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दिव्यांग भी उठा सकेंगे ‘पठान’ का लुत्फ

न्यायालय का यश राज फिल्म्स को ऑडियो विवरण-सबटाइटल जोड़ने का निर्देश

Last Updated- January 18, 2023 | 11:56 PM IST
Divyang will also be able to enjoy 'Pathan'

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को यश राज फिल्म्स को ऑडियो विवरण और क्लोज कैप्शन (सबटाइटल) जोड़ने का निर्देश दिया है ताकि दिव्यांग लोग भी फिल्मों का आनंद उठा सकें। एक विशेषज्ञ ने कहा है कि इस निर्देश के बाद पठान फिल्म निर्माता यश राज फिल्म्स अपनी फिल्म को व्यापक रूप दे सकती है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रोडक्शन हाउस से कहा है कि पठान फिल्म को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज करते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। यह फिल्म अप्रैल में एमेजॉन प्राइम पर रिलीज हो रही है। सिनेमाघरों में यह फिल्म 25 जनवरी को रिलीज होगी। इस फिल्म के साथ शाहरुख खान की बड़े पर्दे पर वापसी करीब पांच वर्षों बाद हो रही है और इस कैलेंडर वर्ष में रिलीज होने वाली यह सबसे बड़ी बॉलीवुड फिल्म भी होगी।

गुरुग्राम स्थित ब्रजमा इंटेलिजेंट सिस्टम्स के मुख्य कार्यधिकारी और संस्थापक कुणाल प्रसाद ने कहा, ‘मुझे लगता है कि अधिक फिल्म निर्माता और सामग्री निर्माता अब समावेशी मनोरंजन सामग्री की आवश्यकता के प्रति संवेदनशील होंगे।’ इस फर्म द्वारा एक ऑडियो ऐप ‘एक्सएल सिनेमा’ संचालित किया जाता है जो उपयोगकर्ताओं को एक फिल्म के ऑडियो ट्रैक को कई भाषाओं में सुनने में सक्षम बनाता है।

यह ऐप मुख्य रूप से थिएटर में काम करता है जहां उपयोगकर्ता अपने स्मार्टफोन में इयरफोन लगाकर अपने अनुसार भाषा बदलकर ऑडियो सुन सकते है। प्रसाद ने कहा कि यह ऐप कुछ ही वर्षों में 60,000 से अधिक संख्या में डाउनलोड किया जा चुका है। ऐप डाउनलोड करने वाले अधिकतम लोग दिव्यांग हैं।

ब्रजमा पीवीआर सिनेमा में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पीवीआर जैसी थिएटर श्रृंखलाओं के मोबाइल ऐप में एक्सएल सिनेमा फीचर को भी जोड़ रहा है ताकि वे फिल्म देखने का बेहतर अनुभव प्राप्त कर सकें। कंपनी समावेशी मनोरंजन सामग्री के लिए कई थिएटर श्रृंखलाओं, टिकट बुकिंग प्लेटफॉर्म और प्रोडक्शन हाउस से भी बात कर रही है।

ऑडियो विवरण के लिए प्रसाद ने कहा कि इसके लिए निश्चित रूप से प्रमुख चुनौती लागत है, जो प्रति फिल्म लगभग 2.5-3 लाख रुपये है। इसका मतलब यह है कि फिल्म निर्माता सीमित प्रोडक्शन बजट वाली फिल्मों के बजाय बड़े बजट की फिल्मों में इस फीचर को आजमाना चाहेंगे। इस मुद्दे पर यशराज फिल्म्स के साथ-साथ एमेजॉन प्राइम वीडियो को भेजे गए मेल का कोई जवाब प्राप्त नहीं हो पाया। लेकिन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के एक अधिकारी, जो दिल्ली उच्च न्यायालय के मामले में प्रतिवादी हैं, ने कहा कि मंत्रालय फैसले का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर रहा है।

