प्रमुख ब्रोकरेज कंपनियों ने 1 अक्टूबर से भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का नया निर्देश लागू होने के बाद ब्रोकरेज शुल्कों में संशोधन किए हैं। सेबी ने ‘ट्रू-टू-लेबल’ नाम से नया नियम लागू किया है। ऐंजल वन ने शुल्क कम करने की घोषणा की है जबकि जीरोधा ने फिलहाल इनमें कोई बदलाव नहीं किया है। दूसरी कंपनियां भी आने वाले समय में शुल्कों के संबंध में औपचारिक घोषणाएं कर सकती हैं।
मंगलवार को कारोबार के दौरान ऐंजल वन का शेयर लगभग 4 प्रतिशत उछल गया मगर बाद में थोड़ा नीचे आकर 1.5 प्रतिशत की बढ़त के साथ 2,600 रुपये पर बंद हुआ। आईआईएफएल सिक्योरिटीज का शेयर 10 प्रतिशत ऊपरी सर्किट पर बंद हुआ जबकि आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज में लगभग 2 प्रतिशत तेजी आई।
ऐंजल वन ने ग्राहकों को बताया कि वह कैश/इक्विटी डेलिवरी खंड में 20 रुपये या कारोबार मूल्य का 0.1 प्रतिशत (जीएसटी के साथ) ब्रोकरेज के रूप में (जो भी कम हो) लेगी। कंपनी ने लेन-देन शुल्कों, विभिन्न सेवाओं पर लगने वाले ब्याज, सालाना सेवा शुल्क आदि के बारे में भी ग्राहकों को बताया।
जीरोधा के संस्थापक नितिन कामत ने सोशल मीडिया पर लिखा कि फिलहाल उनकी कंपनी इक्विटी डिलिवरी शुल्क मुक्त ही रखेगी। कामत ने पहले कहा था कि 1 अक्टूबर से शुल्कों को लेकर सेबी के नए नियम लागू होने से राजस्व में 10 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।
सेबी ने जुलाई में एक परिपत्र जारी किया था जिसमें उसने निर्देश दिया था कि मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (एमआईआई) जैसे स्टॉक एक्सचेंज और क्लीयरिंग कॉर्पो्रेशन अपने ग्राहकों से ‘ट्रू-टू-लेबल’ आधार पर शुल्क वसूलें। सेबी के इस निर्देश का मतलब साफ था कि अगर उन्होंने वास्तविक ग्राहक पर शुल्क लगाया है तो उन्हें इसकी वसूली भी सुनिश्चित करनी चाहिए।
अब तक एमआईआई श्रेणी आधार पर शुल्क वसूल रहे थे जो कारोबारी मात्रा या शेयर ब्रोकरेज कंपनियों के राजस्व पर आधारित थे। अब यह व्यवस्था बंद की जा रही है और एकसमान शुल्क लिया जाएगा। इससे डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकरों को मिल रहे लाभ या रियायत समाप्त हो जाएंगे।
एनएसई और बीएसई दोनों ने एक समान शुल्क लगाने के लिए अपने शुल्कों में संशोधन किए हैं। दूसरी ब्रोकरेज कंपनियों को भी नुकसान हो सकता है। सैमको सिक्योरटीज के कार्यकारी निदेशक एवं अध्यक्ष नीलेश शर्मा ने कहा, ‘हमारा अनुमान है के सेबी के नए परिपत्र के बाद ब्रोकिंग कारोबार में राजस्व में 2,000 करोड़ रुपये की कमी आ सकती है। सेबी के नए नियम के बाद ब्रोकरेज शुल्क या अन्य शुल्क बढ़ जाएंगे क्योंकि ब्रोकरेज कंपनियां अपने मुनाफे में इतना बड़ा नुकसान झेलने की स्थिति में बिल्कुल नहीं होंगी।’