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मिड और लार्ज-कैप फंडों में मध्य अवधि में बेहतर संभावनाएं

Last Updated- December 12, 2022 | 9:37 AM IST

भले ही 2020 ज्यादातर मामलों में बहुत खराब रहा, लेकिन डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो वाले लोगों के लिए यह अच्छा रहा क्योंकि इसमें शेयर, डेट (लंबी अवधि) और सोने की कीमतें चढ़ गईं। यह बात अलग है कि औसत का नियम 2021 में इनमें सामान्य प्रतिफल की ही उम्मीद देता है।
इक्विटी फंड : नकदी प्रवाह पर रखें नजर
डायवर्सिफाइड इक्विटी म्युचुअल फंडों ने पिछले साल 13.4 से 30.7 फीसदी तक का शानदार प्रतिफल दिया है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड के कार्यकारी निदेशक और मुख्य निवेश अधिकारी एस नरेन कहते हैं, ‘अर्थव्यवस्था में सुधार के कारण बाजार का रुझान मजबूत है। थोड़े-थोड़े समय अंतराल के बाद आने वाले आंकड़ों, ब्याज दरों में गिरावट, ऋण वृद्धि में बढ़ोतरी शुरू होने और कोविड संक्रमण के आंकड़ों में गिरावट से भी अर्थव्यवस्था की बेहतर स्थिति का अंदाजा मिलता है। इनके कारण सभी ओर तेजी आई है।’
नरेन यह भी कहते हैं कि विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों की वजह से बाजार में तेजी आई है, जो भारतीय बाजार में कुछ अरसे तक दिखती रहेगी। मगर निवेशकों को अमेरिका में बढ़ती महंगाई पर नजर रखनी चाहिए क्योंकि उसकी वजह से फेडरल रिजर्व तरलता कम करने पर मजबूर हो सकता है। नरेन निवेशकों को कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी पर भी नजर रखने की सलाह देते हैं। इक्विटी फंड निवेशको को 2020 सीख देकर गया है कि जब बाजार में वैसा ही मौका हो, जैसा मार्च से जुलाई के बीच आया था तो शेयरों में निवेश बढ़ा लेना चाहिए।
लार्ज-कैप फंड
लार्ज-कैप फंडों की श्रेणी ने पिछले साल औसतन 13.4 फीसदी प्रतिफल दिया है। पिछले कुछ साल में नोटबंदी, जीएसटी और कोविड आदि की वजह से बाजार में बड़ी कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ी और छोटी-मझोली कंपनियों पर चोट पड़ी। महामारी में बड़ी कंपनियों ने लागत घटाई, जिसका फायदा उन्हें कम परिचालन खर्च के रूप में आगे मिल सकता है। इस साल लार्ज-कैप म्युचुअल फंडों के लिए आय में वृद्घि सबसे अहम होगी। केनरा रोबेको म्युचुअल फंड के प्रमुख (इक्विटीज) श्रीदत्त भांडवलदार ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2022 में निफ्टी की आय पिछले साल के मुकाबले 30-35 फीसदी बढ़ सकती है क्योंकि वित्त वर्ष 2021 में आधार कम रहा था।’ केनरा रोबेको का लार्ज कैप फंड एक साल में 22.2 फीसदी प्रतिफल के साथ बहुत ऊपर रहा।
मिड और स्मॉल कैप
लगातार 2 साल सुस्ती के बाद 2020 में मिड और स्मॉल कैप फंड ने उन निवेशकों को इनाम दिया, जिन्होंने उनमें भरोसा बनाए रखा। मिड कैप श्रेणी का औसत प्रतिफल 24 फीसदी और स्मॉल कैप का 30.7 फीसदी रहा। इतनी तेजी के बाद भी ये फंड तीन से पांच साल तक निवेशकों को अच्छी कमाई करा सकते हैं। पीजीआईएम म्युचुअल फंड में वरिष्ठ फंड प्रबंधक (इक्विटीज) अनिरुद्ध नाहा ने कहा, ‘वाहन एवं रियल एस्टेट से जुड़े सहायक उद्यम आमदनी चक्र के निचले स्तर पर हैं। इन क्षेत्रों और मिड-कैप आईटी में अगले दो-तीन साल के दौरान आमदनी सुधरने की गुंजाइश है।’ इस कंपनी के मिडकैप फंड ने 47.6 फीसदी प्रतिफल के साथ पिछले साल सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। नाहा ने कहा कि पी/ई की संशोधित रेटिंग से भी प्रतिफल मिल सकता है। हालांकि मिड और स्मॉल कैप फंडों में निवेश करने वालों को ज्यादा उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहना चाहिए और बहुत अच्छे प्रतिफल की उम्मीद भी नहीं लगानी चाहिए। नाहा के हिसाब से अगले तीन से पांच साल में दो अंकों में सीएजीआर प्रतिफल की उम्मीद ठीक रहेगी।
रियल्टी में सुधार की सुस्त रफ्तार
एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के आंकड़ों के मुताबिक 2020 में देश के सात सबसे बड़े शहरों में मकानों की बिक्री 2019 की तुलना में 47 फीसदी घटी है। हालांकि अनबिके मकानों की संख्या 2016 के मुकाबले 19 फीसदी कम हुई है। कुशमैन ऐंड वेकफील्ड के प्रबंध निदेशक (आवासीय सेवाएं) शालीन रैना कहते हैं, ‘कीमतें स्थिर रहीं। बिना बिके मकानों की अधिक तादाद वाले बाजारों में कीमतें घटीं। दक्षिण के बाजारों में कीमतें महज 1-2 फीसदी गिरीं क्योंकि वहां दाम उचित स्तर पर थे। जिन शहरों में बिना बिके मकान ज्यादा थे वहां डेवलपरों को बिक्री के लिए ज्यादा छूट देनी पड़ी मगर 2017 से कीमतें लगामार घटने के कारण वहां भी कटौती की गुंजाइश ज्यादा नहीं थी।’ आवासीय रियल एस्टेट में गिरावट का यह सबसे लंबा दौर है। सात सबसे बड़े शहरों में औसत कीमतें 2012 से 2020 के बीच महज 25-30 फीसदी बढ़ी हैं। एनरॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ‘लगता है कि 2020 में बाजार अपने सबसे निचला स्तर छू चुके थे, जिस कारण दूसरी छमाही में मांग बढ़ी। 2021 के लिए ये अच्छे आसार हैं।’ उन्होंने कहा कि मांग सुधरने और टीकाकरण कार्यक्रम रफ्तार पकडऩे पर वर्ष 2021 की दूसरी छमाही से आवासीय संपत्तियों की कीमतों में इजाफा हो सकता है। आवासीय संपत्तियों की कीमतें और आवास ऋण की दरें रिकॉर्ड निचले स्तरों पर हैं, इसलिए खुद रहने के लिए मकान खरीदने के इच्छुकों को जल्दी करनी चाहिए। कॉलियर्स इंटरनैशनल इंडिया में प्रबंध निदेशक (परामर्श सेवा) शुभंकर मित्रा समझाते हैं, ‘इस समय डेवलपर जीएसटी, स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क नहीं लेने जैसी पेशकश कर रहे हैं। रियल्टी में सुधार आने पर यह सब खत्म हो सकता है।’ रियल एस्टेट क्षेत्र में कई प्रमुख ढांचागत सुधार हो चुके हैं और बाजार चढऩे लगे हैं तो निवेशक यहां लौट सकते हैं। पुरी कहते हैं, ‘उन्हें निवेश लंबे समय तक बनाए रखना होगा क्योंकि रातोरात दोगुने प्रतिफल के दिन लद चुके हैं।’ मित्रा ने कहा कि निवेशक प्रधानमंत्री आवास योजना का फायदा उठा सकते हैं। इस योजना की ब्याज सब्सिडी से उनके ऋण की लागत किराया प्रतिफल के आसपास आ जाएगी।
सोने की बनी रह सकती है चमक