अधिकारी ने कहा कि डिजिटल मीडिया आचार संहिता और मध्यवर्ती दिशानिर्देश डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सुलभ सामग्री उपलब्ध कराने का प्रावधान करते हैं। ये दिशानिर्देश सूचना प्रौद्योगिकी नियमों, 2021 में संशोधन का हिस्सा हैं। दिशानिर्देशों के भाग 3 में यह निर्धारित किया गया है कि प्रकाशकों को इसके द्वारा पहुंच में सुधार करके उचित पहुंच सेवाओं को लागू करने का प्रयास करना चाहिए। इसलिए ऐसा नहीं लगता कि दिशानिर्देशों के एक अलग सेट की आवश्यकता है, क्योंकि यह डिजिटल मीडिया आचार संहिता का हिस्सा है।

नेटफ्लिक्स और एमेजॉन प्राइम वीडियो जैसे ओटीटी प्लेटफार्मों में पहले से ही उनके मूल सामग्री के लिए ऑडियो विवरण और क्लोज कैप्शन उपलब्ध हैं। उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि यह भारत सहित कई बाजारों में उपलब्ध है। सिने जगत के विशेषज्ञों का कहना है कि अधिग्रहीत की जाने वाली सामग्री जैसे फिल्म, के लिए यह सेवा अभी भारत जैसे बाजारों में उपलब्ध नहीं है।

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम (आरपीडब्ल्यूडी), 2016 की धारा 42 में कहा गया है कि सभी इलेक्ट्रॉनिक सामग्रियों पर सभी की पहुंच जरूरी है और इसके साथ ही इन सामग्री में समावेश पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

दिल्ली स्थित लॉ फर्म एएसएल पार्टनर्स के मैनेजिंग पार्टनर अभिनय शर्मा ने कहा कि निश्चित रूप से इस क्षेत्र में कुछ सुधार की जरूरत है, जिसे सामान्य रूप से लागू करने या इससे संबंधित अधिकारियों को आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम, 2016 के अनुरूप कार्य करने के लिए न्यायालय के कुछ निर्देशों की आवश्यकता होगी।

दिल्ली स्थित लॉ फर्म करंजावाला ऐंड कंपनी की पार्टनर मेघना मिश्रा ने कहा कि वह इस बात को लेकर आशान्वित हैं कि फिल्म उद्योग पर उच्च न्यायालय के निर्देश का कुछ असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय का यह निर्देश स्वागत योग्य है। इससे न सिर्फ एक अलग मिसाल कायम होगी बल्कि करोड़ों दिव्यांग लोगों को भी उनका हक मिलेगा।

दिव्यांग लोगों को अब तक फिल्मों का उस तरह से आनंद लेने से वंचित रखा गया है, जिसके वे हकदार हैं। इस दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए किसी भी कदम का स्वागत किया जाएगा, विशेष रूप से यह ध्यान में रखते हुए कि भारत में दुनिया की दृष्टिहीन आबादी का 20 फीसदी है। डब्ल्यूएचओ के अनुमान के अनुसार, भारतीय आबादी के 6.3 फीसदी लोगों में ऊंचा सुनने की समस्या है।

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मुंबई स्थित लॉ फर्म विक्टोरियम लीगलिस की संस्थापक पार्टनर कृतिका सेठ का इस बारे में अलग तरह का विचार है। उनका कहना है कि जब सामग्री को सुलभ बनाने की बात आती है तो दिव्यांग व्यक्तियों को शामिल करने में कमी आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम, 2016 की धारा 42 का उल्लंघन होगी, लेकिन व्यक्तिगत सामग्री निर्माताओं और कलाकारों को भी नियंत्रित करना मुश्किल है।

सेठ ने कहा कि अधिकारियों का व्यक्तिगत कलाकृतियों में बहुत ही कम नियंत्रण है। आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम, 2016 कला और कलाकृति को परिभाषित नहीं करता है, जिसके कारण संदेह की स्थिति बनी रहती है कि क्या वह कलाकृति इस विशेष अधिनियम के तहत आती है या नहीं।

First Published - January 18, 2023 | 11:39 PM IST

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