मेरे पास 12 लाख रुपये के म्युचुअल फंड हैं और ये सभी डिविडेंड पेआउट ऑप्शन (लाभांश भुगतान विकल्प) से संबद्ध हैं। मेरे वित्तीय कंसल्टेंटों में से एक ने मुझे ये सभी फंड लाभांश से ग्रोथ ऑप्शन में तब्दील करने की सलाह दी है। क्या यह उचित सलाह है और इसके क्या फायदे हैं?
आपको यह समझने की जरूरत है कि रिटर्न के संदर्भ में लाभांश ऑप्शन और ग्रोथ ऑप्शन दोनों एक जैसे ही हैं। लाभांश ऑप्शन के तहत, जब लाभांश घोषित हो जाता है, उसी अनुपात में एनएवी घटता है। इस स्थिति में ग्रोथ ऑप्शन में सभी लाभ एनएवी में दिखता है। एक और बात पर विचार किए जाने की जरूरत है, वह है कर के बारे में। इक्विटी फंडों पर लाभांश करमुक्त है।
यदि यूनिट को एक साल के अंदर बेचा जाता है तो इन इक्विटी फंडों पर पूंजीगत लाभ, कर के दायरे में आ जाता है। दीर्घावधि पूंजीगत लाभ करमुक्त है। इसलिए लाभांश विकल्प उस वक्त आपके लिए लाभदायक है जब आपको नियमित आय की जरूरत हो या यदि आप एक साल के अंदर अपने निवेश को भुनाने की योजना बना रहे हों। लेकिन यदि आपने भविष्य को ध्यान में रख कर दीर्घावधि के लिए निवेश किया है और आपकी आय के अन्य स्रोत भी उपलब्ध हों तब आप ग्रोथ ऑप्शन का चयन कर सकते हैं। आपके लिए यह फायदेमंद होगा।
मैं यह जानना चाहता हूं कि यदि मैं एफएमपी (फिक्स्ड मैच्युरिटी प्लान) में एक साल या इससे अधिक समय के लिए निवेश करता हूं तो क्या इससे होने वाली पूंजीगत आय कर के दायरे में आएगी?
हां, अन्य डेट फंडों की तरह एफएमपी पर दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर के अधीन है। वैसे दीर्घावधि पूंजीगत लाभ के मामले में इंडेक्सेक्शन बेनीफिट हासिल होता है। इसलिए यदि आप ग्रोथ ऑप्शन में एक साल से अधिक के लिए निवेश करते हैं तो आपको दीर्घावधि पूंजीगत लाभ पर इंडेक्सेक्शन बेनीफिट के साथ 20 फीसदी का या डेट प्रोडक्ट्स एवं एफएमपी पर बिना इंडेक्सेक्शन बेनीफिट के साथ 10 फीसदी का कर चुकाना होगा।
मैंने डाइवर्सिफाइड इक्विटी म्युचुअल फंड्स में पिछले दो वर्षों से निवेश किया है। मैंने इस निवेश के लिए डिविडेंड रीइन्वेस्टमेंट प्लान को चुना है। हालांकि मेरा ओरिजनल निवेश एक साल से अधिक समय का है, लेकिन लाभांश पुनर्निवेश एक साल से कम समय तक ही किया गया है। मैंने इसी फंड के अंदर एक स्कीम से दूसरी स्कीम में जाने का फैसला किया। क्या पुन: निवेश की गई डिविडेंड यूनिट पर मुझे अल्पावधि पूंजीगत लाभ कर चुकाना होगा ?
हां, पुनर्निवेश यूनिट्स में बढ़ोतरी पर आपको अल्पावधि पूंजीगत लाभ कर चुकाना होगा क्योंकि पुनर्निवेश के समय से यूनिट भुनाने की तिथि तक एक साल पूरा नहीं हुआ था। कर देयता की गणना के लिए रीइन्वेस्टेड डिविडेंड यूनिट्स को अलग माना गया है।
मैं एक सरकारी कर्मचारी हूं और आपकी वेबसाइट रोजाना देखता हूं और आपके दिशा-निर्देशों के मुताबिक ही निवेश करने की कोशिश करता हूं। मैंने आपकी वेबसाइट के जरिये यह जाना कि अल्पावधि पूंजीगत घाटे को सात वर्षों तक आगे बढ़ाया जा सकता है, लेकिन दीर्घावधि पूंजीगत घाटे के बारे में भी ऐसा संभव है?
हां, आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। यदि इसे चालू वर्ष के दीर्घावधि या अल्पावधि पूंजीगत लाभ के समक्ष निर्धारित नहीं किया जा सका हो तो अल्पावधि पूंजीगत घाटे को अगले आठ वर्षों के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है। लेकिन दीर्घावधि पूंजीगत नुकसान को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता, क्योंकि दीर्घावधि पूंजीगत लाभ से आय को कर से अलग रखा गया है।
मेरी उम्र 30 वर्ष है। मैं 5 वर्षों की अवधि के लिए एमआईपी योजनाओं में निवेश करना चाहता हूं। मैं यह जानना चाहता हूं कि एमआईपी के एनएवी पर निवेश किया जाए या एकमुश्त के आधार पर निवेश किया जाए। क्या मुझे मासिक आय की गारंटी मिलेगी? यदि मैं 2000 रुपये प्रति महीने की आमदनी चाहता हूं तो मुझे कितना राशि का निवेश करना होगा? मुझे यह भी बताएं कि एमआईपी के लिए कौन सा फंड इस समय अच्छा प्रदर्शन कर रहा है?
ओपन-ऐंड फंड्स हमेशा एनएवी-लिंक्ड कीमतों पर खरीदे जाते हैं और बेचे जाते हैं। एनएवी का स्तर ठोस नहीं है। आपके द्वारा खरीदी गई यूनिट पर आपको रिटर्न मिलेगा। उदाहरण के लिए, एक लाख रुपये में आपको 10 रुपये के हिसाब से एनएवी फंड की 10,000 यूनिट मिलेंगी। आपको 20 रुपये के हिसाब से एनएवी के ही दूसरे फंड की 5000 यूनिट मिलेंगी।
आपका रिटर्न आपकी ओर से किए गए निवेश के बाद फंड के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। यदि दोनों फंड समान रूप से इजाफा करें और एक साल में 15 फीसदी तक बढ़ें तो दोनों फंड्स में आपका रिटर्न बराबर होगा।
प्रत्येक फंड के लिए न्यूनतम निवेश नियत किया गया है। हालांकि, म्युचुअल फंड रिटर्न की गारंटी मुहैया नहीं कराते हैं।