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बड़े ब्रोकरों का ट्रेडिंग में योगदान बढ़ा

Last Updated- December 15, 2022 | 1:22 AM IST

कोविड-19 महामारी से शेयर ब्रोकरों के बीच समेकन की प्रक्रिया में तेजी आ सकती है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के मासिक बुलेटिन से प्राप्त डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि महामारी फैलने के बाद से ट्रेडिंग कारोबार का बड़ा हिस्सा कुछ ही ब्रोकरों से आया है। दिसंबर 2019 में बीएसई के कैश सेगमेंट के कारोबार में प्रमुख 10 ब्रोकरों का योगदान 44 प्रतिशत था। जुलाई तक के ताजा आंकड़े के अनुसार यह बढ़कर 55.9 प्रतिशत हो गया है। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर यह 40.4 प्रतिशत से बढ़कर 45.3 प्रतिशत हो गया है। शीर्ष-10 ब्रोकरों की भागीदारी दिसंबर 2015 में इन दोनों एक्सचेंजों के लिए करीब 30 प्रतिशत रही।
ब्रोकरेज फर्म चूड़ीवाला सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक आलोक सी चूड़ीवाला का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान प्रौद्योगिकी ने अहम योगदान दिया है। उनका कहना है कि पारंपरिक ब्रोकरेज फर्मों को नए ग्राहक के लिए औपचारिकताएं पूरी करने में दो-तीन लग सकते हैं, लेकिन कोई व्यक्ति कुछ ही मिनटों में मोबाइल फोन के जरिये ट्रेडिंग शुरू कर सकता है। प्रौद्योगिकी-केंद्रित कंपनियों ने लॉकडाउन के दौरान इस पर अपना ध्यान बढ़ाया।
तथ्य यह है कि कई ब्रोकर काफी कम या लगभग शून्य के बराबर शुल्क वसूलते हैं जिससे छोटी कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में डटे रहना मुश्किल होता है। उनका कहना है कि यह ट्रेंड बरकरार रहने की संभावना है और उद्योग की स्थिति बदलने वाली है। एसोसिएशन ऑफ नैशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) के निदेशक राजेश बाहेटी का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक केवाईसी यानी ई-केवाईसी सुविधाओं की अनुमति देने के नियामक के कदम से मदद मिली है। इससे ग्राहकों को बगैर कागजी कार्य के प्रमाणित होने में मदद मिलेगी।
उनका कहना है कि छोटे ब्रोकरों को अपनी सेवाएं मोबाइल फोन पर उपलब्ध कराने में भी समस्या आई है, जबकि इस प्लेटफॉर्म (मोबाइल) पर अब काफी ट्रेडिंग हो रही है। इससे पहले से ही मोबाइल प्लेटफॉर्मों से जुड़ चुकीं बड़ी कंपनियों को बढ़ रहे कारोबार का बड़ा हिस्सा हथियाने में मदद मिल रही है। इस साल करीब 50 लाख नए खाते खुले हैं। दिसबर 2019 में 3.94 करोड़ निवेशक खाते थे। तब से यह संख्या बढ़कर जुलाई में 4.43 करोड़ तक पहुंच चुकी है।  जीरोधा ब्रोकिंग के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी नितिन कामत ने कहा कि पुरानी कंपनियां अक्सर नई कंपनियों के मुकाबले व्यवसाय करने के अपने मौजूदा ढांचे को बदलने में ज्यादा कठिनाई महसूस करती हैं। वहीं नई कंपनियां इसे आसानी से अपनाने को तैयार हो सकती हैं। उनके अनुसार,यह भी एक मुख्य वजह है कि वैश्विक रूप से नई कंपनियां पुरानी के मुकाबले अक्सर बेहतर प्रौद्योगिकी को अपना रही हैं। हालांकि नियामक ने अपने डेटा में ट्रेडिंग कारोबार के समेकन से जुड़ी प्रमुख 10 ब्रोकरेज कंपनियों के नामों का खुलासा नहीं किया है।

First Published - September 24, 2020 | 1:15 AM IST

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