सड़कों के मुद्रीकरण के अभियान के तहत भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने टोल ऑपरेट ट्रांसफर (टीओटी) मॉडल पर एक और दौर की पेशकश की तैयारी शुरू कर दी है। प्राधिकरण ने टीओटी ठेकों पर निजी कारोबारियों को पेशकश करने के लिए इस तरह के छठे दौर की सड़क खंडों का मूल्यांकन करने के लिए सलाहकार फर्म माजार्स की नियुक्ति की है।
इस बार उत्तर प्रदेश की परियोजनाओं की पेशकश होगी, जहां अगले साल की शुरुआत में चुनाव होने वाले हैं। इन सड़क खंडों में आगरा बाईपास और झांसी-शिवपुरी राष्ट्रीय राजमार्ग खंड शामिल हैं।
परियोजनाओं को दो खंडों में समाहित किया जाएगा। इन ठेकों की भी पेशकश पहले के टीओटी दौर की तरह होगा, जिसमें बोली के वक्त कोई आधार मूल्य नहीं होगा।
पिछले दौर में आधार मूल्य तय करने की प्रक्रिया खत्म कर दी गई थी, क्योंकि प्राधिकरण ने पाया कि कोविड-19 महामारी के कारण कुछ कंसेसनायर इन खंडों को टोल एवं रखरखाव हेतु लेने के लिए बड़ी धनराशि की प्रतिबद्धता करने को लेकर अनिच्छुक हैं।
एनएचएआई ने समय समय पर कॉन्ट्रैक्ट आवंटित करने के लिए आवेदन प्रस्ताव (आरएफपी) जारी किए हैं, जिसमें मुद्रीकरण के टीओटी मॉडल के तहत विभिन्न राजमार्गों का टोलिंग, परिचालन और रखरखाव किया जाना था।
टीओटी संपत्ति रिसाइकल कार्यक्रम है, जिसमें पहले से परिचालन वाले राष्ट्रीय राजमार्गों को परिचालन के लिए निजी इकाइयों को दीर्घावधि ठेके पर दिया जा रहा है।
टीओटी में टोल कॉन्ट्रैक्ट की अवधि 20 साल है, जिसमें कंसेसनायर को उस खंड का रखरखाव व परिचालन करना है। कंसेसनायर को इसके बदले टोल संग्रह और उपभोग शुल्क वसूलने का अधिकार 20 साल के लिए होगा, जो एनएच शुल्क नियमों में तय शुल्क दरों के मुताबिक होगा।
प्राधिकरण ने टीओटी मॉडल के तहत अब तक 17,000 करोड़ रुपये एकत्र किए हैं। हाल के टीओटी के पांचवें दौर में एनएचएआई को आरक्षित मूल्य से 600 करोड़ रुपये ज्यादा की बोली मिली थी।
पांचवें दौर के टीओटी में अदाणी और डीपी जैन शीर्ष बोलीकर्ता के रूप में उभरे, जिसमें गुजरात के 2 खंडों की पेशकश की गई थी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3 अगस्त, 2016 को एनएचएआई को सरकारी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के मुद्रीकरण के लिए अधिकृत किया था, जो परिचालन में हैं और कम से कम 2 साल से उन सड़कों से टोल राजस्व आ रहा है।