तृणमूल कांग्रेस के नेता और पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी ने शुक्रवार को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने की घोषणा उच्च सदन में की। बाद में उन्होंने औपचारिक रूप से अपना त्यागपत्र राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को सौंपा, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। त्रिवेदी ने ‘पश्चिम बंगाल में हिंसा’ और ‘घुटन’ का हवाला देते हुए जब उच्च सदन में त्यागपत्र देने की घोषणा की तो उस समय आसन की तरफ से उनकी इस पेशकश को यह कहकर अस्वीकार कर दिया गया कि इसके लिए उन्हें समुचित तरीका अपनाना पड़ेगा।
आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बाद में त्रिवेदी ने सभापति नायडू से उनके कक्ष में मुलाकात की और उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया। सूत्रों के अनुसार नायडू ने उनसे पूछा कि वह किसी दबाव में तो इस्तीफा नहीं दे रहे हैं, इसके जवाब में त्रिवेदी ने कहा कि वह बिना किसी दबाव के ‘अंतरात्मा की आवाज’ पर यह कदम उठा रहे हैं। इससे पहले, उच्च सदन में बजट चर्चा के दौरान आसन की अनुमति से त्रिवेदी ने कहा, ‘हर मनुष्य के जीवन में एक ऐसी घड़ी आती है जब उसे अंतरात्मा की आवाज सुनाई देती है। मेरे जीवन में भी यह घड़ी आ गई है।’
उन्होंने कहा, ‘मैं यहां बैठकर सोच रहा था कि हम राजनीति में क्यों आते हैं? देश के लिए आते हैं, देश सर्वोपरि होता है।’ त्रिवेदी ने कहा कि जब वह रेल मंत्री थे तब भी उनके जीवन में ऐसी घड़ी आई थी जिसमें यह तय करना पड़ा था कि ‘देश बड़ा है, पक्ष बड़ा है या खुद मैं बड़ा हूं।’
