सर्वोच्च न्यायालय ने केरल सरकार की उन दो अपीलों को खारिज कर दिया है जिनमें लॉटरी टिकटों पर बिक्री कर की मांग की गई थी। न्यायालय के ताजा फैसले के मुताबिक बिक्री कर के लिहाज से टिकट कोई सामान नहीं हैं।
न्यायालय ने कहा है कि लॉटरी टिकट महज एक कागज का टुकड़ा है। इसका मूल्य इस तथ्य में निहित है कि यह चुकाई जाने वाली संभावित राशि की तुलना में बड़ी राशि के पुरस्कार के सशर्त लाभ का अधिकार या अवसर का प्रतिनिधित्व करता है।
‘सनराइज एसोसिएट्स बनाम दिल्ली सरकार’ मामले में संविधान पीठ जैसे शुरुआती फैसलों में सरकार के तर्क को अस्वीकार कर दिया गया है। फैसले में कहा गया है कि लॉटरी टिकट के खरीदार के दावे को सेल्स ऑफ गुड्स ऐक्ट और बिक्री कर कानूनों के तहत अलग है।
कर्नाटक हाईकोर्ट की आलोचना
सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले की आलोचना की है जिसमें उसने एक निचली अदालत द्वारा तय की गई बीमा राशि में बिना कोई कारण बताए कटौती कर दी थी।
यह राशि आग लगने से एक फर्म को हुए नुकसान की भरपाई के लिए तय की गई थी। फैसले में कहा गया है, ‘कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले में निचली अदालत द्वारा तय की गई मुआवजा राशि को कम करने के लिए एक भी उपयुक्त कारण नहीं बताया गया है।’
मलांड ट्रेडर्स, जिसने अपनी परिसंपत्तियों का न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी से बीमा करवाया था, ने जब बीमित राशि की मांग की तो उसे कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। यह फर्म दीवानी न्यायाधीश के पास चली गई जिसने 3.3 लाख रुपये की राशि मुकर्रर की।
लेकिन काफी लंबे समय बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बिना कोई कारण बताए इसे घटा कर 48,000 रुपये कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने बीमा कंपनी से निचली अदालत द्वारा तय की गई राशि चुकाया जाना है।
अंसल को राहत
गुड़गांव में टाउनशिप विकसित करने वाली प्रमुख रियल्टी कंपनी मैसर्स अंसल प्रॉपर्टीज ऐंड इंडस्ट्रीज को उस वक्त राहत मिल गई जब सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा की गई 61,000 रुपये प्रति एकड़ की मांग गैर-कानूनी और अनुचित है।
राज्य के टाउन एवं कंट्री प्लानिंग के निदेशक ने धमकी दी थी अगर कंपनी बाह्य विकास शुल्क के तौर पर इतनी राशि नहीं चुकाती है तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। इस मामले में एक और शर्त थी कि ऐसा कोई भी शुल्क प्लॉट होल्डरों से नहीं वसूला जाएगा।
कंपनी ने राज्य सरकार की मांग को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, लेकिन इसकी याचिका को खारिज कर दिया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने कंपनी की अपील स्वीकार कर ली और फैसला दिया कि सरकार कंपनी के बकाया की वापसी सुनिश्चित करे।
स्कॉच व्हिस्की की याचिका खारिज
सर्वोच्च न्यायालय ने स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन की उस याचिका को खारिज किया है जिसमें पिछले साल खोडे गु्रप को उसके प्रमुख व्हिस्की ब्रांड पीटर स्कॉच में इस्तेमाल होने वाले शब्द स्कॉच के इस्तेमाल के अनुमति के फैसले की समीक्षा की मांग की गई थी।