सरकार ने आयकर विभाग को करदाताओं से डिजिटल तरीके से अधिक जानकारी एकत्र करने तथा 90 दिनों की अवधि के भीतर विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी के साथ मिलान का अधिकार दिया है।
अगर कर निर्धारिती द्वारा स्वीकार की गई राशि और इस तरह के पहले ई-सत्यापन के बाद सूचित की गई राशि के बीच कोई विसंगति होती है, तो इस जानकारी को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा निर्धारित किए जाने के लिए जोखिम प्रबंधन रणनीति के माध्यम से चलाया जाएगा। अगर सूचना बिना जोखिम या कम जोखिम वाली पाई जाती है और जिसमें आगे कोई कार्रवाई करने की आवश्यकता नहीं होती है, तो इसे बंद करने के लिए कार्रवाई की जाएगी। हालांकि अगर यह जानकारी कम जोखिम वाली नहीं पाई जाती है, तो इसे खुफिया और आपराधिक जांच के लिए भेज दिया जाएगा। एक अधिसूचना के माध्यम से कर अधिकारियों को कंपनियों के रजिस्टरों का निरीक्षण करने का अधिकार दिया गया है। एएमआरजी ऐंड एसोसिएट के निदेशक (कॉर्पोरेट और अंतरराष्ट्रीय कर) ओम राजपुरोहित ने कहा कि यह कर एजेंसियों के भीतर और अधिक पारदर्शिता लाने और विदेशों में जमा गुप्त कोष या गंभीर कर चोरी को उजागर करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की मंशा है।
