मतदान के दिन जिस तरह की व्यवस्था होती है, कोविड-19 के टीकाकरण के लिए भी ठीक उसी तरह का प्रबंध किया जाएगा। इसके साथ ही छोटे शहरों से लेकर गांवों तक लोगों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिरक्षा दिवस मनाया जाएगा और टीके की आपूर्ति करने वाली कंपनियों को बैंक गारंटी दी जाएगी। कोविड-19 टीकाकरण को लेकर सरकार की ओर से बनाई जा रही रणनीति के तहत ये सब उपाय किए जा रहे हैं।
देश भर के लोगों के टीकाकरण की कार्यप्रणाली के बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय के शीर्ष अधिकारियों की कई बैठकें हो चुकी हैं। अधिक से अधिक लोगों के टीकाकरण के लिए सबसे अच्छा और पुख्ता तरीका मतदान प्रक्रिया की तरह कार्यप्रणाली को अपनाने पर निर्णय किया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों के पास इसे सफलतापूर्वक अंजाम देने का व्यापक अनुभव है।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने सरकार के दो शीर्ष अधिकारियों से चर्चा के बाद पाया कि टीके के लिए बूथ बनाए जाने की योजना है, संभवत: ऐसे बूथ देश भर में मतदान केंद्रों पर बनाए जा सकते हैं। पहले चरण में जिन लोगों को टीका लगाया जाएगा, उनका निर्धारण मतदाता सूची से किया जा सकता है। अधिकारियों ने बताया कि लोगों के नामों का मिलान उनके आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र से किया जा सकता है। इससे स्वास्थ्य कर्मियों, शिक्षकों और टीकाकरण में शामिल कर्मचारियों को काम करने में आसानी होगी।
अस्पतालों में टीके की आपूर्ति करने की तुलना में यह बेहतर तरीका हो सकता है क्योंकि छोटे-मझोले शहरों में भी अस्पतालों की दूरी काफी ज्यादा होती है। मतदान केंद्र की तरह व्यवस्था करना आसान होगा और लोग भी इससे परिचित होते हैं।
जिन लोगों को टीका दिया जाएगा उसके लिए आधार के साथ ही सरकार मोबाइल लिंकेज की भी योजना बना रही है। लोगों को बूथ पर जाकर पहली और दूसरी खुराक लेने के लिए उनके मोबाइल फोन पर रिमाइंडर भी भेजा जाएगा। वरिष्ठ नागरिक जिनके पास मोबाइल फोन नहीं है उनसे चुनाव आयोग की ट्रैकिंग विधि की तरह संपर्क किया जाएगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘बड़े शहरों में अग्रिम पंक्ति में रहकर कार्य करने वाले या ज्यादा जोखिम वाले लोग टीकाकरण के लिए सरकारी अस्पतालों में जा सकते हैं। लेकिन छोटे शहरों में यह काफी दुरुह हो सकता है।’ 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 7,935 शहर और 2.50 लाख ग्राम पंचायत हैं।
सरकार राष्ट्रीय प्रतिरक्षा दिवस आयोजित करने और इसका व्यापक प्रचार प्रसार करने की भी योजना बना रही है। टीका लेने से हिचक रहे लोगों को टीकाकरण केंद्रों तक आकर टीका लगवाने के लिए सरकार की ओर से घोषणा भी की जाएगी। टीकाकरण के विभिन्न चरणों में देश की पूरी आबादी को कवर किया जाएगा।
हालांकि इसका कोई अनुमान नहीं है कि कितने लोग टीका नहीं लगवाना चहेंगे, लेकिन स्वास्थ्य एजेंसियों का मानना है कि ऐसे लोगों की संख्या बेहद कम हो सकती है।
इस बीच राज्य इस पूरी कवायद में खर्च होने वाले धन का आकलन करने में जुट गए हैं। उनके सक्षम सबसे बड़ा सवाल यह है कि टीके तथा उससे संबंधित खर्चों का भुगतान किस तरह से किया जाए। दूसरी समस्या यह भी है कि निजी क्षेत्र की कंपनियों का कई राज्यों में बकाये को लेकर अच्छा अनुभव नहीं रहा है और इससे राष्ट्रीय स्तर पर टीकाकरण की कवायद पर असर पड़ सकता है। राज्यों के लिए एक विकल्प यह हो सकता है कि वे टीके की आपूर्ति करने वालों को बैंक गारंटी मुहैया कराएं। अधिकांश राज्य इस व्यवस्था के पक्ष में हो सकते हैं और वे अपने बैंकों या आरबीआई को इसके लिए राजी कर सकते हैं।
