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रोजगार के लिए जरूरी परिवहन सुविधा पर एफबीटी नहीं

Last Updated- December 07, 2022 | 1:43 AM IST

फ्रिंज बेनीफिट टैक्स (एफबीटी) एक नया नाम है, जो वित्त अधिनियम 2005 के तहत लागू किया गया है। इसमें कुछ निश्चित फायदों के रूप में कर्मचारियों को मिल रहे कुल धन पर कर लगाया जाता है।


आर ऐंड बी फाल्कन प्राइवेट लिमिटेड के मामले में (169 टैक्समैन 515) अपने हाल के फैसले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 6 मई 2008 को कहा, ‘संसद की मंशा उस नियोक्ता पर कर लगाने की थी, जो एक ओर तो कर्मचारियों के फायदों मसलन मनोरंजन आदि के नाम पर अपना खर्च कम कर लेता है और दूसरी ओर जब भत्ते वगैरह पाने वाले कर्मचारियों पर कर लगाया जाता है, तो जिनको नियोक्ता द्वारा किए गए खर्च से प्रत्यक्ष या परोक्ष लाभ मिलते हैं, वे कर से पूरी तरह बच जाते हैं।’

फ्रिंज बेनीफिट टैक्स से संबंधित धारा 115 डब्ल्यूबी में तीन उप धाराएं हैं – उप धारा (1) फ्रिंज लाभों की परिभाषा देती है, उप धारा (2) कर्मचारियों को मिलने वाले विभिन्न प्रकार के लाभों के विस्तृत अर्थ समझाती है और उप धारा (3) कुछ खास फायदों को एफबीटी के दायरे से छूट दिलाती है।

यहां मसला यह है कि क्या कर्मचारियों को घर से कार्यस्थल तक ले जाने और वहां से वापस घर तक छोड़ने के लिए मुहैया कराई जाने वाली परिवहन सुविधा पर भी एफबीटी दिया जाना चाहिए। परिवहन और यात्रा के नाम पर मिलने वाले लाभ को उप धारा (2) के तहत खास तौर पर एफबीटी के दायरे में लाया गया है। लेकिन अगर यह लाभ उप धारा (1) के अनुसार आम फायदों की श्रेणी में आता है, तो उस पर किसी तरह का एफबीटी लागू नहीं होगा चूंकि उप धारा (3) परिवहन की ऐसी सुविधा को एफबीटी से मुक्त करती है, जो उप धारा (1) के दायरे में आती है।

इस संदर्भ में आर ऐंड बी फाल्कन प्राइवेट लिमिटेड के मामले में एएआर के फैसले पर निगाह डालना बेहतर होगा। ऑस्ट्रेलिया की एक कंपनी मोबाइल ऑफशोर ड्रिलिंग रिग (एमओडीआर) और समुद्र तट से दूर के तेल कुएं खोदने वाले कर्मचारी मुहैया कराने का कारोबार करती थी। उसने भारतीय कंपनी के साथ एमओडीआर, उपकरण और कर्मचारी मुहैया कराने के लिए समझौता किया। विदेशी कंपनी के कर्मचारी अलग-अलग देशों के रहने वाले थे।

कर्मचारियों को उनके देश से एमओडीआर तक दो चरणों में लाया गया – पहले उन्हें निवास स्थान से भारत के किसी शहर में लाया गया और दूसरे चरण में उन्हें उस शहर से एमओडीआर तक ले जाया गया। कंपनी ने एएआर से यह तय करने की अपील की कि विदेशी कर्मचारियों को उनके घरों से कार्यस्थल तक लाने और वहां से वापस घर तक पहुंचनाने के लिए मुहैया कराई गई परिवहन सुविधा पर हुआ खर्च एफबीटी के दायरे में आएगा या नहीं।

एएआर ने कहा कि कर्मचारियों को विदेश में उनके घरों से भारत में कार्यस्थल तक लाया गया था। इसलिए नियोक्ता को एफबीटी देना पड़ेगा।  इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे दी गई (देखें 169 टैक्समैन 515)। सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि नियोक्ता की ओर से मुहैया कराई गई परिवहन सुविधा उप धारा (1) के तहत आती है।

रोजगारप्रदाता जरूरी होने की वजह से ही यह खर्च करता है। इसी कारण यह खर्च स्पष्ट तौर पर ‘रोजगार के लिए जरूरत’ की परिधि में आता है। यदि फ्रिंज लाभ रोजगार के लिए जरूरी होने के कारण दिए जा रहे हैं और उन्हें किसी सुविधा, बिल पेश करने पर भुगतान (रीइंबर्समेंट) या किसी अन्य रूप में दिए जा रहे हैं, तो उप धारा (1) का प्रावधान (ए) स्पष्ट तौर पर लागू होगा।

चूंकि उप धारा (1) के दायरे में आने वाली परिवहन की सुविधा को उप धारा (3) के मुताबिक एफबीटी से मुक्त कर दिया गया है, इसलिए यह फैसला किया गया कि कर्मचारी को उसके घर से कार्यस्थल तक लाने और वापस पहुंचाने के लिए नियोक्ता की ओर से मुहैया कराई गई परिवहन सुविधा पर एफबीटी देय नहीं होगा।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि एफबीटी से छूट का दावा करने के लिए कर्मचारी का घर भारत की सीमा में होना जरूरी नहीं है। इसलिए विदेशी कर्मचारी भी एफबीटी से छूट के हकदार होंगे।

First Published - May 26, 2008 | 2:09 AM IST

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