कानूनन निषिद्ध उत्पादों एवं सेवाओं के विज्ञापनों में 2024-25 के दौरान 23.6 प्रतिशत इजाफा देखा गया और इनकी संख्या बढ़कर 3,347 हो गई। भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) की सालाना शिकायत रिपोर्ट के अनुसार इनमें ज्यादातर विज्ञापन अवैध सट्टेबाजी के विदेशी प्लेटफॉर्मों से संबंधित थे। 2023-24 में 2,707 उत्पादों या सेवाओं के विज्ञापन आए थे, जो निषिद्ध वस्तुओं तथा सेवाओं से जुड़े थे।
पिछले वित्त वर्ष में आए ऐसे 3,347 विज्ञापनों में 3,081 अवैध सट्टेबाजी के विदेशी प्लेटफॉर्मों के थे। इनमें 318 इन प्लेटफॉर्म को बढ़ावा देने वाले इन्फ्लुएंसरों के थे। उनके अलावा 233 विज्ञापन ऐसे थे, जिन्होंने संभवतः दवा एवं जादुई समाधान अधिनियम का उल्लंघन किया था। 21 विज्ञापन अल्कोहल ब्रांडों से संबंधित थे और 12 विज्ञापन अनधिकृत विदेशी मुद्रा कारोबार ऐप्लिकेशन के थे। इन ऐप पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने प्रतिबंध लगा रखा है। एएससीआई ऐसे विज्ञापनों को उजागर कर रहा है जिन पर कानूनन प्रतिबंध है। उसने कहा कि इसके पीछे उसका मकसद यह है कि नियामक इनके खिलाफ उचित कार्रवाई करे।
उपभोक्ताओं ने विदेशी सट्टेबाजी और रियल्टी क्षेत्रों के विज्ञापनों की सबसे ज्यादा शिकायतें की हैं जिनकी संख्या 2024-25 में 83 प्रतिशत बढ़ गई। एएससीआई ने कुल 9,599 शिकायतों पर विचार किया और 7,199 की जांच की। जिन शिकायतों की जांच की गई उनमें 98 प्रतिशत में कुछ हद तक सुधार की जरूरत थी। एएससीआई ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि ऐसे मामलों में 43 प्रतिशत विदेशी सट्टेबाजी के बारे में आईं और 24.9 प्रतिशत रियल्टी से जुड़ी थीं।
एएससीआई की मुख्य कार्याधिकारी एवं महासचिव मनीषा कपूर ने कहा, ‘इस साल हमने विदेशी सट्टेबाजी या जुआ और रियल एस्टेट जैसे गंभीर क्षेत्रों से जुडी समस्याएं दूर करने के प्रयास बढ़ाए। इन क्षेत्रों में विज्ञापनों से जुड़े नियमों के उल्लंघन के अधिक मामले आए।‘रियल्टी क्षेत्र के बाद पर्सनल केयर खंड में ऐसे सबसे अधिक 5.7 प्रतिशत मामले आए। स्वास्थ्य क्षेत्र 5.23 प्रतिशत शिकायतों के साथ उसके बाद रहा। खाद्य एवं शीतल पेय की ऐसे मामलों में 4.69 प्रतिशत हिस्सेदारी रही। रिपोर्ट में कहा गया कि जितनी शिकायतों की जांच हुई उनमें इन्फ्लुएंसर द्वारा नियमों के उल्लंघन के मामले 14 प्रतिशत रहे।
एएससीआई के चेयरमैन पार्थ सिन्हा ने कहा कि लोगों द्वारा शिकायतों में बढ़ोतरी काफी कुछ कहती है। इससे पता चलता है कि कितने विज्ञापन दाता नियमों का अनुपालन करते हैं। एएससीआई ने इन्फ्लुएंसर के 1,015 विज्ञापनों की जांच की जिनमें सबसे अधिक 31.4 प्रतिशत अवैध सट्टेबाजी से जुड़े थे। इसके बाद फैशन एवं लाइफस्टाइल श्रेणी में 16.2 प्रतिशत विज्ञापन रहे।