इक्विटी कैश सेगमेंट में कारोबार की मात्रा जुलाई में भी कमजोर बनी रही, भले ही मुख्य सूचकांकों में करीब 9 प्रतिशत की तेजी आई। इस बीच, वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) बाजार में कारोबार कुछ घट गया, लेकिन यह रिकॉर्ड स्तरों के आसपास बना रहा। जुलाई में कैश सेगमेंट के लिए औसत दैनिक कारोबार (एडीटीवी) 46,602 करोड़ रुपये था, जो मासिक आधार पर 4.5 प्रतिशत तक अधिक था, लेकिन पिछले 12 महीने के औसत के मुकाबले 26 प्रतिशत कम रहा। जून में एडीटीवी 44,608 करोड़ रुपये पर दर्ज किया गया जो मार्च 2020 से निचले स्तरों पर रह गया है।
अस्थिरता बढ़ने से रिटेल निवेशक धारणा प्रभावित हुई जिससे उनकी कारोबारी गतिविधि सीमित हो गई। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि जब अस्थिरता बढ़ती है, कारोबार के अवसर बढ़ते हैं और एक क्षेत्र से पूंजी निकलती है और अन्य में कम होती है। वहीं रिटेल धारणा में तब तक ज्यादा तेजी दर्ज नहीं की जाएगी, जब तक कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) कुछ समय तक भारतीय इक्विटी के खरीदार नहीं बन जाते। एफपीआई ने अक्टूबर के बाद शुद्ध विक्रेता बनने के बाद जुलाई में 4,989 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
येस सिक्योरिटीज में मुख्य कार्याधिकारी एवं प्रबंध निदेशक ई प्रशांत प्रभाकरन ने कहा, ‘एफपीआई प्रवाह में बदलाव जुलाई के दूसरे पखवाड़े में दर्ज किया गया। रिटेल धारणा में सुधार आने में कुछ समय लगेगा। गिरावट पर खरीदार का लाभ संस्थागत निवेशकों और एचएनआई द्वारा उठाया गया है। छोटे निवेशक समय के साथ उत्साहित रहे हैं। इसलिए रिटेल भागीदारी में तब तक सुधार नहीं आएगा, जब तक बाजार में अच्छी तेजी नहीं आती। वे चाहेंगे कि बाजार में उतार-चढ़ाव समाप्त होने के बाद ही उसमें दांव लगाया जाए। यह बाजार में सामान्य रुझानों के अनुरूप नहीं है। यह तरलता प्रवाह है जिससे बाजार में उतार-चढ़ाव पैदा हो रहा है।’
इस बीच, एफऐंडओ कारोबार बाजार उतार-चढ़ाव से कुछ प्रभावित होता दिखाई दे रहा है। जुलाई में, इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट के लिए एडीटीवी 10.94 लाख करोड़ रुपये पर दर्ज किया गया था, जो मासिक आधार पर 0.8 प्रतिशत की गिरावट है। जून में, एफऐंडओ सेगमेंट के लिए एडीटीवी 11 लाख करोड़ रुपये पर दर्ज किया गया। बाजार कारोबारियों का कहना है कि नियामकीय बदलाव मार्जिन जरूरतों को लेकर बदले हैं और इससे कैश बाजार से लेकर विकल्प कारोबार में बड़े बदलाव आए हैं।
जून में, सेंसेक्स और निफ्टी में 13 महीने में सबसे बड़ी गिरावट आई। हालांकि शेयरों में तब से अच्छा सुधार दर्ज किया गया था। सूचकांकों में जून के निचले स्तरों से 13 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी आई है। जून में शेयर कीमतों में भारी गिरावट से कारोबारी मात्रा प्रभावित हुई और डीमैट खाता खुलने की प्रक्रिया भी धीमी पड़ी। जून में, नए डीमैट खातों की संख्या 17.9 लाख रह गई, जो फरवरी 2021 के बाद से सबसे कम थी।
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि यदि बाजार में पिछले महीने जैसी भारी तेजी बनी रहती है तो कारोबारी गतिविधि फिर से तेज हो सकती है। हालांकि उन्हें इसमें ज्यादा सुधार के आसार नहीं दिख रहे हैं। येस सिक्योरिटीज के मुख्य कार्याधिकारी ई प्रशांत प्रभाकरन ने कहा, ‘अगली दो-तीन तिमाहियां ज्यादा अस्थिरता वाली रहेंगी। हम जल्द ही आरबीआई की दर वृद्धि देख सकते हैं और इसका बाजारों पर कुछ प्रभाव भी पड़ेगा।’
इक्विनोमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा कि यूक्रेन युद्ध, केंद्रीय बैंकों द्वारा बैलेंस शीट में कमी और जिंस कीमतों आदि को लेकर कई अनिश्चितताएं अभी भी बनी हुई हैं। कई निवेशक मान रहे हैं कि बुरा समय अभी समाप्त नहीं हुआ है।