विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने बताया कि टीके की खुराक 2021 की शुरुआत से लेकर छह महीने के भीतर उपलब्ध हो सकती है। सिंह ने कहा, ‘यह उम्मीद की जाती है कि अगर अगले कुछ महीनों के भीतर एक टीका सफल होता है तो 2021 के अंत तक कई देशों के लिए पर्याप्त खुराक उपलब्ध होंगी। ऐसे में जिन लोगों को प्राथमिकता के आधार पर टीके लगाए जाने हों उन्हें टीके दिए जा सकेंगे।’
उन्होंने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि टीके के तीसरे चरण के परीक्षण को पूरा करने और इसके प्रभाव तथा सुरक्षा का आकलन करने में भी कुछ महीने लगेंगे। परीक्षण पूरा होने के बाद लाइसेंस की प्रक्रिया, इस्तेमाल के लिए मंजूरी और विशाल पैमाने पर इसके उत्पादन में भी वक्त लगेगा।
डब्ल्यूएचओ के अनुमानों के अनुसार विशेष रूप से विभिन्न देशों की मदद करने और कोविड-19 टीके की समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई कोवैक्स सुविधा के लिए इस साल 2 अरब डॉलर और 2021 में 5 अरब डॉलर की जरूरत होगी ताकि टीके को लक्षित आबादी तक दिया जा सके। विभिन्न देशों को कोवैक्स के माध्यम से टीके के खुराक की एक शुरुआती खेप तब तक मिलेगी जब तक वे 3 प्रतिशत आबादी को कवर करते हुए प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण के लिए अनुमति देंगे जिनमें स्वास्थ्य और सामाजिक सेवा से जुड़े कार्यकर्ता शामिल हैं। सिंह ने कहा कि इसके बाद अतिरिक्त खेपों के जरिये धीरे-धीरे आपूर्ति बढ़ाई जाएगी जब तक कि 20 प्रतिशत आबादी को टीके न लग जाएं जो सबसे अधिक जोखिम वाले समूह हैं।
अब तक, 184 देशों और अर्थव्यवस्थाओं ने कोवैक्स सुविधा के लिए हस्ताक्षर किए हैं जिनमें खुद वित्त पोषण करने वाले और 92 कम आमदनी वाले देश शामिल हैं जो गावी के माध्यम से वित्तीय सहायता के लिए पात्र हैं। डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया प्रमुख ने कहा कि कोविड-19 टीकों में भारत की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी और निर्माता अपनी उत्पादन क्षमता तैयार करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का प्रमुख दवा केंद्र है। दुनिया भर में बनने वाले आधे से अधिक टीके भारत में तैयार किए जाते हैं।’ कुछ अमीर देशों द्वारा टीके के थोक ऑर्डर दिए जाने के बारे में उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी नेताओं की एक इच्छा है कि वे पहले अपने लोगों की रक्षा करें, हालांकि डब्ल्यूएचओ इस बात की वकालत करता है कि महामारी को लेकर उठाया गया कदम सामूहिक होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जब तक सभी सुरक्षित नहीं होंगे तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं है। टीका वैश्विक स्तर पर सबके लिए बेहतर है।’ फि लहाल करीब 200 टीकों पर काम हो रहा है जो विकास के विभिन्न चरणों में हैं। इनमें से कम से कम 45 टीके मानव परीक्षण के स्तर में पहुंच चुके हैं। करीब 10 टीके तीसरे चरण के परीक्षण में हैं। फि लहाल कई टीके पहले और दूसरे चरण में हैं और वे अगले दो महीनों में तीसरे चरण में प्रवेश करेंगे। वह कहती हैं, ‘जिन टीकों पर काम हो रहा है उनको लेकर उम्मीदें हैं लेकिन हम नहीं कह सकते कोई टीका लोगों के लिए कब उपलब्ध हो जाएगा।’
अग्रणी टीका कंपनियों में ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय-एस्ट्राजेनेका का टीका, सिनोवैक, सिनोफार्म, कैनसिनो टीके को पेइचिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, पेइचिंग इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल प्रोडक्ट्स और वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स द्वारा तैयार किए जा रहे हैं। रूस के स्पूतनिक वी को गमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूटए मॉडर्ना और नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी ऐंड इनफेक्शियस डिजिजेज का टीका तैयार हो रहा है। इसके अलावा जैनसेन फार्मास्यूटिकल्स कंपनीज और बायोटेकएनटेक-फाइजर का टीका भी शामिल है। सिंह कहती हैं, ‘जब तक टीका या कोई दवा नहीं मिलती है तब तक यह कहना मुश्किल है दक्षिण पूर्व एशिया और दुनिया के बाकी हिस्से में महामारी से पहले वाला दौर कब वापस आएगा। हम सामान्य स्थिति बहाल करने की कोशिश में हैं
लेकिन हमें यह याद रखना होगा कि पहले की तरह सबकुछ सामान्य नहीं है। हमें हमेशा सतर्क रहना होगा।’
सिंह ने कहा कि डब्ल्यूएचओ कंपनियों और प्रायोजकों और गावी के साथ मिलकर टीका परीक्षण में तेजी, बड़े पैमाने पर टीके का उत्पादन करने के लिए अन्य लोगों के साथ गठबंधन कर रहा है ।
