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एयरपोर्ट की जमीन के लिए तकरार

Last Updated- December 06, 2022 | 12:04 AM IST

मुंबई एयरपोर्ट के प्राइवेट डेवलपर और डाक विभाग के बीच जमीन के एक टुकड़े को लेकर तकरार चल रही है।


एयरपोर्ट को विस्तार के लिए 25 एकड़ जमीन चाहिए जिसका मालिकाना हक डाक विभाग केपास है। लेकिन डाक विभाग ने जमीन देने से इनकार कर दिया है। उसका कहना है कि इस भूखंड पर बनी रिहायशी कॉलोनी में विभाग के 800 कर्मचारियों के परिवार रहते हैं।


डाक विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि मुंबई अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट लिमिटिड (एमआईएएल) ने हमारे विभाग से इस संबंध में संपर्क स्थापित किया था। वे इस बात पर जोर दे रहे थे कि इन 800 परिवारों की मुंबई के किसी अन्य इलाके में रहने की व्यवस्था कर दी जाएगी। वे इस भूमि पर एक कार्गो कॉम्प्लेक्स बनाने की सोच रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि डाक विभाग ने इस मांग को एक सिरे से खारिज कर दिया।


डाक विभाग ने एयरपोर्ट क्षेत्र के अंदर पड़ने वाले इस भूखंड को किसी सूरत में एमआईएएल के साथ बांटना नही चाहती है। एयरपोर्ट के अंदर पड़ने वाला यह भूखंड डाक विभाग को 2017 तक के लिए लीज पर मिला हुआ है।


जबकि विमानन मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि डाक विभाग से कहा गया है कि वे अपनी कार्गो बनाने की योजना को नवी मुंबई में बनने वाले एयरपोर्ट के परिक्षेत्र में स्थानांतरित कर लें। लेकिन डाक विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि इस एयरपोर्ट की परिधि में पड़ने वाले भूखंड पर कार्गो कॉम्प्लेक्स बनाने के  लिए बहुत सारा काम हो चुका है। और तो और डाक विभाग नवी मुंबई एयरपोर्ट के पास भी एक कार्गो कॉम्प्लेक्स बनाने की सोच रहा है।


एमआईएएल की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। एयर इंडिया भी अपनी लीज वाली 219 एकड़ की जमीन को एमआईएएल के साथ नहीं बांटना चाहती है। एयर इंडिया के एक अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में हमने एक समझौता पत्र एमआईएएल को भेज दिया है और हम कुछ शर्तों पर ही इस भूखंड को आपस में बांट सकते हैं।


भूखंडों के इस पचड़े ने एयरपोर्ट के विकास की योजना में विलंब हो रहा है। एयरपोर्ट के पास की 276 एकड़ जमीन पर 80,000 झुग्गी झोपड़ी वालों ने कब्जा कर रखा है।एमआईएएल के एक कार्यकारी ने बताया कि जबकि एक नया टर्मिनल इस एयरपोर्ट पर बनने वाला है उस स्थिति में हमें ज्यादा जमीन की जरूरत होगी। अगर डाक विभाग और एयर इंडिया को लीज पर मिली हुई जमीन को छोड़ दें तो हमारे पास इस विस्तार के लिए मात्र 50 एकड़ जमीन ही बचेगी।


विमानन मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि झुग्गी वालों को पुर्नस्थापित करना एक मुश्किल काम साबित हो रहा है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इन झुग्गी वालों को पुर्नस्थापित करने के लिए 19,000 करोड़ रुपये में जमीन ले ली गई है। लेकिन यह जमीन मात्र 60,000 परिवारों के लिए ही पर्याप्त है। महाराष्ट्र सरकार ने इन झुग्गी झोपड़ी वालों को पुर्नस्थापित करने की जिम्मेदारी एचडीआईएल को सौंपी है।

First Published - April 28, 2008 | 10:49 PM IST

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