पूंजीगत सामान बनाने वाली कंपनियों की मध्यम अवधि में दोबारा रेटिंग हो सकती है क्योंकि सरकार की तरफ से पूंजीगत खर्च पर जोर दिए जाने की पृष्ठभूमि में वित्त वर्ष 2023 में इनकी रफ्तार में बढ़ोतरी होगी। विश्लेषकों का ऐसा मानना है।
उनका मानना है कि इस बार के बजट में सरकारी पूंजीगत खर्च के आवंटन में बढ़ोतरी व केंद्रीय प्रायोजित योजनाएं (मसलन पीएलआई) आने वाले समय में इस क्षेत्र के लिए बेहतर साबित हो सकती है।
उदाहरण के लिए एचडीएफसी सिक्योरिटीज का मानना है कि सड़क, रेलवे, रक्षा व बिजली क्षेत्र में खर्च की योजनाएं लंबी अवधि के लिहाज से सरकार की पूंजीगत खर्च योजना पर स्पष्टता सामने रखती है। इसके अलावा कल्याणकारी योजनाएं भी अगले कुछ वर्षों में सार्वजनिक खर्च में बढ़ोतरी कर सकती हैं।
ब्रोकरेज ने कहा, कोविड के बाद आई हालिया तेजी स्थायी नजर आ रही है और इसमें कई साल की बढ़त के कारक हैं। वित्त वर्ष 20-22 के दौरान सरकार का पूंजीगत खर्च काउंटरसाइक्लिकल रहा है और आधार प्रभाव के कारण बढ़त की दर थोड़ी कम होगी, फिर भी यह अगले 3 से 5 साल में 8 से 10 फीसदी सालाना की रफ्तार से बढ़ सकती है और ये चीजें पहले से ही क्रियान्वयन के दायरे वाली परियोजनाओं व योजनाओं के आधार पर कही जा रही है।
एक्सचेंजों पर सीमेंस, थर्मेक्स, कमिंस इंडिया, बीईएल, एचएएल आदि सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली कंपनियां हैं और कैलेंडर वर्ष 2022 में इनमें 25 से 58 फीसदी की तेजी आई है। इसकी तुलना में बीएसई कैपिटल गुड्स व बीएसई सेंसेक्स में इस दौरान क्रमश: 14 फीसदी व 2 फीसदी की उछाल आई है।
विश्लेषकों ने कहा, इस क्षेत्र के शेयरों के लिए एक अन्य उत्प्रेरक निजी क्षेत्र के पूंजीगत खर्च की बहाली की संभावना है और यह भी विश्लेषकों को इस क्षेत्र में तेजी का नजरिया रखने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। निजी पूंजीगत खर्च के चक्र में सुधार के अहम कारकों में कॉरपोरेट बैलेंस शीट की डीलिवरेजिंग, बढि़या लाभ, देसी मांग में इजाफा व क्षमता का इस्तेमाल शामिल है।
शेयरखान की सहायक उपाध्यक्ष (शोध) खदीजा मंत्री ने कहा, सरकारी खर्च के साथ निजी क्षेत्र के पूंजीगत खर्च में भी तेजी आ रही है, खास तौर से सीमेंट, धातु व फूड ऐंड बेवरिजेज में, जो पूंजीगत सामान क्षेत्र की फर्मों के लिए ज्यादा ऑर्डर ला रहा है। आपूर्ति शृंखला में सहजता भी सकारात्मक है। इन चीजों को देखते हुए हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस क्षेत्र की आय वित्त वर्ष 23 में 25 से 30 फीसदी बढ़ेगी।
उन्होंने कहा, भूराजनीतिक जोखिम के बीच पूंजीगत सामान कंपनियों के लिए महंगाई अहम जोखिम बना हुआ है। लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह वित्त वर्ष 23 की दूसरी छमाही से सुधरेगा, जिसकी वजह जिंस की कीमतों में कमी और ऑर्डर का मजबूत प्रवाह है।
शेयरखान की खदीजा मंत्री के मुताबिक, मूल्यांकन के लिहाज से यह क्षेत्र महंगा बना रहेगा। इस क्षेत्र के लिए दो साल आगे का पीई वित्त वर्ष 24 की अनुमानित आय के 20-22 गुने के बीच है, जो ऐतिहासिक मूल्यांकन से थोड़ा ज्यादा है।
मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों ने कहा कि रक्षा साजोसामान के लिए देश में निर्मित उत्पादों पर खर्च पर ध्यान बढ़ रहा है, ऐसे में एलऐंडटी, एचएएल और बीईएल इस क्षेत्र में निवेश के लिहाज से बेहतर हैं।