वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक ने आज उच्चतम न्यायालय से कहा है कि बैंक अर्थव्यवस्था को बहाल करने में उल्लेखनीय भूमिका निभा रहे हैं और उनसे ब्याज दरों का बोझ उठाने को कहना वित्तीय व्यवस्था व आर्थिक वृद्धि पर विपरीत असर डालेगा।
केंद्र व रिजर्व बैंक की ओर से तर्क करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 2 न्यायाधीशों के पीठ से कहा कि ब्याज माफी या कर्ज पर सबको किस्त टालने की सुविधा देना तात्कालिक दुखद प्रतिक्रिया होगी और यह अर्थव्यवस्था के हित में नहीं है।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि वह इस मामले पर गुरुवार को फिर सुनवाई करेगा। विलंबित किस्त पर ब्याज माफ करने, या ब्याज पर ब्याज न लेने के मामले में कई पक्षकार हो गए हैं। इसमें विभिन्न राज्यों के रियल एस्टेट निकाय, होटल एसोसिएशन, बिजली उत्पादकों के समूह, शॉपिंग सेंटरों के प्रतिनिधि व अन्य शामिल हैं।