पिछले अक्तूबर में बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड द्वारा पार्टिसिपेटरी नोट पर सर्कुलर जारी करना भी विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा बिकवाली शुरू करने के पीछे एक एक बड़ा कारण रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार कम से कम कुछ ऐसी इकाइयां जो भारतीय शेयर बाजार में अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन कर रही थी उसने भी सिंगापुर एक्सचेंज सीएनएक्स निफ्टी फ्युचर्स में अपना कारोबार करना शुरू कर दिया है।
एक्सचेंज द्वारा एकत्रित आंकड़ों के अनुसार जब से सेबी का पी- नोट पर सकूर्लर आया है तब से विदेशी संस्थागत निवेशकों 79,526 करोड़ रुपये मूल्य केशेयरों की बिकवाली कर चुकी है। इसी अवधि में घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 56,448 रुपये मूल्य के शेयरों की खरीदारी की है। सेबी के आंकड़ों के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों ने कैश मार्केट में 25,054 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की बिकवाली की है।
सेबी के आंकडों में सारे निवेश हैं जिसमें एफसीसीबी कनवर्सन्स, एडीआर में निवेश और सेकेंडरी मार्केट में हुए परिचालन भी शामिल हैं। मालूम हो कि पिछले साल अक्तूबर में सेबी ने डेरिवेटिव मार्केट में पी नोट्स इन्वेस्टमेंट को यह कहते हुए प्रतिबंधित कर दिया था कि निवेशक अपनी स्थिति में 18 महीनों के भीतर बदलाव करे। लेकिन साथ ही सेबी ने विदेशी संस्थाग निवेशकों को कैश मार्केट में 40 प्रतिशत निवेश करने की छूट दी थी।
हाल में ही सिटीग्रुप की एक रिपोर्ट में कहा खुलासा किया गया है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बीएसई 500 कंपनियों में अपनी होल्डिंग 2 प्रतिशत घटाकर 17.8 प्रतिशत कर दी थी जोकि इसके जून 2005 के स्तर के बराबर है। डोमेस्टिक ब्रोकिंग हाउस के रिसर्च हेड ने नाम न उजागर किए जाने की शर्त पर बताया कि सेबी द्वारा पी नोट्स जारी किए जाने को लगभग आठ महीने हो चुके हैं लेकिन इसके बावजूद फर्मों ने अपनी पोजीशन नहीं घटाई है और अगले दस महीनों में ये फंड और फर्म अपनी पोजीशन कम कर सकती हैं।
दिलचस्प बात यह है कि निफ्टी फ्युचर्स में हो रहे कारोबार का वॉल्यूम इसी अवधि में सिंगापुर एक्सचेंज में जाना पहले की अपेक्षा ज्यादा हो गया है। एडलवाइस की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार सेबी द्वारा पी नोट्स जारी करने के बाद एसजीएक्स निफ्टी का शेयर कुल निफ्टी फ्युचर्स के ऑपन इंटरेस्ट के रूप में, 5.6 प्रतिशत से बढ़कर 8 प्रतिशत तक पहुंच गया और इसके साथ ही अप्रैल तक यह 31.5 प्रतिशत तक पहुंच गया।
ऐसे पी-नोट होल्डर जिन्होंने भारतीय शेयर बाजार में अपने पोजीशन में बदलाव कर चुके थे उन्होंने एसजीएक्स सीएनएक्स निफ्टी फ्युचर्स में नए कारोबार करने की स्थिति में आ गए है जबतक कि वे सेबी में विदेशी संस्थागत निवेशकों के रूप में पंजीकृत होते हैं। ऐसे विदेशी संस्थागत निवेशक जो लांग-शॉर्ट पी-नोटबुक चलाते हैं,उनके लिए परिचालन खर्च भी ज्यादा है। सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स के अभाव में एसजीएक्स में निफ्टी परिचालन खर्च 2-3 बेसिक प्वाइंट के बराबर है।