देश में निजी ट्रेन चलाने वाले संभावित बोलीदाता इस कारोबार को व्यावहारिक बनाने के लिए परिचालन की कम लागत पर विचार कर रहे हैं। इस संबंध में जानकारी रखने वाले अधिकारियों के अनुसार रेल मंत्रालय ने यात्री टे्रनों के परिचालन के इरादे से एक बार फिर निविदा निकालने के लिए निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श करना शुरू कर दिया है।
भागीदारी में उत्साह के अभाव की वजह से रेलवे बोर्ड द्वारा बोली का पहला दौर रद्द किए जाने के बाद यह विचार-विमर्श प्रासंगिक हुआ है। रेल मंत्रालय के समक्ष आए विवरणों में निजी क्षेत्र की चिंता के रूप में रेक, ढुलाई शुल्क और जरूरी आधार किराये की अधिक लागत का हवाला
दिया गया है। इस विचार-विमर्श से अवगत एक अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया ‘स्थिर और गतिमान रेक के लिए मौजूदा निर्धारित ढुलाई शुल्क निजी यात्री रेल परिचालन की व्यावहारिकता के लिए चिंता का विषय है। खड़ी हुई किसी रेक पर हर घंटे लगभग 180 रुपये प्रति कोच का स्थिर शुल्क लगाया जाता है, जबकि हर घंटे का मूविंग चार्ज शुल्क लगभग 800 रुपये प्रति कोच होता है। इन निजी ट्रेनों के लिए कम से कम स्थिर शुल्कमाफ किया जाना चाहिए और मूविंग चार्ज कम किया जाना चाहिए।’
अधिकारी ने कहा कि बर्थ के लिए न्यूनतम मूल किराया भी होता है, जिसका भुगतान रेलवे को किया जाएगा, भले ही ट्रेन चले या न चले। यह भी चिंता का विषय है। गैर-भेदभावपूर्ण आधार पर ट्रैक की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए एक तकनीकी विनियामक की मांग भी उठाई गई थी।
जुलाई 2020 में रेल मंत्रालय ने यात्री ट्रेन सेवाओं के परिचालन के लिए निजी भागीदारी की खातिर रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशन आमंत्रित किया था। 151 आधुनिक ट्रेनों की शुरूआत के जरिये 109 मूल गंतव्य मार्गों को दायरे में लेने की योजना थी। यह अनुमान लगाया गया था कि इस परियोजना में लगभग 30,000 करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी। भारतीय रेलवे नेटवर्क में यह इस तरह की पहली योजना थी। मार्गों को बोलीदाताओं द्वारा किए गए राजस्व हिस्सेदारी के वादे के आधार पर प्रदान किया जाना था।
अक्टूबर 2020 में मंत्रालय ने कहा था कि उसे 15 फर्मों से 12 समूहों के लिए 120 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें मेघा इंजीनियरिंग ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर (एमईआईएल), साईनाथ सेल्स ऐंड सर्विसेज, आईआरबी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स, भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी), जीएमआर हाईवे, वेलस्पन एंटरप्राइजेज, गेटवे रेल फ्रेट और क्यूब हाईवेज ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर-3 शामिल थे। मालेम्पति पावर, एलऐंडटी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स, आरके एसोसिएट्स ऐंड होटलियर्स, कन्स्ट्रक्सिओंसी ऑक्सिलियर डी फेरोकैरिलेस, पीएनसी इन्फ्राटेक, अरविंद एविएशन तथा बीएचईएल ने भी योग्यता प्राप्त कर ली थी।
जुलाई 2021 तक यह स्पष्ट हो गया था कि सरकार द्वारा नियंत्रित आईआरसीटीसी और एमईआईएल ने ही वास्तव में बोली लगाई थी। इससे इन ट्रेनों के चलने की संभावनाओं पर खराब असर पड़ा। इस घटनाक्रम के एक करीबी सूत्र ने कहा कि ट्रेनों के परिचालन के अधिकार प्राप्त करने के लिए बोली गई राजस्व हिस्सेदारी में भी भारी असमानता थी, भले ही केवल दो ही बोलियां थीं। आखिर में रेलवे ने बोली के पहले दौर को रद्द कर दिया और दूसरी बोली का फैसला लिया।
