केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सौर उपकरण विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत दूसरे खेप को मंजूरी दे दी। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने इस खेप के तहत 19,500 करोड़ रुपये दिए जाने का प्रस्ताव रखा था। यह आवंटन उच्च दक्षता वाले सोलर फोटोवोल्टाइक (पीवी) मॉड्यूल में गीगावाट स्तर की विनिर्माण क्षमता हासिल करने के राष्ट्रीय कार्यक्रम का हिस्सा है।
मंत्रिमंडल ने एक बयान में कहा कि इस योजना के जरिये पूर्ण एवं आंशिक तौर पर एकीकृत सोलर पीवी मॉड्यूल की लगभग 65 गीगावॉट सालाना उत्पादन क्षमता स्थापित होने का अनुमान है। बयान में कहा गया, ‘इस योजना से करीब 94,000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष निवेश होगा और सौर विनिर्माण श्रृंखला में सहायक उपकरण बनाने की क्षमता भी तैयार होगी।’
मंत्रिमंडल ने कहा कि इस योजना से करीब 1.95 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और 7.80 लाख लोगों को परोक्ष रोजगार मिलेगा। साथ ही लगभग 1.37 लाख करोड़ रुपये कीमत का आयात भी बंद हो जाएगा।
पहले चरण में 4,500 करोड़ रुपये का पीएलआई आवंटन हुआ था, जिसमें निविदा जारी करने पर नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय को करीब 50 गीगावॉट के लिए बोलियां मिली थीं। बोली लगाने वाली कंपनियों में कोल इंडिया, लार्सन ऐंड टुब्रो, विक्रम सोलर, मेघा इंजीनियरिंग और कई नई एवं कंपनियां थीं। विजेताओं में आरएनईएसएल, अदाणी इन्फ्रास्ट्रक्चर और शिरडी साई शामिल थीं।
2022-23 के केंद्रीय बजट में इस मद की रकम बढ़ाकर 19,500 रुपये कर दी गई ताकि अधिक बोलियां मंगाई जा सकें।
हाल में बिजनेस स्टैंडर्ड ने खबर दी थी कि पीएलआई के नए दौर में अलग-अलग उत्पाद श्रेणियों के लिए तीन अलग-अलग योजनाएं होंगी। कुल आवंटित निधि में सबसे ज्यादा 12,000 करोड़ रुपये ‘पॉलिसिलिकन-वेफर्स-सेल-मॉड्यूल’ (यानी कच्चे माल से तैयार उत्पाद तक) के विनिर्माण के लिए दिए जा सकते हैं।
सरकार वेफर-सेल-मॉड्यूल के लिए 4,500 करोड़ रुपये देगी और सेल मॉड्यूल विनिर्माण के लिए 3,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के प्रस्ताव में कहा गया, ‘इस योजना को अब तीन अलग-अलग योजनाएं माना जा सकता है। यदि किसी श्रेणी में कम रकम चाहिए तो बची रकम बाकी दोनों में चली जाएगी।’
मसौदे में कहा गया है कि पॉलिसिलिकन-मॉड्यूल श्रेणी में अधिकतम 10 गीगावॉट की बोली लगाने की अनुमति होनी चाहिए। बाकी दोनों श्रेणियों मे 6-6 गीगावॉट की बोली सीमा रखने का सुझाव है। बोली लगाने वाले को विनिर्माण के एकीकरण, प्रस्तावित विनिर्माण क्षमता, साल दर साल स्थानीय मूल्यवर्द्धन और उत्पादों की दक्षता के बारे में बताना होगा।
पॉलिसिलिकन सौर उपकरण विनिर्माण की पूरी श्रृंखला में कच्चे माल का काम करता है मगर भारत में कोई भी कंपनी इसे नहीं बनाती। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड पॉलिसिलिकन विनिर्माण में साझेदारी के लिए चीन की कंपनी हुआलू इंजीनियरिंग के साथ बातचीत कर रही है।