Quick Commerce vs Retail traders: देश के खुदरा कारोबारियों को क्विक कॉमर्स प्लेटफार्म के बढ़ते कारोबार से उनका कारोबार छिनने का डर सता रहा है। कारोबारियों का मानना है कि ये प्लेटफार्म नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। इसलिए सरकार को इनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
कारोबारी संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAT) ने आज एक श्वेत पत्र जारी कर कहा कि क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म भारत की खुदरा अर्थव्यवस्था की नींव को कमजोर कर रहे हैं। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने इन क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा एफडीआई फंड का दुरुपयोग कर आपूर्तिकर्ताओं पर नियंत्रण, इन्वेंटरी पर प्रभुत्व और अनुचित मूल्य निर्धारण करने के लिए के आरोप लगाएं हैं।
उन्होंने कहा कि क्विक प्लेटफॉर्म के नियम विरुद्ध कृत्यों से देश के करीब 3 करोड़ किराना स्टोर का बाजार में टिक पाना संभव नहीं है। ये प्लेटफॉर्म एफडीआई नीति और प्रतिस्पर्धा अधिनियम का उल्लंघन कर रहे हैं। इसलिए इन प्लेटफॉर्म द्वारा किए जा रहे नियम विरुद्ध कार्य के कारण सरकार को इनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
एफडीआई का बुनियादी ढांचे पर खर्च नाम मात्र
कैट के श्वेत पत्र में कहा गया कि क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म को 54,000 करोड़ रुपये से अधिक की एफडीआई सहायता मिली है। लेकिन इन प्लेटफॉर्म ने इस निवेश का उपयोग ना तो बुनियादी ढांचा निर्माण में किया और ना ही दीर्घकालिक परिसंपत्तियों में।
कैट के श्वेत पत्र से पता चला कि इन प्लेफॉर्म ने 54,000 करोड़ रुपये से केवल 1,300 करोड़ रुपये ही परिसंपत्ति और बुनियादी ढांचा बनाने पर खर्च किए। ये प्लेटफॉर्म एफडीआई का उपयोग संचालन में होने वाले घाटे की पूर्ति करने और कुछ चुनिंदा विक्रेताओं के माध्यम से अनुचित छूट देने में कर रहे हैं।
केंद्र सरकार से क्विक कॉमर्स की शिकायत करेंगे कारोबारी
दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा ने कहा कि कारोबारी इन क्विक प्लेटफॉर्म की शिकायत करने के लिए जल्द ही वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी से मिलेंगे। बवेजा ने कहा कि कारोबारी ई-कॉमर्स के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह काम बराबरी के आधार पर होना चाहिए और सभी नियमों का पालन करना चाहिए।
कैट ने श्वेत पत्र में जेएम फाइनेंसियल की रिपोर्ट के हवाले से कहा गया कि रियल के एक लीटर मिक्स्ड फ्रूट जूस की एमआरपी 110 रुपये है, जबकि यह दिल्ली में ब्लिंकइट पर यह 80 रुपये, इंस्टामार्ट पर यह 85 रुपये और जेप्टो पर 90 रुपये उपलब्ध था। इसी तरह डाबर च्यवनप्राश की एमआरपी 399 रुपये, लेकिन क्विक कॉमर्स प्लेटफार्म पर यह 345 से 350 रुपये उपलब्ध था। कारोबारियों का कहना है कि क्विक प्लेटफॉर्म पर एमआरपी से 30 फीसदी तक छूट दी जा रही है। आखिर कोई इतनी छूट देकर घाटा सहकर क्यों कारोबार करेगा?