प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने गुरुवार को ‘मिशन लाइफ’ की शुरुआत की। यह एक वैश्विक कार्ययोजना है जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी असर से पृथ्वी को बचाना है। इस मिशन को ऐसे समय शुरू किया गया है जब अगले महीने संयुक्त राष्ट्र, जलवायु के मुद्दे पर मिस्र में विशाल बैठक का आयोजन कर रहा है।
‘मिशन लाइफ’ में जीवनशैली में बदलाव के लिए अनेक सुझाव हैं जिन्हें जलवायु अनुकूल व्यवहार के तौर पर अपनाया जा सकता है। मोदी और गुतारेस ने गुजरात के केवड़िया में संयुक्त रूप से ‘मिशन लाइफ’ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली)को इसके लोगो (प्रतीक चिह्न) और ‘टैग लाइन’ (आदर्श वाक्य) के साथ शुरू किया।
मोदी ने लोगों से कहा कि वे कम इस्तेमाल, दोबारा इस्तेमाल और पुनर्चक्रण’ और ‘सर्कुलर इकॉनमी’ (ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें संसाधनों की बरबादी को न्यूनतम किया जाता है) के सिद्धांतों को अपनाएं। उन्होंने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने को प्रतिबद्ध है। मोदी ने इस मौके पर कहा कि ‘मिशन लाइफ’ लोगों के अनुकूल ग्रह के विचार को मजबूत करेगा।
उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य स्थायी आदर्श पर्यावरण के लिए लोगों के रुख को तीन रणनीतियों की ओर मोड़ना है जिनमें व्यक्तियों द्वारा अपनी दिनचर्या में सामान्य लेकिन प्रभावी पर्यावरण अनुकूल आचरण (मांग) का अनुपालन करना, उद्योगों और बाजार को बदलती मांग (आपूर्ति) के तहत बदलाव करने में सक्षम बनाना और सरकार एवं औद्योगिक नीतियों को प्रभावित करना ताकि वे स्थायी उपभोग एवं उत्पादन (नीति) का समर्थन करें।
मोदी ने कहा कि यह धारणा है कि जलवायु परिवर्तन केवल नीति से जुड़ा मुद्दा है और इससे जुड़े अहम मुद्दों से निपटना केवल सरकार या अंतरराष्ट्रीय संगठनों का काम है। उन्होंने कहा, ‘लोग अपने आसपास जलवायु परिवर्तन के असर को अनुभव कर रहे हैं और गत कुछ दशकों में अप्रत्याशित आपदाओं के गवाह रहे हैं। यह स्पष्ट करता है कि जलवायु परिवर्तन केवल नीति बनाने से कहीं परे चला गया है।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मिशन लाइफ’ का मंत्र ‘ पर्यावरण के लिए जीवनशैली’ है। उन्होंने कहा कि इससे लोगों की धरती को बचाने की शक्ति जुड़ेगी और उन्हें बताएगी कि संसाधनों का कैसे बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है। मोदी ने कहा कि ‘मिशन लाइफ’ जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को लोकतांत्रिक बनाएगा जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार योगदान कर सकता है।
उन्होंने कहा, ‘मिशन लाइफ हम सभी को अपने दैनिक जीवन में उन कार्यों को करने के लिए प्रेरित करेगा जिससे पर्यावरण की रक्षा होती है। मिशन लाइफ का मानना है कि जीवनशैली में बदलाव कर पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है।’ उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए एक व्यक्ति व्यायामशाला वाहन से जाता है और पांच किलोमीटर प्रति लीटर की दर से ईंधन खर्च करता है, अगर वह इसके बजाय साइकिल से जाए तो पर्यावरण को बचाने और सेहतमंद रहने के दोनों लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में बिजली के बिलों में कमी लाने और पर्यावरण को बचाने के लिए एलईडी बल्बों के इस्तेमाल का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, ‘इससे पर्यावरण को भारी बचत और पर्यावरण को लाभ हुआ तथा इससे स्थायी लाभ मिल रहा है।’ मोदी ने कहा कि मिशन लाइन ‘पी3 मॉडल अवधारणा पर आधारित है जिसका अभिप्राय ‘प्रो प्लैनेट पीपुल’ (ग्रह हितैषी लोग) है। उन्होंने कहा कि यह लोगों को ग्रह हितैषी लोग के तौर पर जोड़ेगा, उनकों विचारों से एकजुट करेगा। उन्होंने कहा कि मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) इस ग्रह की, ग्रह के लिए और ग्रह द्वारा तैयार जीवनशैली के मूलभूत सिद्धांत पर काम करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में सालाना प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन महज 1.5 टन है जबकि वैश्विक औसत चार टन प्रति वर्ष है। उन्होंने कहा कि भारत, जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक समस्याओं को सुलझाने के लिए काम कर रहा है। मोदी ने कहा, ‘आज हम पवन ऊर्जा उत्पादन में चौथे और सौर ऊर्जा उत्पादन में पांचवें स्थान पर है।
भारत की नवीनीकरण ऊर्जा क्षमता गत सात-आठ वर्षों में 290 प्रतिशत बढ़ी है। हमने तय समय सीमा से नौ साल पहले ही 40 प्रतिशत बिजली उत्पादन क्षमता गैर जीवाश्म स्रोतों से करने का लक्ष्य हासिल कर लिया है।’ गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और विदेश मंत्री एस.जयशंकर भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे।
अत्यधिक खपत से नुकसान : गुतारेस
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने गुरुवार को कहा कि आवश्यकता से अधिक खपत से धरती पर जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता के नुकसान और प्रदूषण की तिगुनी आपात स्थिति पैदा हो गई है। उन्होंने धरती के संसाधनों के विवेकपूर्ण इस्तेमाल की भी अपील की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिशन ‘लाइफ’ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) को यहां शुरू करने वाले गुतारेस ने मौजूदा समय में ‘नीड’ (जरूरत) पर ‘ग्रीड’ (लालच) के हावी होने को लेकर खेद जताते हुए लोगों से जीवन जीने का एक दीर्घकालिक तरीका अपनाने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, ‘इस संकट की स्थिति में, हमें इसके समाधान के लिए एकजुट प्रयास करने की जरूरत है। जलवायु परिवर्तन से बड़ी कोई चुनौती नहीं है। अत्यधिक खपत के परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और प्रदूषण की आपात स्थिति तिगुनी हो गयी है।’
महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए, गुतारेस ने कहा, ‘दुनिया सभी की जरूरतों के लिए पर्याप्त है, लेकिन हर किसी के लालच की पूर्ति के लिए नहीं, दुर्भाग्य से हाल के दिनों में, लालच जरूरत पर हावी हो गया है और हमें इसे पलटने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा, ‘हममें से प्रत्येक को सतत रूप से जीना सीखना होगा और पर्यावरण पर बोझ कम करना होगा।’
उन्होंने ‘लाइफ’ आंदोलन की पहल पूरी दुनिया में फैलने को लेकर उम्मीद जताई। उन्होंने कहा, ‘मैं पर्यावरण की दृष्टि से अच्छी नीतियों को आगे बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का समर्थन करते हुए अक्षय ऊर्जा में निवेश बढ़ाने की भारत की प्रतिबद्धता से बहुत उत्साहित हूं। हमें अक्षय क्रांति लाने की जरूरत है और इस एजेंडे को आगे बढ़ाने में मैं भारत के साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं।’
गुतारेस ने उल्लेख किया कि जलवायु प्रभावों और इसकी विशाल अर्थव्यवस्था के प्रति अपनी संवेदनशीलता के साथ, भारत एक महत्त्वपूर्ण सेतु की भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा, ‘हमें पृथ्वी के संसाधनों का विवेकपूर्ण इस्तेमाल करना चाहिए और इसके प्रति सम्मान का भाव रखना चाहिए, ताकि लोग पृथ्वी के संसाधनों का समुचित इस्तेमाल कर सकें और केवल उतना ही ले सकें, जितनी उन्हें जरूरत है।’