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बाजार में पैठ बढाने के लिए ऑटोमोबाइल निर्यातकों को छूट

Last Updated- December 07, 2022 | 11:46 PM IST

वित्तीय बाजार में जहां आजकल उदासी का माहौल है, वहीं ऑटोमोबाइल क्षेत्र में कुछ खुशी का माहौल है।


मार्केट लिंक्ड फोकस मार्केट स्कीम (एमएल-एफएमएस) के तहत ऑटो के कल पुर्जे जैसे ब्रेक लाइनिंग्स, गियर बॉक्स, ड्राइव एक्सल्स, शॉक एब्जॉर्बर, रेडियेटर, साइलेंसर, एक्जहॉस्ट पाइप, स्टीयरिंग ह्वील्स, गास्केट के निर्यातकों को फ्री ऑन बोर्ड (एफओबी) मूल्य के मुकाबले 1.25 फीसदी का लाभ मिल सकता है।

अगर वह इन कल पुर्जों को अर्जेंटीना, ब्राजील, जापान, दक्षिण अफ्रीका, कोरिया, ईरान और रूस में बेचता है। निर्यातकों को मिलने वाला यह प्रोत्साहन 1 अप्रैल 2008 से लागू है। इस शुल्क को किसी मुफ्त आयातित सामग्री पर उत्पाद शुल्क देकर पाटा जा सकता है। डयूटी क्रेडिट हस्तांतरणीय है।

1500 सीसी क्षमता की मोटर कारों को अगर बहरीन, बंग्लादेश, केन्या, कुवैत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस, सऊदी अरब, सिंगापुर, रूस, तंजानिया, तुर्र्की, सऊदी अरब अमीरात और यूके्रन में निर्यात किया जाए, तो इसी प्रकार की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।

ठीक उसी तरह अगर 500 सीसी क्षमता की मोटर साइकिल नाइजीरिया, इंडोनेशिया, केन्या, तंजानिया, मेक्सिको, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका और मिस्र में अगर निर्यात की जाए तो वहीं रियायत दी जाती है। चेसिस के साथ इंजन में उसी तरह की रियायत का प्रावधान है, जो अल्जीरिया, दुबई, कतर, नाइजीरिया, केन्या, ओमान, तंजानिया, सिंगापुर, सऊदी अरब, मिस्र, कुवैत और सऊदी अरब अमीरात को बेची जाती है।

एमएल-एफएमएस को इस साल इसलिए लाया गया क्योंकि उन देशों में निर्यात को बढ़ावा दिया जाए, जहां यह काफी कम मात्रा में मौजूद है। अगस्त में तंजानिया, नाइजीरिया, केन्या, ब्राजील और यूक्रेन में साइकिलों के कल पुर्जे बेचने की घोषणा की गई।

विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) के अध्याय 3 में एमएल-एफएमएस की सुविधाओं के अलावा अन्य किसी प्रकार की सुविधाओं का प्रस्ताव नहीं है। फ्री शिपिंग बिल के तहत निर्यातकों को एमएल-एफएमएस के तहत सुविधाओं की घोषणा करने की सुविधा दी गई है।

एफटीपी के मुताबिक इस योजना के तहत शिपमेंट को निर्यात प्रोत्साहन कैपिटल गुड्स (ईपीसीजी) निर्यात ऑब्लिगेशन की शर्तों को भी पूरा करना होगा। हालांकि ईपीसीजी उत्पाद के नोटिफिकेशन में यह कहा गया है कि जिस सामग्री पर स्कीम के तहत छूट का प्रावधान है, उसको ईपीसीजी स्कीम के तहत निर्यात ऑब्लिगेशन की शर्तों को पूरा करना जरूरी नहीं है।

इस तरह के विरोधाभास को दूर करने की जरूरत है। वाणिज्य मंत्रालय ने चीन से दूध और इसके उत्पाद के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह तब किया गया जब यह रिपोर्ट आई कि इस उत्पादों के सेवन के बाद बच्चे बीमार पड़ रहे हैं। इसके कुछ दिन पहले मंत्रालय ने इंफ्लुएंजा पीड़ित देशों से मांस और पॉल्ट्री उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

मंत्रालय ने गैर-बासमती के प्रतिबंध पर छूट जरूर दे दी है। एफटीपी ने घरेलू टैरिफ एरिया (डीटीए) से विशेष आर्थिक क्षेत्र के डेवलपर्स से सामग्रियों की आपूर्ति करने पर डयूटी इंटाइटलमेंट पासबुक (डीईपीबी) की अनुमति दी है, चाहे भुगतान रुपये में ही क्यों न ली जा रही है। वैसे विशेष आर्थिक क्षेत्र में इस तरह की रियायत नहीं दी गई है।

इस तरह की रियायतों के लिए व्यापारियों की लॉबी को आत्ममंथन करने की जरूरत है। बुनियादी ढांचा में वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए इंदौर को टाउन ऑफ एक्सपोर्ट एक्सीलेंस की सूची में शामिल किया जा चुका है।

निर्यातोन्मुखी इकाइयों को सामान की खरीदारी के लिए मात्र ईओयू स्कीम के आधार पर ही मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स ने कुछ मददकारी  प्रावधान जारी किए हैं और ईपीसीजी स्कीम के तहत सर्टिफिकेट भी जारी किया है। डीम्ड स्कीम के तहत भी प्राप्ति के प्रमाण पत्र को जारी करने के आदेश दिए गए हैं।

First Published - October 13, 2008 | 2:47 AM IST

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