पिछले साल सोने ने 28.2 फीसदी प्रतिफल दिया। टीका लगने, महामारी का डर कम होने और अर्थयवस्था सुधरने पर इस साल सोने को चुनौती झेलनी पड़ सकती है। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक सोने में तेजी का दौर खत्म नहीं हुआ है। क्वांटम म्युचुअल फंड वरिष्ठ फंड प्रबंधक (वैकल्पिक निवेश) चिराग मेहता ने कहा, ‘अमेरिका जैसी अर्थव्यवस्थाओं में पहले तेज सुधार हो सकता है मगर आर्थिक सहायता हटाने पर रफ्तार कम हो सकती है।’ दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में वास्तविक ब्याज दरें ऋणात्मक बनी रहेंगी, जिससे सोने को सहारा मिलेगा। इसके अलावा ऊंचा कर्ज निपटाने के लिए सरकारें अपनी मुद्राओं का अवमूल्यन कर सकती हैं। कागजी मुद्रा की कीमत घटने पर सोने में तेजी आएगी। विशेष रूप से डॉलर में कमजोरी से सोना मजबूत हो सकता है क्योंकि दुनिया भर में इसका मूल्य डॉलर में ही आंका जाता है। अमेरिका तथा चीन के बीच और विश्व के अन्य बहुत से हिस्सों में भूराजनीतिक तनाव से भी इस सुरक्षित संपत्ति की मांग बढ़ेगी। अपने पोर्टफोलियो में से 10 से 15 फीसदी आवंटन सोने में करें।
डेट फंड : ऋण जोखिम को लेकर रहें सतर्क
वर्ष 2020 में ब्याज दरें घटने से लंबी अवधि के डेट फंडों का प्रतिफल अच्छा रहा मगर लघु अवधि के फंडों का प्रतिफल कमजोर रहा। क्रेडिट रिस्क फंडों ने उम्मीद से कमजोर प्रदर्शन किया। डेट बाजारों में नकदी की किल्लत और फ्रैंकलिन टेम्पलटन म्युचुअल फंड के छह डेट फंड बंद होने से निवेशकों को पता चला कि ज्यादा क्रेडिट जोखिम भी दुखदायी हो सकता है। ब्याज दरों की तस्वीर भी अप्रत्याशित रही। 2020 की शुरुआत में दरें बढऩे की संभावना थी मगर महामारी के कारण केंद्रीय बैंकों को दरों में कटौती करनी पड़ी। बहरहाल लंबी अवधि के फंडों में निवेश से इस साल शायद ज्यादा फायदा नहीं मिले। सुंदरम म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी (स्थिर आय) द्विजेंद्र श्रीवास्तव की सलाह है, ‘2020 में दरों में कटौती होने के बाद 2021 में लंबी अवधि के निवेश से पिछले साल जितने प्रतिफल की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।’  केंद्रीय बैंक के ऋण स्थगन और केंद्र सरकार की आपात ऋण गारंटी योजना ने ऋण जोखिम पर पर्दा डाल दिया है मगर यह दोबारा सामने आ सकता है। खुदरा निवेशकों के डेट फंड पोर्टफोलियो में ज्यादातर हिस्सा अत्यल्प अवधि के फंडों का होना चाहिए, जो ऋण और अवधि का जोखिम ही नहीं लेते। मगर ऐसे फंडों में निवेश करते समय पोर्टफोलियो जांच लें ताकि कमजोर रेटिंग वाले बॉन्डों का पता लगाया जा सके। अवधि के जोखिम से निपटने के लिए लंबी अवधि का निवेश करें। मिरे एसेट ग्लोबल इन्वेस्टमेंट्स के प्रमुख (निश्चित आय) महेंद्र जाजू की सलाह है, ‘अगर आप लंबी अवधि के फंड में निवेश करने का फैसला करते हैं तो ब्याज दर के पूरे चक्र तक निवेश बनाए रखें। तब आपको अच्छा प्रतिफल मिलेगा।’ जोखिम लेने की क्षमता देखकर ही डेट फंड श्रेणी चुनें। अपनी निवेश अवधि का उस फंड श्रेणी की औसत परिपक्वता अवधि से मिलान करें।  जाजू कहते हैं कि अगर क्रेडिट डिफॉल्ट होता है तो उसकी वसूली बहुत मुश्किल होती है और हमेशा के लिए घाटा हो जाता है। इसलिए जोखिम से दूर रहने वालों को आम तौर पर क्रेडिट रिस्क फंडों से बचना चाहिए। श्रीवास्तव ने कहा कि अधिक जोखिम की क्षमता वाले निवेशक अपने डेट पोर्टफोलियो का 10 से 15 फीसदी हिस्सा इन फंडों में निवेश कर सकते हैं, लेकिन उन्हें डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो वाले फंड चुनने चाहिए।

First Published - January 18, 2021 | 1:16 AM IST

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