संबंधित राज्यों के रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण – रेरा (रियल एस्टेट विनियमन और विकास अधिनियम, 2016) द्वारा 24 अप्रैल, 2021 तक 65,539 मामलों का निपटान किया जा चुका है। एक नई रिपोर्ट में जानकारी मिली है, जिसमें आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला दिया गया है। इनमें से लगभग 40 प्रतिशत मामले (करीब 26,510 शिकायतें) अकेले उत्तर प्रदेश में ही हल किए गए हैं। इसके बाद हरियाणा में 13,269 मामले और महाराष्ट्र में 9,265 मामले सुलझाए गए हैं। एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में रेरा के तहत निपटाए गए कुल मामलों में से करीब 75 प्रतिशत मामलों में संयुक्त रूप से इन तीनों राज्यों का योगदान रहा है।
रेरा के तहत परियोजना और रियल एस्टेट एजेंट पंजीकरण भी लगातार बढ़ रहा है। देश भर में 24 अप्रैल, 2021 तक करीब 63,583 परियोजनाओं और 50,256 रियल एस्टेट एजेंटों का पंजीकरण किया गया है। वर्ष 2019 में इसी अवधि के दौरान लगभग 40,155 परियोजनाओं और 29,208 रियल एस्टेट एजेंटों का पंजीकरण किया गया था। पिछले दो सालों के दौरान इसमें क्रमश: 58 प्रतिशत और 72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी कहते हैं ‘रेरा का एक प्रमुख उद्देश्य रियल एस्टेट के उपभोक्ताओं की शिकायतों का समाधान करना है। इस प्रकार यह बात ध्यान देने योग्य है कि विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के रेरा अधिकारियों ने पिछले चार सालों में 65,539 से अधिक उपभोक्ता शिकायतों को हल किया है।’ उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने सबसे अधिक मामलों को हल किया है, जो एक बार फिर विचार करने योग्य बात है, इस चीज को ध्यान में रखते हुए कि उत्तर प्रदेश में नोएडा और ग्रेटर नोएडा किस कदर भ्रष्ट भागीदारों की अनैतिक गतिविधियों से प्रभावित हुए थे।
परियोजना पंजीकरण के लिहाज से महाराष्ट्र सबसे आगे रहा है। सभी 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में रेरा के तहत अब तक पंजीकृत सभी परियोजनाओं में महाराष्ट्र का योगदान 45 प्रतिशत है। इसके बाद 13 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ गुजरात का स्थान आता है, फिर करीब छह-छह प्रतिशत के साथ मध्य प्रदेश और कर्नाटक का स्थान तथा लगभग पांच प्रतिशत के साथ उत्तर प्रदेश का स्थान है।
रेरा की प्रगति
अब तक 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेश रेरा के अंतर्गत नियमों को अधिसूचित कर चुके हैं। उत्तर-पूर्वी राज्य नागालैंड अब भी अपने नियमों को अधिसूचित करने की प्रक्रिया में है, जबकि पश्चिम बंगाल अपना स्वयं का कानून बना चुका है, जिसे आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष चुनौती दी थी। एनारॉक ने कहा कि हालांकि एक प्रमुख घटनाक्रम में शीर्ष न्यायालय ने हाल ही में पश्चिम बंगाल आवासीय उद्योग विनियमन अधिनियम, 2017 (डब्ल्यूबीएचआईआरए) को यह कहते हुए अमान्य कर दिया कि वह रेरा का उल्लंघन करता है जिसे संसद में एक कानून से बनाया गया है। एनारॉक ने कहा कि 30 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश पहले ही रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण का गठन कर चुके हैं और इसमें से कम से कम पांच अंतरिम हैं। जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, मेघालय और सिक्किम ने भी अपने रेरा नियमों को अधिसूचित कर दिया है, लेकिन विभागों की स्थापना की जानी बाकी है। उपभोक्ताओं की शिकायतों का निपटारा करने के लिए 28 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना कर चुके हैं, जिसमें छह अंतरिम हैं। अरुणाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, मेघालय, मिजोरम और सिक्किम अब भी अपने अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना करने की प्रक्रिया में हैं।
