केबल परिचालकों के साथ चैनल के मूल्य निर्धारण के मुद्दों पर विवाद की स्थिति बनने के बाद भारत में एक-तिहाई से अधिक केबल और सैटेलाइट टीवी वाले घरों में शनिवार से स्टार, सोनी और ज़ी नेटवर्क जैसे लोकप्रिय प्रसारणकर्ताओं के चैनलों का प्रसारण रुक गया है। यह मुद्दा टेलीविजन प्रसारण उद्योग में कई खामियों को उजागर करता है। आखिर यह मुद्दा है क्या, डालते हैं इस पर एक नजर।
कुछ शीर्ष प्रसारकों के चैनलों का प्रसारण न करने का क्या कारण है?
चैनलों का मूल्य निर्धारण, भारत में टेलीविजन प्रसारण बाजार का एक अहम मुद्दा है। केबल परिचालकों का कहना है कि शीर्ष नेटवर्क अपने चैनलों की लोकप्रियता के कारण उनके मूल्य निर्धारण की शर्तें तय करते हैं, जबकि प्रसारकों का कहना है कि केबल परिचालक अपने ग्राहकों की संख्या कम बताते हैं जिसके चलते उन्हें सदस्यता में काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है।
यह मुद्दा तब से विवादास्पद हुआ है जब से भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने नवंबर 2022 में नए शुल्क आदेश (एनटीओ) 2.0 (जिसे अब एनटीओ 3.0 कहा जाता है) में संशोधन किया था, जिसमें एक टेलीविजन चैनल के मूल्य सीमा 12 रुपये से बढ़ाकर 19 रुपये तक कर दी गई थी।
इससे किस तरह की रस्साकशी की स्थिति बनी हुई है?
अखिल भारतीय डिजिटल केबल फेडरेशन (एआईडीसीएफ) के नेतृत्व वाले केबल ऑपरेटरों का कहना है कि एक टीवी चैनल के लिए 12 रुपये के बजाय 19 रुपये की वृद्धि से कीमतों में तेज बढ़ोतरी होगी और घरेलू केबल तथा सैटेलाइट बाजार कीमतों के प्रति संवेदनशील है।
इसके सदस्यों ने चैनल मूल्य निर्धारण के मुद्दे पर उन प्रसारकों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। एआईडीसीएफ का कहना है कि कुछ चैनलों के लिए कीमतों में बढ़ोतरी 25 से 30 प्रतिशत तक हो सकती है, जो कुछ मामले में 60 प्रतिशत तक हो सकती है।
दूसरी ओर, इंडियन ब्रॉडकास्टिंग ऐंड डिजिटल फाउंडेशन (आईबीडीएफ) का कहना है कि मूल्य वृद्धि केवल 5-15 प्रतिशत के दायरे में है जो चार साल बाद बढ़ाई जा रही है। इसके अलावा, आईबीडीएफ का कहना है कि वास्तविक तौर पर कनेक्शन तभी कटा जब उन केबल ऑपरेटरों को नोटिस दिया गया जिन्होंने उनके साथ समझौतों पर हस्ताक्षर नहीं किए थे।
जमीनी हकीकत क्या है?
विवाद के कारण, लगभग 4.5 करोड़ घरों में अब स्टार, सोनी और ज़ी नेटवर्क चैनल नहीं हैं। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, इस मामले की सुनवाई अदालत में चल रही है, लेकिन चैनलों की सेवाएं बंद होने के चलते केबल उपभोक्ताओं को डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) में स्थानांतरित किया जा सकता है।
जैसा कि भारत में पे टीवी बाजार में गिरावट आई है और कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में पे टीवी का आधार लगभग 10.8 करोड़ घरों में है। ब्रोकिंग फर्म इलारा कैपिटल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) करण तौरानी का कहना है कि यह संख्या अभी करीब 12.5 करोड़ है। यह भारत में 17 करोड़ के कुल टीवी घरों का लगभग 74 प्रतिशत है।
क्या मौजूदा गतिरोध खत्म होगा?
उम्मीद है कि केरल उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ऐसा होगा। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि चैनल मूल्य निर्धारण के मामले में केबल परिचालक और प्रसारणकर्ता कंपनियां मिलजुलकर एक आधार तलाशने की कोशिश कर सकती हैं ताकि केबल ग्राहकों को चैनल की सेवाएं बंद होने का सामना न करना पड़े।
इस तरह, मुंबई में केबल होम, लगभग 1,000 चैनलों के लिए प्रति माह 550 रुपये का भुगतान करते हैं। इसमें फ्री-टू-एयर के साथ केबल ऑपरेटरों के पे चैनल और स्थानीय चैनल शामिल हैं। मीडिया उद्योग के सूत्रों के अनुसार, डीटीएच उपभोक्ता भी इतनी ही राशि का भुगतान करते हैं।