सेबी की एक स्टडी के मुताबिक, साल 2022-23 में 10 में से 7 लोगों ने इक्विटी कैश सेगमेंट में इंट्राडे ट्रेडिंग से नुकसान उठाया। दूसरी तरफ, इसी दौरान इंट्राडे ट्रेडिंग शेयर खरीदने-बेचने वाले लोगों की संख्या भी बहुत बढ़ी है। साल 2018-19 के मुकाबले ये संख्या तीन गुनी से ज़्यादा हो गई है।
नुकसान उठाने वाले लोग ज़्यादा कारोबार करते हैं
रिपोर्ट के मुताबिक, जो लोग शेयर बाज़ार में नुकसान उठा रहे हैं, वे ज़्यादा कारोबार कर रहे हैं। इसके अलावा, 30 साल से कम उम्र के युवाओं की संख्या भी शेयर बाज़ार में तेज़ी से बढ़ रही है। शेयर बाज़ार का नियमन करने वाली संस्था सेबी ने यह रिपोर्ट बुधवार को जारी की। इसमें साल 2018-19, 2021-22 और 2022-23 के आंकड़ों का अध्ययन किया गया है। साथ ही इसमें कोरोना काल भी शामिल है।
इस रिपोर्ट के लिए देश के टॉप 10 ब्रोकरेज हाउस के ग्राहकों के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है। इन 10 ब्रोकरेज हाउस के पास देश के कुल शेयर बाज़ार ग्राहकों का लगभग 86% हिस्सा है। इस रिपोर्ट को कई जानकारों ने देखा और सुझाव दिए हैं।
ज़्यादातर लोग इंट्राडे ट्रेडिंग में घाटे में
रिपोर्ट के मुताबिक, हर तीन में से एक व्यक्ति शेयर बाज़ार में इंट्राडे ट्रेडिंग करता है। इसके अलावा, इस तरह के ट्रेड में 30 साल से कम उम्र के युवाओं की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। साल 2018-19 में ये संख्या 18% थी, जो अब बढ़कर 48% हो गई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2022-23 में 10 में से 7 लोगों (यानी 71%) ने इंट्राडे ट्रेडिंग में नुकसान उठाया। अगर कोई व्यक्ति बहुत ज़्यादा कारोबार करता है (साल में 500 से ज़्यादा बार), तो उसके नुकसान होने की संभावना और भी बढ़ जाती है। ऐसे लोगों में से 80% लोग घाटे में रहे हैं।
जो लोग शेयर बाज़ार में नुकसान उठाते हैं, उन्हें नुकसान के अलावा और भी पैसे खर्च करने पड़ते हैं। साल 2022-23 में नुकसान उठाने वाले लोगों ने अपने नुकसान का 57% हिस्सा कारोबार के खर्चों में लगाया, जबकि मुनाफा कमाने वालों ने अपने मुनाफे का सिर्फ 19% हिस्सा खर्च किया।
इसके अलावा, कम उम्र के लोगों में नुकसान उठाने वालों की संख्या ज़्यादा है। साल 2022-23 में 76% युवा ट्रेडर घाटे में रहे। शेयर बाज़ार का नियमन करने वाली संस्था सेबी का मानना है कि इस रिपोर्ट से लोगों को इंट्राडे ट्रेडिंग में होने वाले जोखिम के बारे में पता चलेगा।
शेयर बाज़ार के डेरिवेटिव्स से ज़्यादा नुकसान
शेयर बाज़ार में फ्यूचर और ऑप्शन (F&O) वाले हिस्से में ज़्यादातर लोगों को नुकसान हुआ है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में 89% लोगों ने इस हिस्से में पैसा गंवाया। हर व्यक्ति ने औसतन 1.1 लाख रुपये का नुकसान उठाया। इसके अलावा, कोरोना काल के दौरान F&O में कारोबार करने वाले लोगों की संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ी। साल 2019 में ऐसे लोगों की संख्या 7 लाख थी, जो साल 2021 में बढ़कर 45 लाख हो गई। यह संख्या 500% से ज़्यादा बढ़ी है। (PTI के इनपुट के साथ)