वायरलेस ब्रॉडबैंड के भारतीय बाजार में अब एक नई जंग का ऐलान हो चुका है। इस जंग में विरोधियों को चुनौती देने के लिए ताजा शंखनाद किया है रतन टाटा ने, जो वाईमैक्स के हथियार लेकर सभी को चारों खाने चित करने के इरादे से बाजार में उतरे हैं।
इसी मंसूबे को पूरा करने के लिए दो दिनों पहले यानी बुधवार को ही उनकी कंपनी टाटा टेलीकम्ुनिकेशन ने वायरलेस ब्रॉडबैंड के बाजार में दुनिया का सबसे बड़ा वाईमैक्स तकनीकी सौदा किया है। इसके तहत उनका इरादा टेलिस्मा कम्युनिकेशन के साथ मिलकर 50 करोड़ डॉलर के खर्च से 2008 तक देश के 110 शहरों में वाईमैक्स का जाल बिछाने का है।
हालांकि वाईमैक्स का हथियार रिलायंस, एयरसेल, एयरटेल और बीएसएनएल जैसे कई बड़े महारथियों के पास पहले से ही था मगर इस बड़े पैमाने पर टाटा के मंसूबे देखते ही ब्रॉडबैंड बाजार में हलचल मचना लाजिमी ही था।
टाटा ही नहीं, वाईमैक्स को लेकर तमाम कंपनियों में किस कदर दीवानगी है, इसका खुलासा 2007 में पिरामिड रिसर्च के एक सर्वे से हुआ था। इसके मुताबिक, 100 में से 78 कंपनियां इसे अपनाना चाहती हैं।
इनमें से 10 फीसदी का इरादा तो इस पर 10 करोड़ डॉलर से ज्यादा खर्च करने का है।
इसी का असर है कि भारत में वाईमैक्स का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। अनुमान है कि इस साल इसके उपकरणों का ही बाजार बढ़कर 120 मिलियन डॉलर का हो जाएगा, जो कि आकार के लिहाज से दुनिया के तीन बड़े बाजारों में से एक होगा।
यही नहीं, उपभोक्ताओं के लिए भी वाईमैक्स खुशखबरी लेकर आएगा क्योंकि इसकी सेवाएं भी यहां दुनिया में सबसे सस्ती होने का अनुमान है।
अब जंग में कौन सी कंपनी जीतेगी, यह तो फिलहाल कोई नहीं बता सकता लेकिन इतना तो तय है कि ब्रॉडबैंड के इस बाजार में छिड़ी घमासान में उपभोक्ता की जीत तय है।
जाहिर है, यह जीत उसके लिए बेहतर सर्विस, प्रतिस्पर्ध्दी दर, आधुनिकतम तकनीक से लैस उपकरण और सेवाएं…यह सब कुछ लेकर आएगी।
कैसे बदलेगा मोबाइल
-वायरलेस ब्रॉडबैंड से मिलेगी जीपीआरएस मोबाइल की तुलना में तकरीबन 20 गुना तेज रफ्तार से इंटरनेट सुविधा
-मोबाइल पर टीवी का हो सकेगा सीधा प्रसारण
-सस्ती होंगी दरें
क्या हैं वाईमैक्स का फंडा
-वाईमैक्स के जरिए लोगों तक इंटरनेट बिना किसी तार के पहुंच सकेगा। इसकी रेंज 8 से 30 किलोमीटर तक है।
-क्षमताओं के लिहाज से यह 3जी तकनीक से बेहतर है क्योंकि बेहद कम दर पर हाई स्पीड डाटा देने में यह कंपनियों के लिए सबसे मुफीद है।
कैसे काम करेगी तकनीक
कंपनियां इसके लिए बेस स्टेशन से तरंगें प्रसारित करेंगी, जो कि हजारों घरों तक पहुंचेंगी। इन तरंगों को रिसीव करने के लिए 8 किलोमीटर की रेंज में एक एंटेना लगाया जाएगा।