केंद्रीय बजट 2021 में बिजली वितरण कंपनियों के लिए घोषित 3 लाख करोड़ रुपये की सुधार योजना में राज्यों को अपनी कार्ययोजना बनाने का भार सौंपा गया है और उसी के मुताबिक उन्हें धन जारी किया जाएगा। 2014 में भाजपा द्वारा पेश बिजली सुधार योजना उदय सहित पहले की योजनाओं के विपरीत इस योजना में सभी राज्यों के लिए एक जैसे नियम का तरीका नहीं अपनाया गया है।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने कहा कि एक समिति का गठन किया जाएगा, जो राज्यों द्वारा तैयार की गई डिस्कॉम सुधार और बिजली आपूर्ति में सुधार की कार्ययोजना का मूल्यांकन करेगी। अधिकारी ने कहा, ‘राज्यों की योजना और उनके प्रदर्शन के आधार पर केंद्र से मंजूरी दी जाएगी और धन जारी किया जाएगा। अब पहले की तुलना में तरीका अलग है और जो प्रभावी होंगे, उन्हें ही धन मिलेगा।’
वित्तीय संकट से जूझ रही राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) में सुधार लाने के लिए केंद्रीय बजट में दूसरा मौका दिया गया है और वित्त मंत्री ने डिस्कॉम में सुधार योजना के लिए 3,05,982 करोड़ रुपये आवंटन करने की घोषणा की थी। अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि डिस्कॉम के लिए 5 साल की एक सुधरी हुई, परिणाम पर आधारित योजना पेश की जाएगी।
अधिकारियों ने कहा कि जैसा कि नाम से पता चलता है, यह योजना परिणाम आधारित हिस्से का पूरी तरह पालन करेगी और डिस्कॉम में सुधार पर ही धन जारी किया जाएगा।
पिछले 15 साल में 4 सुधार योजनाएं पेश की गईं, इसके बावजूद राज्य सरकारोंं की बिजली वितरण कंपनियों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। इसके पहले की डिस्कॉम सुधार योजना उदय की अवधि वित्त वर्ष 20 में पूरी हो गई और ज्यादातर राज्य अपेक्षित लक्ष्य हासिल करने में सफल नहीं हुए हैं और उनकी बिजली वितरण कंपनियों की हालत खस्ता बनी हुई है।
वित्त वर्ष 2020 तक अपर्याप्त बुनियादी ढांचा न होने के कारण सकल तकनीकी और वाणिज्यिक (एटीऐंडसी) हानि या बिजली आपूर्ति हानि घटकर 15 प्रतिशत होने और डिस्कॉम का औसत लागत राजस्व (एसीएस-एआरआर) अंतर घटकर शून्य होने की उम्मीद की गई थी। बहरहाल उदय पोर्टल के मुताबिक एटीऐंडसी हानि इस समय 23.9 प्रतिशत है और लागत राजस्व अंतर 0.53 पैसे हैं। वित्त वर्ष 20 के लिए सभी डिस्कॉम के अंतिम उपलब्ध आंकड़ों के राष्ट्रीय औसत संबंधी और वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही के छह राज्यों के सांकेतिक आंकड़े दिए गए हैं।
योजना के पहले साल में प्रमुख ध्यान बिजली वितरण संबंधी बुनियादी ढांचे, प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग, बिलिंग मेंं सुधार और कृषि फीडरों को सौर ऊर्जा से जोडऩे पर होगा। इसके लिए पहले साल धन आवंटन 1 लाख करोड़ रुपये के करीब होगा।
सबसे ज्यादा धन आवंटन बिजली आपूर्ति संबंधी बुनियादी ढांचे में सुधार पर होगा, जिसमें ऑटोमेशन, ऊपर फैले बिजली के तारों को हटाना, बिजली की चोरी और पारेषण हानि को रोकना शामिल है।
डिस्कॉम को कृषि बिजली आपूर्ति फीडरों को अलग करने के लिए भी योजना तैयार करनी होगी और सिंचाई के लिए होने वाली बिजली आपूर्ति को सौर ऊर्जा से करना होगा। मूल रूप से कुसुम योजना के तहत सिंचाई पंपों को सौर ऊर्जा से जोड़ा जाना था, जिसे केंद्र सराकर सुधार पैकेज में शामिल कर रही है।
बिजली क्षेत्र के लिए मौजूदा सभी योजनाओं को एक में करके धन आवंटन होगा। ग्रामीण क्षेत्र में बिजली सुधार के लिए डीडीयूजीजेवाई और शहरी इलाकों के लिए आईपीडीएस को नई योजना का हिस्सा बनाया जाएगा। इन योजनाओं के तहत धन का आवंटन राज्यों द्वारा पेश की गई योजना के मुताबिक हुआ।