसपास हो सकती है। 6 जनवरी को हुए पिछले तिमाही खाता निपटान के अनुसार, निवेशकों के करीब 46,000 करोड़ रुपये ब्रोकरों और सीसी के पास पड़े हुए थे। सेबी का मानना है कि अन्य दिनों के दौरान यह राशि अधिक भी हो सकती है।