मंदी से जूझ रही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार द्वारा लाए गए दूसरे वित्तीय पैकेज के बाद विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) और केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने कई अहम बदलाव किए हैं।
विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) के चैप्टर 3 के तहत सर्व्ड फ्रॉम इंडिया स्कीम, विशेष कृषि एवं ग्राम उद्योग योजना, फोकस प्रॉडक्ट स्कीम, हाईटेक प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम जैसी योजनाओं के अधीन निर्यात प्रोत्साहन उपलब्ध हैं।
ये निर्यात प्रोत्साहन क्रेडिट शुल्क के माध्यम से उपलब्ध हैं। 6 जनवरी, 2009 को जारी डीजीएफटी पॉलिसी सर्कुलर नंबर 51 में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इन स्कीमों के तहत पात्रता की गणना निर्यात के फ्री-ऑन-बोर्ड (एफओबी) मूल्य पर की जाएगी।
इस मूल्य में अगर किसी तरह का कमीशन या छूट हो तो उसे भी इसमें शामिल कर लिया जाएगा। इसका मतलब है कि कमीशन भी क्रेडिट शुल्क में शामिल होगा, जैसा कि डयूटी एनटाइटलमेंट पासबुक (डीईपीबी) स्कीम के मामले में है।
डीईपीबी स्कीम के तहत कमीशन के लिए अधिकतम सीमा 12.5 फीसदी तय की गई है, लेकिन चैप्टर 3 योजनाओं के तहत इस तरह की उच्चतम सीमा नहीं लगाई गई है। चैप्टर 3 के तहत फ्री शिपिंग बिल दाखिल किए जाते हैं।
हालांकि निर्यातक को संबद्ध योजना के तहत निर्यात के बारे में जानकारी देने, खासकर किसी मूल्य निर्धारण मुद्दे को लेकर सीमा शुल्क अधिकारियों को सूचित करने, की ही जरूरत होती है, क्योंकि क्रेडिट शुल्क एफओबी मूल्य की प्रतिशतता के रूप में उपलब्ध है। कानून के तौर पर फ्री शिपिंग बिल के तहत सामान की जांच नहीं की जाती है।
अब चैप्टर 3 योजनाओं के तहत निर्यात किए जाने वाले सामान की जांच के लिए सीबीईसी ने मानक निर्धारित किए हैं। इसके साथ ही सीबीईसी को उत्पाद शुल्क की सीलिंग और फैक्टरी पर जांच की सुविधा को बहाल करना चाहिए।
लेकिन फ्री शिपिंग बिल के तहत निर्यात किए जाने वाले सामान की उत्पाद शुल्क अधिकारियों द्वारा जांच नहीं कराए जाने के निर्देश को जारी रखा जाना चाहिए।
यह कठिनाई पैदा करेगा, क्योंकि फ्री शिपिंग बिल के तहत चैप्टर 3 शिपमेंट की उत्पाद शुल्क अधिकारियों द्वारा फैक्टरी पर जांच नहीं की जा सकेगी। यह सिर्फ बंदरगाहों पर सीमा-शुल्क अधिकारियों द्वारा संभव होगा।
विदेश व्यापार महानिदेशालय ने अग्रिम प्राधिकरण के अधीन प्रतिबंधित सामान के आयात के बारे में मौजूदा कानूनी प्रक्रिया को स्पष्ट कर दिया है। इसने कहा है कि डयूटी फ्री इम्पोर्ट अथॉराइजेशन स्कीम के तहत संवेदनशील उत्पादों की ही जांच की जाएगी।
एक्सपोर्ट प्रमोशन कैपिटल गुड्स स्कीम के तहत विस्तार की अनुमति देने के लिए कानूनी प्रावधानों में बदलाव किया गया है। 5 नवंबर, 2008 से पहले लागू डीईपीबी दरों को तुरंत प्रभाव से बहाल कर दिया गया है।
सीबीईसी ने फुटवियर के वर्गीकरण के बारे में एक महत्त्वपूर्ण स्पष्टीकरण जारी किया है। सीबीईसी ने सिंथेटिक, टेक्स्टाइल आदि जैसे चमड़ा और गैर-चमड़ा के संयोजन वाले फुटवियर क्षेत्र के वर्गीकरण के लिए शुल्क वापसी के उद्देश्य से यह स्पष्टीकरण जारी किया है।
उत्तर-पूर्व में तंबाकू निर्माण में लगी इकाइयों द्वारा किए जाने वाले निवेश की जांच करने वाले एक पैनल का भी पुनर्गठन किया गया है। घरेलू निर्माताओं के हितों को ध्यान में रख कर शहतूत के कच्चे रेशम और ग्लास शीट पर एंटी-डम्पिंग शुल्क पुन: लगा दिया गया है।
हालांकि कई वस्तुओं पर लगा प्रतिबंध अब समाप्त कर दिया गया है, लेकिन निर्यातक और आयातक और अधिक सरल एवं लाभदायक स्पष्टीकरण चाहते हैं ताकि परिचालन स्तरों पर लेन-देन के खर्च में कमी लाई जा सके और उनके कारोबार में आसानी हो सके।