दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (एनएए) के खिलाफ चल रही बहुप्रतीक्षित सुनवाई की तिथि 3 नवंबर से बढ़ाकर 7 दिसंबर कर दी है।
हिंदुस्तान यूनिलीवर, पतंजलि, जुबिलेंट फूडवक्र्स, रेकिट बेंकिसर, जॉनसन ऐंड जॉनसन, फिलिप्स और सबवे सहित तमाम दिग्गज कंपनियों के करीब 50 याचिकाएं न्यायालय में लंबित हैं।
याचिकाओं की संख्या को देखते हुए न्यायालय ने हर याची को निर्देश दिया है कि वह अपनी प्रस्तुति 5 पृष्ठों में दाखिल करे। दिसंबर में वर्चुअल सुनवाई होगी, जबकि नवंबर में व्यक्तिगत सुनवाई होनी थी।
सुनवाई के शुरुआती चरण में न्यायालय ने कहा था कि ऐसा लगता है कि प्राधिकरण और वित्त मंत्रालय को चुनौती देने वालों के बीच आम राय नहीं है, जिसे लेकर मामला बनाया गया है।
करीब एक दर्जन याचिका के आवेदकों के वकील अभिषेक रस्तोगी ने कहा कि उन्होंने 48 मसले उठाए थे, लेकिन वित्त मंत्रालय ने कहा कि इनमें से 14 ही ठोस हैं।
उन्होंने कहा कि सुनवाई के शुरुआती चरण में सहमति बनी थी कि शुरुआती बहस सिर्फ संवैधानिक पहलुओं के हिसाब से होगी और उसके बाद खास तथ्यों के आधार पर रिट याचिकाओं पर बहस होगी।
विभिन्न मसलों में प्राधिकरण की संवैधानिक वैधता को सीजीएसटी ऐक्ट की धारा 171 और अधिनियम के नियम 126,127, और 134 के तहत चुनौती दी गई है।
धारा 171 प्राधिकरण के संविधान से जुड़ी है। नियम 126, 127 और 133 अन्य पहलुओं जैसे प्राधिकरण के दायित्व जैसे मुनाफाखोरी के निर्धारण के तरीके और प्रक्रिया को तय करने से संबंधित हैं।
प्राधिकरण का गठन नवंबर 2017 में किया गया था, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कंपनियां इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) और जीएसटी में की किए जाने का लाभ दाम घटाकर ग्राहकों तक पहुंचा रही हैं।
