एडिशनल टियर 1 (एटी1) बॉन्ड एक बार फिर से निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं। ब्याज दरों में गिरावट के परिवेश में ऊंचे प्रतिफल की तलाश कर रहे अमीर निवेशक और कॉरपोरेट घराने इन योजनाओं में पैसा लगा रहे हैं।
विश्लेषकों के अनुसार, निवेशक अब अपने डेट पोर्टफोलियो का करीब 10-20 फीसदी हिस्सा इन बॉन्डों में निवेश कर रहे हैं। हालांकि इस बार अंतर यह है कि निवेशक एसबीआई, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और ऐक्सिस बैंक जैसे बड़े और भरोसेमंद बैंकों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। एटी1 बॉन्ड हाइब्रिड योजनाएं हैं और ये समान नॉन-पर्पेचुअल बॉन्डों के मुकाबले कुछ ज्यादा ब्याज दर चुकाते हैं।
येस बैंक घटनाक्रम के बाद मार्च में एटी1 बॉन्डों की लोकप्रियता घट गई थी। जोखिम बढऩे और ऐसे बॉन्डों द्वारा निवेश बट्टे खाते में डाले जाने जैसी चिंताओं को देखते हुए लोगों और संस्थागत निवेशकों ने इन बॉन्डों से परहेज किया। इससे प्रतिफल को बढ़ावा मिला। एसबीआई एटी1 बॉन्ड में अप्रैल में करीब 10 फीसदी के आसपास कारोबार दर्ज किया गया।
हालांकि ऊंचे प्रतिफल के साथ साथ अन्य डेट योजनाओं में ब्याज दरों में कमी से निवेशकों की इन बॉन्डों में फिर से दिलचस्पी दिखी है।
व्यवस्था में अतिरिक्त नकदी के साथ, दरें 2 फीसदी के आसपास हैं और बैंकों ने जमा दरें घटकर 5 फीसदी और इससे भी नीचे कर दी हैं। पिछले सप्ताह आरबीआई ने अपने 7.75 फीसदी बचत बॉन्डों को बंद किया, जिससे निवेशकों के लिए एक और निवेश विकल्प समाप्त हो गया है।
क्लाइंट एसोसिएट्स के सह-संस्थापक रोहित सरीन ने कहा, ‘निवेशक ऊंचे प्रतिफल की वजह से इन बॉन्डों के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। एटी1 बॉन्डों पर प्रतिफल गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर और बैंक सावधि जमाओं के मुकाबले अधिक है।’
ऐसे बॉन्डों पर प्रतिफल पिछले कुछ दिनों में घटकर 7.97-8.86 फीसदी पर आ गया। इन प्रतिफल पर, 42.74 फीसदी के ऊंचे कर दायरे में आने वाले लोगों के लिए कर-बाद प्रतिफल 4.56 से 5.07 फीसदी के दायरे में होगा।
जेएम फाइनैंशियल के प्रबंध निदेशक एवं प्रमुख (इंस्टीट्यूशनल फिक्स्ड इनकम) अजय मंगलूनिया ने कहा, ‘अन्य डेट योजनाओं में ब्याज दर में गिरावट से इन बॉन्डों की लोकप्रियता फिर से बढ़ी है।’ उन्होंने कहा कि सरकार के 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज और लॉकडाउन की शर्तों में नरमी से निवेशकों में यह उम्मीद जगी है कि बैंकों की एनपीए उतना नहीं बढ़ेगा जितना कि पहले अनुमान जताया गया था।
वित्तीय योजनकार सुरेश सदगोपान का कहना है कि सभी एटी1 बॉन्डों को एक नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए। उनका कहना है कि निवेशकों के लिए सरकारी समर्थन को देखते हुए एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा के बॉन्ड अच्छे हैं। वह कहते हैं, ‘इसकी आशंका नहीं है कि कुछ भरोसेमंद निजी क्षेत्र के बैंक चूक की स्थिति में होंगे, लेकिन मैं रक्षात्मक नजरिया अपनाने वाले निवेशकों को यह सुझाव देना चाहूंगा कि इन दो पीएसयू योजनाओं के साथ जुड़े रहें।’
विश्लेषकों का कहना है कि निवेश से पहले निवेशकों को बैंक की बैलेंस शीट, उसकी पूंजी उगाही क्षमता, इक्विटी टियर-1 पूंजी और एटी1 बॉन्डों से अन्य रिजर्व का आकलन करना चाहिए। साथ ही कोविड-19 की वजह से पैदा हुए हालात को देखते हुए निवेशकों को बैंकों के एनपीए पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
कुल जोखिम-भारित परिसंपत्तियों के मुकाबले सीईटी1 पूंजी बैंकों की प्रमुख इक्विटी पूंजी होती है।
