कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आज एमेजॉन और फ्लिपकार्ट की ओर से दाखिल आवेदन को खारिज करते हुए एकल न्यायाधीश के फैसले को बरकरार रखा है। ई-कॉमर्स फर्म ने प्रतिस्पर्धा कानून के कथित उल्लंघन की भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा जांच की पहल को चुनौती दी थी।
ई-कॉमर्स फर्मों ने न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और नटराज रंगास्वामी के खंडपीठ के समक्ष 11 जून के एकल पीठ की ओर से जारी आदेश के खिलाफ अपील की थी। अपील खारिज करते हुए पीठ ने कहा, ‘कल्पना के आधार पर इस स्तर पर जांच को खारिज नहीं किया जा सकता है। आवेदकों को सीसीआई की जांच से नहीं डरना चाहिए। न्यायालय की राय में अपील करने वालों के आवेदन में दम नहीं है और यह खारिज करने योग्य है।’
एमेजॉन ने सीसीआई के आदेश के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय में अपील की थी, जिसमें उसके प्लेटफॉर्म पर स्मार्टफोन की बिक्री के मामले में प्रतिस्पर्धा रोधी आचरण के आरोपों की जांच महानिदेशक से करने को कहा गया था। सीसीआई को सूचना देने वाले व्यापार संगठन दिल्ली व्यापार महासंघ (डीवीएम) ने सीसीआई के जांच के फैसले को सही ठहराया था। डीवीएम ने आरोप लगाए थे कि ये कंपनियां स्मार्टफोन की बिक्री पर भारी छूट दे रही हैं और कुछ विक्रेताओं को चुन रही हैं। अन्य आरोपों में प्रीडेटरी प्राइसिंग और खास साझेदारी शामिल है।
टेक्नोलॉजी कानून फर्म टेकलेजिस एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स के मैनेजिंग पार्टनर सलमान वारिस ने कहा कि न्यायालय के फैसले ने एक बार फिर याचियों की स्थिति मजबूत कर दी है कि सीसीआई की जांच जारी रहनी चाहिए। वारिस ने कहा, ‘बहरहाल इस बात की संभावना है कि एमेजॉन और फ्लिपकार्ट इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करेंगी।’
वालमार्ट की कंपनी फ्लिपकार्ट ने कहा कि वह कर्नाटक उच्च न्यायालय के खंडपीठ के फैसले की प्रति का इंतजार कर रही है और इसकी समीक्षा की जाएगी। फ्लिपकार्ट समूह के प्रवक्ता ने कहा, ‘जैसा कि पहले कहा गया था, हम कानून के अनुपालन को लेकर प्रतिबद्ध हैं और भारत के कानूनों का पूरी तरह से अनुपालन करते रहेंगे। हम नियमों का अनुपालन करने के लिए हर कदम उठाएंगे।’
डीवीएम कारोबारी संगठन कॉन्फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) से जुड़ी है। कैट ने न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतीया और महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, ‘यह कैट के इस रुख का पूरी तरह से पुष्टि करता है कि एमेजॉन और फ्लिपकार्ट का कारोबारी मॉडल पूरी तरह से एफडीआई नीति, कानून व अन्य कानूनों का उल्लंघन करता है और यह अनुचित व्यापार नीति है। अब सीसीआई को समय गंवाए बगैर इसकी तत्काल जांच शुरू करनी चाहिए।’
कैट का प्रतिनिधित्व एडवोकेट गौतम आदित्य और दिल्ली व्यापार महासंघ का प्रतिनिधित्व एडवोकेट अबीर रॉय ने किया।
कैट ने कहा कि सीसीआई ने जनवरी, 2020 में प्रथम दृष्टया पाया कि प्रतिस्पर्धा कानून और काम करने के एकसमान अवसर के उल्लंघन को लेकर एमेजॉन और फ्लिपकार्ट की जांच की जानी चाहिए। एमेजॉन और फ्लिपकार्ट ने फरवरी, 2020 में कर्नाटक उच्च न्यायालय की शरण ली और जांच पर स्थगनादेश मांगा।
सीसीआई ने उच्चतम न्यायालय में संपर्क साधा और उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक उच्च न्यायालय को मामले की सुनवाई का निर्देश दिया। उसके बाद इस मामले पर एकल पीठ ने 40 दिन सुनवाई की और एमेजॉन और फ्लिपकार्ट के आवेदन को खारिज कर दिया।
बाद कंपनियों ने इसे कनार्टक उच्च न्यायालय में दो जजों के पीठ के समक्ष चुनौती दी और आदेश सुरक्षित रखा गया था, जिस पर न्यायालय ने आज फैसला किया।