सरकार ने कोविड-19 महामारी पर देशवासियों को फिर आगाह करते हुए पूरी सतर्कता बरतने के लिए कहा है। सरकार ने शुक्रवार को कहा कि दुनिया के दूसरे देशों में कोविड महामारी का गंभीर असर फिर दिखने लगा है, इसलिए भारत को भी पूरी तरह चौकन्ना रहना चाहिए। सरकार ने कहा कि देश में दूसरी लहर आने से पहले भी कोविड संक्रमण के मामले लगभग उसी स्तर पर थे जो इस वक्त हैं।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने कहा, ‘खतरा अभी टला नहीं है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि मास्क और टीके दोनों महत्त्वपूर्ण हैं। वैज्ञानिक समुदाय और विश्व स्वास्थ्य संगठन लगातार कह रहे हैं कि मास्क पहनना बंद करने का समय अभी नहीं आया है।’ इस बीच, देश में ओमीक्रोन संक्रमण के मामले बढ़कर 32 हो गए हैं जिनमें महाराष्ट्र के सात नए मामले शामिल हैं। हालांकि इन सभी मरीजों में हल्के लक्षण दिख रहे हैं। सरकार देश में कोविड मामलों के 70 से अधिक संकुलों पर पैनी नजर रख रही हैं। ये वे क्षेत्र हैं जहां अधिक संक्रमण देखे गए हैं।
देश के 19 जिलों में संक्रमण की साप्ताहिक दर 5 से 10 प्रतिशत के बीच है। इनमें 8 जिले केरल में, 5 मिजोरम में, 2 मणिपुर में और 1-1 अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड में हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा कि पिछले दो महीने के दौरान यूरोप में कोविड-19 संक्रमण एवं मौत के मामले दो गुना हो गए हैं।
पॉल ने कहा, ‘मोटे तौर पर यह डेल्टा रूप जैसा है मगर हमें सतर्क रहना चाहिए। घबराने की कोई बात नहीं है मगर हमें दुनिया के दूसरे देशों के अनुभव से जरूर सीखना चाहिए।’ भारत में कोविड-19 के अब तक जितने रूप सामने आए हैं उनमें ओमीक्रोन से जुड़े मामले 0.04 प्रतिशत से भी कम हैं। दुनिया के 59 देशों में यह नया रूप पाया गया है जिनमें कुल 2,936 मामलों की पुष्टि हो चुकी है और कुल 78,074 मामले ऐसे हैं जो इससे जुड़े हो सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं पर कोई दबाव नहीं है मगर ओमीक्रोन के खतरे को देखते हुए अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) यह भी परखने की कोशिश कर रही है कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन की खुराक का मिश्रण करने से अधिक प्रतिरोधी क्षमता तैयार होगी या नहीं। बूस्टर डोज के विषय पर आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि अधिकांश टीकों से शरीर में नौ महीनों से एक वर्ष तक प्रतिरोधी क्षमता बनी रहती है। भार्गव ने कहा, ‘इस अवधि तक शरीर में प्रतिरोधी क्षमता प्रबल रहती है। सेल्युलर और म्यूकोसल प्रतिरोधी क्षमता तो बरकरार रहती है मगर इनका पता नहीं लगाया जा सकता।’ सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस वक्त उसका ध्यान सभी लोगों को दोनों खुराक लगाने का है और बूस्टर डोज को फिलहाल वरीयता नहीं दी जा रही है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत में अब तक वयस्क आबादी में 86.2 प्रतिशत लोगों को पहली खुराक लगाई जा चुकी है जबकि 53 प्रतिशत आबादी का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है।
