बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक द्वारा 52 सप्ताह की ऊंचाई छुए जाने के साथ ही स्मॉलकैप कंपनियों के शेयर सोमवार को सुर्खियों में थे। बाजार नियामक सेबी द्वारा मल्टी-कैप म्युचुअल फंडों के लिए नियमों में बदलाव किए जाने के बाद पांच महीनों में यह इस सूचकांक की एक दिन की सबसे बड़ी तेजी रही।
बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 4 प्रतिशत तेजी के साथ 15,145 अंक पर बंद हुआ, जबकि बीएसई मिडकैप सूचकांक में 1.6 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की गई थी और बीएसई सेंसेक्स में 0.25 प्रतिशत की गिरावट आई।
स्मॉलकैप सूचकांक ने 7 अप्रैल, 2020 से अपनी सबसे बड़ी तेजी दर्ज की है। 7 अप्रैल को बीएसई पर यह सूचकांक 4.3 प्रतिशत चढ़ा था। आज दिन के कारोबार में इस सूचकांक ने 15,184 की 52 सप्ताह की ऊंचाई को छुआ और इस तरह से वह 28 अगस्त 2010 को दर्ज किए गए अपने 15,132 के पिछले स्तर को पार करने में सफल रहा। सूचकांक 16 अप्रैल, 2019 से अपने सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर बंद हुआ, तब वह बीएसई पर 15,172 अंकों पर बंद हुआ था।
विश्लेषकों का कहना है कि इस घटनाक्रम ने मिड-कैप और स्मॉल-कैप को ताजा मजबूती प्रदान की है और इन सूचकांकों में आने वाले दिनों में कुछ और तेजी आ सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि उन्होंने निवेशकों को इस बाजार खंड में निवेश करने से पहले कंपनियों की आय संभावना और बैलेंस शीट मजबूती पर विचार करने का सुझाव दिया है।
एडलवाइस सिक्योरिटीज में संस्थागत इक्विटीज के शोध प्रमुख आदित्य नारायण ने कहा, ‘शुरू में, बड़े बदलावों को देखते हुए सभी स्मॉलकैप में भारी तेजी देखी जा सकती है।’
बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक के 714 शेयरों में से 228 ने आज 4 प्रतिशत से ज्यादा के अंतर के साथ इस सूचकांक को मात दी। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया, सिनगेन इंटरनैशनल, एपीएल अपोलो ट्यूब्स, वीआईपी इंडस्ट्रीज और ब्लू स्टार समेत 24 शेयरों में 10 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी आई। स्कॉलकैप सूचकांक से 39 शेयरों ने सोमवार को अपने 52 सप्ताह के ऊंचे स्तर को छुआ। इस सूची में टाटा एलक्सी, स्ट्राइडस फार्मा साइंस, रैमको सिस्टम्स, अदाणी ग्रीन एनर्जी, फस्र्टसोस सॉल्युशंस, इंडो काउंट इंडस्ट्रीज, लॉरुस लैब्स और मास्टेक शामिल हैं।
इक्विनोमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ) जी चोकालिंगम का कहना है, ‘नए निवेशकों ने काफी हद तक स्मॉल और मिड-कैप शेयरों पर ध्यान दिया है। इन दो बाजार खंडों के लिए अनुकूल इस पुनर्गठन की वजह से भी उनका ध्यान इन शेयरों पर और बढ़ेगा। जहां म्युचुअल फंड गुणवत्ता और पर्याप्त नकदी वाले स्मॉल और मिड-कैप शेयर खरीद सकते हैं, वहीं कई नए निवेशक उन शेयरों में खरीदारी से परहेज कर सकते हैं जो मूल्यांकन के संदर्भ में बुलबुले जैसी स्थिति में हैं। साथ ही वे ऐसे चवन्नी शेयरों से भी दूरी बना सकते हैं, जिन्हें मजबूत व्यवसाय या बुनियादी आधार का समर्थन हासिल नहीं है। अगले एक-दो महीनों में, स्मॉल और मिड-कैप शेयर अपने लार्ज-कैप प्रतिस्पर्धियों को लगातार मात दे सकते हैं।’
आकर्षक मूल्यांकन को देखते हुए मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों ने भी अपनी ताजा रिपोर्ट में मिड और स्मॉल-कैप सेगमेंटों का समर्थन किया। उनका मानना है कि इन सेगमेंट में अगले कुछ महीनों में बड़ी तादाद में शेयरों की रेटिंग में सुधार देखा जा सकता है।
मॉर्गन स्टैनली में भारतीय शोध प्रमुख एवं इक्विटी रणनीतिकार रिधम देसाई ने शीला राठी के साथ मिलकर तैयार की गई अपनी 18 अगस्त की रिपोर्ट में कहा, ‘पिछले साल सितंबर में कॉरपोरेट कर कटौती के साथ आए बड़े नीतिगत बदलाव को देखते हुए हमारा मानना है कि वृद्घि की राह मजबूत होगी। छोटी कंपनियां अपनी परिचालन एवं वित्ती दक्षता की वजह से ज्यादा लाभान्वित हो सकती हैं।’